उत्तराखंड: कॉर्बेट पार्क, पिछले साल न रामगंगा नदी में बाढ़ आई न ही कोई जलीय बीमारी फैली फिर 36 मगरमच्छ कहां चले गए, क्या उन्हें टाइगर ने अपना निवाला बना लिया या फिर कुछ और कारण है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की जलीय गणना में मगरमच्छ संख्या पिछली गणना की तुलना में कम हो गए।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मई माह 23 तक हुई जलीय जीवों की गिनती के आंकड़े सामने आए हैं। इनमें 129 मगरमच्छ, 102 घड़ियाल और 183 ऊदबिलाव की मौजूदगी कॉर्बेट पार्क के भीतर से गुजर रही रामगंगा और उसकी सहायक नदियों में बताई गई है।
पिछले बार की जलीयजीव गणना में 165 मगरमच्छ, 96 घड़ियाल और 142 ऊदबिलाव दर्शाए गए थे। यानि घड़ियाल और ऊदबिलाव तो बढ़ गए लेकिन 36 मगरमच्छ कम हो गए, ये कैसे कम हो गए ? इस पर सवाल उठने लाजमी है।
पार्क वार्डन अमित गवासी कहते है कि मई माह में हुई गणना के वक्त राम गंगा में पानी कम रहता है लिहाजा हो सकता है कि मगरमच्छ रामगंगा डैम की तरफ चले गए होंगे।
कॉर्बेट पार्क के जिम्मेदार अधिकारी का ये तर्क भी कई सवाल पैदा करता है। मगरमच्छ ही क्यों डैम की तरफ गए बाकि जलीय जीव क्यों नही गए ? एक दो मगरमच्छ कम हो जाते तो बात उनकी आयु या मृत्यु के कारण दर्शाए जा सकते थे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मगरमच्छ कम हो गए ये हैरान कर देने वाली बात है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों हाथियों का वास स्थल है और यदि मगरमच्छ के साथ उनके संघर्ष भी होते है तो वो किसी से छुपते नही है।
फिर ये मगरमच्छ कहां गए ?
गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलीय जीवों पर शोध करने वाले: जलीय जीव विशेषज्ञ डॉ. विपुल मौर्य कहते है कि मगरमच्छ पानी का जीव है उसे भोजन भी वहीं मिलता है पिछली बारिश में ये मगरमच्छ रामगंगा में आगे जलाशय की तरफ चले गए होंगे, बेहतर यही होता कि कॉर्बेट प्रशासन वॉटर बॉडीज में भी जलीय जीवों की गिनती करवाता तो इसके सुखद परिणाम आते।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों और जलीय जीवों के वास पर दुनिया भर के विशेषज्ञों की नजर रहती है। बाघ हाथी यहां खास तौर पर निगाह में रहते आए है। रामगंगा के मगरमच्छ घड़ियाल और ऊदबिलाव भी शोध का विषय रहे है। ऐसे में एकाएक मगरमच्छ जैसे विशालकाय और लंबी उम्र वाले जीव की संख्या का कम हो जाना कहीं न कहीं चिंता पैदा कर रहा है।
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