देहरादून: नैनीताल में अरबों की शत्रु संपत्ति को उत्तराखंड सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है और अब धामी सरकार के ऐसे ही सख्त कदम की उम्मीद देहरादून में भी की जा रही है। देहरादून में भी अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति है जोकि सरकार की होनी चाहिए थी लेकिन उस पर अवैध रूप से लोगों ने कब्जे किए हुए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले का संज्ञान लिया है और देहरादून डीएम सोनिका को निर्देशित किया है कि वे इस मामले का तत्काल निस्तारण कर सरकार का कब्जा सुनिश्चित करें। ऐसा भी जानकारी में आया है कि शत्रु संपति मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी निर्देशित किया गया है कि ये संपत्ति गृह मंत्रालय की है और जिला प्रशासन इसका केयर टेकर है।
जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड में 69 शत्रु संपत्तियां चिन्हित हुईं हैं हालंकि इस तरह की संपत्तियां और भी है जिनपर सफेदपोश भू-माफिया तंत्र के कब्जे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों उत्तराखंड सरकार से इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया था। जिसके बाद अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और अपर गृह सचिव रिदिमा अग्रवाल ने इस पर काम भी शुरू किया, नैनीताल की मेट्रो पॉल होटल शत्रु संपत्ति भी इसी क्रम में खाली करवाई गई। अब देहरादून में अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति को खाली कराने की कवायद शुरू हो गई है।
क्या है शत्रु संपत्ति ?
देश विभाजन के दौरान जो लोग हिंदुस्तान छोड़ कर पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता हासिल कर ली उनकी भारत में छोड़ी गई संपत्ति शत्रु संपत्ति कहलाती है। इस संपत्ति का मालिक गृह मंत्रालय होता है। केंद्र सरकार ने 1968 में सबसे पहले एक अलग विभाग बना कर इसका ऑफ एनिमी एक्ट बनाया था। जिसमें 2016 में मोदी सरकार ने संशोधन किया था। जिसके बाद से इन संपत्तियों सरकार ने अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की। कांग्रेस शासन काल में इस संपत्ति को तुष्टिकरण की नीति और सफेदपोश भू-माफियाओं के राजनीतिक दखल की वजह सरकार ने अपने कब्जे में नहीं लिया। जानकारी के अनुसार देश में 16000 से ज्यादा शत्रु संपत्तियां हैं जिनमें से 9456 चिन्हित हो गईं हैं और इनकी कीमत एक लाख करोड़ से अधिक बताई जाती है। उत्तराखंड में 69 शत्रु संपत्तियां चिन्हित हुईं हैं जिसकी कीमत करीब पांच हजार करोड़ बताई जा रही है।
देहरादून जिले में प्रमुख संपत्तियां
राजधानी में दिला ए राम संपत्ति, सर्वे चौक पर कमिश्नरी कार्यालय, करनपुर ईसी रोड पर स्थित काबुल हाउस संपत्ति पुलिस चौकी पुराने आईटीआई वाली संपत्ति, आईएसबीटी के पास, राजपुर रोड पर संपत्ति, खुलबुड्ढा मोहल्ले में संपत्ति, मसूरी में 18 हजार वर्ग फुट, माजरा में तीन एकड़, चकराता, अन्य टाउन क्षेत्र में बेशकीमती शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जेदार बैठे हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक, 1879 काबुल के राजा मोहम्मद याकूब खान देहरादून आकर बसे थे यहां उनकी संपत्ति कई स्थानों पर थी 1924 में उनकी मौत हो गई उनके वंशज बंटवारे के दौरान विदेश चले गए बाद में वो पाकिस्तान के नागरिक हो गए। उनके पारिवारिक मित्र रहे मोहम्मद असलम खान यूपी में और देहरादून में रहते हैं, उनका कहना है कि सरकार इस संपत्ति को अपने कब्जे में लेकर जनहित के कामों में लगाए।
बताया जा रहा है कि काबुल राजा के फर्जी रिश्तेदार, सहारनपुर देहरादून में पैदा हो गए हैं और वो अब देहरादून की शत्रु संपत्तियों पर फर्जी दस्तवेज बना कर अपने दावे कर रहे हैं इनमें मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद खालिद अब्दुल रज्जाक का एक गिरोह है। एक गिरोह आरिफ खान है, तीसरा गिरोह तारीक अख्तर का है, जोकि 23 शत्रु संपत्तियों की कब्जेदारों को रजिस्ट्री भी करके सरकार को धोखा दे चुका है।
इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई थी किंतु आज तक गिरफ्तारी नहीं हुई।
बतादें, इस सारे प्रकरण में तहसीलदार रहे राशिद की भूमिका को भी संदिग्ध माना गया, इन संपत्तियों को नगर निगम के दस्तावेजों में भी हेरफेर करके चढ़ाया जाने वाला था। जिसे तत्कालीन नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय द्वारा रोका गया।
ऐसा नहीं है कि इन मामलों की जानकारी शासन के अधिकारियों के संज्ञान में न हो, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी जब देहरादून की डीएम थी। तब उनकी जानकारी में था, शासन में सचिव शैलेश बगौली, जिला अधिकारी रहे आशीष श्रीवास्तव हाल ही में एडीएम पद से हटाए गए बर्नवाल डीजीपी रहे अनिल रतूड़ी, डीआईजी रहे अजय रौतेला सबकी जानकारी में देहरादून की शत्रु संपत्ति के मामले संज्ञान में रहे हैं, लेकिन जब-जब कब्जे मुक्त कराने की बात सामने आती है तो कोई न कोई सफेदपोश राजनीतिक दबाव उन्हे रोक देता रहा है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी का सख्त रुख
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शत्रु संपत्ति मामले में सख्त रुख अपनाया हुआ है, उन्होंने डीएम सोनिका को सख्ती से निर्देशित किया है कि वो इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लेकर उनकी हद बनाएं और बोर्ड लगाए इस संपत्ति को देहरादून के हित में उपयोग में लाए जाने की योजना बनाई जाए।
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