बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

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हर लड़की को शिक्षा का सामान अधिकार देना, उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करना, लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के लिए आवश्यक कदम उठाना, शोषण से बचाना

इस अभियान की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत से की थी। यह योजना तीन मंत्रालयों महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। इसका उद्देश्य लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त कर समाज में बेटियों के प्रति सकारत्मक सोच को बढ़ावा देना, उनके अधिकार की रक्षा करना और उन्हें जिम्मेदार बनाकर उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराना है।

इसके अलावा, हर लड़की को शिक्षा का सामान अधिकार देना, उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करना, लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के लिए आवश्यक कदम उठाना, शोषण से बचाना और उन्हें सही-गलत के बारे में जानकारी देकर उनमें जागरुकता पैदा करना और कल्याणकारी सेवाओं में सुधार करना भी है। पहले चरण में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को 100 जिलों में लागू किया गया था।

‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’

सत्ता संभालने के कुछ ही समय बाद, 12 अगस्त 2014 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी बोलते हुए उन्होंने कहा कि ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’। सत्ता के शीर्ष स्तर से भ्रष्टाचार के खिलाफ इतना बड़ा उद्घोष भारत के इतिहास में संभवत: पहली बार हुआ। वास्तव में इतना स्पष्ट और साहसपूर्ण स्टैंड विश्व में कम ही नेताओं ने लिया है।

सिंगापुर के राष्ट्रपति रहे ली क्वॉन ने आर्थिक प्रगति के दो मूलभूत तत्व माने थे। एक कानून और व्यवस्था की स्थिति पर नियंत्रण और दूसरा भ्रष्टाचार पर नियंत्रण। प्रधानमंत्री ने सिर्फ नारा ही नहीं दिया, बल्कि जीएसटी के माध्यम से भ्रष्टाचार के एक बड़े स्रोत को ही बंद कर दिया। दूसरे स्तर पर डिजिटल लेनदेन और लाभार्थियों को सीधे हस्तांतरण और तीसरे प्रॉपर्टी बाजार पर पारदर्शिता की कड़ी नकेल कस कर उन्होंने इसे चरितार्थ भी कर दिखाया।

रही सही कसर नोटबंदी ने पूरी कर दी। जिन भी लोगों ने अतीत में अपना काला धन बेनामी संपत्तियों में, नगदी में अथवा स्वर्ण आभूषणों में लगा रखा था, उन्हें तुरंत ही इस काली कमाई से हाथ धोना पड़ा। यही कारण है कि नरेंद्र मोदी को इन उपायों का लागू करने में विपक्ष के भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, हालांकि आम लोगों से उन्हें भारी समर्थन भी मिला।

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