जिस तरह से हिमालय से भगवान शिव की जटाओं से पावन गंगा जी निकलती है उसी तरह सूर्यपुत्री यमुना जी भी यमनोत्री से निकलती है। उत्तराखंड में गंगाजी पर प्रयाग संगम घाट बने हुए है लेकिन यमुना जी पर कोई पावन घाट नही है यदि कहीं है भी तो वो ऐसे नही कि लोग उसमे स्नान करने जा सके। जिस पर अब उत्तराखंड सरकार ने यमुना सर्किट योजना के तहत काम करने का संकल्प लिया है।मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने हरिपुर तीर्थ स्थल विकास की घोषणा 15 अगस्त के अपने भाषण में करके इसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया है।
हरिपुर घाट
देहरादून जिले में विकास नगर के पास हरिपुर ऐसा महा संगम स्थल है जहां यमुना टोंस अमलावा और नौरा नदियों का मिलन होता है और यहां से ढाक पथरी होते हुए यमुना जी पांवटा साहिब की तरफ बढ़ती है।
हरिपुर के बारे हिमालयन गजेटियर ग्रंथ तीन भाग दो के पेज संख्या 370/371 में उल्लेख
हरिपुर कभी बड़ा नगर था जो कभी यमुना के प्रलय में बह गया ,इतिहासकार मानते है कि हरिपुर में स्नान करके ही हिंदू लोग यमनोत्री की यात्रा करते थे, क्योंकि पूर्व में चारधाम की सभी यात्राएं नदी मार्ग से ही हुआ करती थी। गंगोत्री बद्री केदार की लिए हरिद्वार पहला पड़वा था जबकि यमुनोत्री के लिए हरिपुर पहला पड़ाव हुआ करता था। मथुरा दिल्ली सहारनपुर होते हुए यमनोत्री तक राष्ट्रीय राजमार्ग मोदी सरकार द्वारा घोषित किया हुआ है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व में लुप्त हुए इस पावन हरिपुर तीर्थ फिर से स्थापित करने के लिए कागजी कारवाई शुरू करवा दी है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री श्री धामी आगामी जन्माष्टमी के दिन जमुना जी में स्नान करके इस तीर्थ को अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल करेंगे।
जानकारी के मुताबिक एमडीडीए, नमामि गंगे और जिला प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। स्थानीय स्तर से भी हरिपुर के लोग जमुना कृष्ण धाम योजना से उत्साहित है और कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भव्य कार्यक्रम की योजना बना रहे हैं
महाभारत काल
ऐसा महाभारत कालीन इतिहास भी है कि यहीं से कुछ मिल ऊपर लाखामंडल है जिसे लाक्षा गृह माना जाता है जिसके अवशेष आज भी यहां मौजूद है। अश्वमेघ यज्ञ स्थल और कालपी ऋषि का भी यहां आश्रम है। कहते है कालपी से ही क्षेत्र का नाम कालसी पड़ा।
कहते है कि सैकड़ो साल तक तपस्या करने वाले कालपी ऋषि दशम गुरु गोबिंद सिंह की गोद में सिर रख कर स्वर्ग सिधारे थे। उल्लेखनीय है कि गुरु गोबिंद सिंह की बाल्यकाल से शिक्षा दीक्षा भी यमुना किनारे ही हुई,जहां अब हिमाचल का श्री पांवटा साहिब गुरुद्वारा है जहां घाट है और सिख श्रद्धालुओ द्वारा स्नान किया जाता है।
अशोक स्तंभ
हरिपुर से थोड़ा सा आगे जाकर कालसी चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा स्थापित स्तंभ भी है, यानि यहां कभी संपन्न सभ्यता का प्रभाव रहा था।
जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत है यमुना जी
हिमाचल और उत्तराखंड के बीच जौनसारी बावर जनजाति सभ्यता है इनकी आस्था भी जमुना जी से जुड़ी हुई है यहां के लोग जन्म से मृत्यु तक उनसे रिश्ता रखते आए है। स्वर्ग सिधारे जाने पर अंतिम क्रिया के लिए यहां के लोग हरिपुर संगम स्थल ही आते रहे है।
यमनोत्री घाट
उत्तराखंड सरकार ने प्रसादाम योजना के तहत यमनोत्री धाम में तीर्थ यात्रियों के लिए पावन घाट को बनाए जाने की स्वीकृति दी हुई है।इस योजना की समीक्षा की जा रही है कि कैसे इस काम में तेजी लाई जाए।
बड़कोट और गगनानी में बनेंगे घाट
उत्तराखंड सरकार ने हरिपुर संगम स्थल को पुनः एक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया है।हरिपुर में बड़े घाट के निर्माण के लिए सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट से डीपीआर बनवानी शुरू कर दी है। इसके अलावा बड़कोट और गंगनानी में भी यमुना किनारे घाट बनाए जायेंगे।
धामी सरकार की यमुना सर्किट योजना
“पाञ्चजन्य” से बातचीत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते है कि उन्होंने जब भगवान राधा कृष्ण की यमुना जी के बारे में अध्ययन किया तो उन्हे महसूस हुआ कि यूपी की तुलना में उत्तराखंड में जमुना जी उपेक्षित है जब वे इसके कारणों में गए तो एतिहासिक सनातन जानकारियों से भी अवगत हुए। उन्होंने बताया कि हरिद्वार की तरह हरिपुर को भी तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता था और एक समय यहीं नदी मार्ग के किनारे से यमनोत्री धाम की यात्रा होती थी , एक समय में आई यमुना की बाढ़ में हरिपुर शहर बह गया ,ऐसा यहां के इतिहास में दर्ज भी है अब मैंने ये संकल्प लिया है कि हरिपुर तीर्थस्थल को पुनः स्थापित किया जाए। इसके लिए मैंने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के निदेशक रणवीर सिंह चौहान को आदेश दे दिए है कि वो हरिपुर की सनातन संस्कृति की पहचान को पुनर्स्थापित करने का काम शुरू करे।
नए शहर का नाम हरिपुर रखने पर होगा विचार
सीएम धामी कहते है हम एक नया नगर विकास नगर क्षेत्र में बसाने की योजना पर काम कर रहे है उसका नाम ” हरिपुर” ही रखा जाए इस और सबकी राय ली जाएगी। हरिपुर से जुड़े धार्मिक स्थलों का सरकार विकास करेगी जैसे पास में ही लाखामंडल है जिसे महाभारत काल का लाक्षागृह माना जाता है। हरिपुर घाट के पास ही अश्वमेघ यज्ञ स्थल भी है, कालपी ऋषि का आश्रम भी है और आगे जाकर यमनोत्री के घाट बनाने और महासू देवता का मंदिर तक इस यमनोत्री सर्किट को विकसित करेगी। नए घाट बड़कोट और गंगनानी में बनेंगे यहां यमुना जी की आरती भी प्रतिदिन किए जाने की व्यवस्था की जाएगी।
सीएम धामी कहते है उनकी इच्छा है कि यमुना किनारे भगवान राधा कृष्ण की लीलाएं हो कथा प्रवचन हो, ऐसे आयोजन हो कि देश दुनिया से कृष्ण भक्त यहां आकर जमुना जी के प्रति आस्था प्रकट करे। यमुना जी ,जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र के लिए भी पावन है यहां के लोग इन्हे अपने आराध्य देवी भी मानते आए है इनका जीना मरना यमुना जी के साथ हरीघाट से हीं जुड़ा हुआ है।
सीएम धामी कहते है कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे देवभूमि के सनातन स्वरूप को बनाएं रखने के लिए सेवा करने का अवसर मिल रहा है। बाबा भोले नाथ की गंगा के बाद अब भगवान कृष्ण की जमुना जी की सेवा करने का अवसर मिल रहा है।
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