अनुच्छेद-356 का दुरुपयोग
20 जून, 1951 को नेहरू सरकार ने पहली बार अनुच्छेद-356 का उपयोग पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ (पीईपीएसयू) राज्य में अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ किया था। कांग्रेस आलाकमान प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में इस अनुच्छेद का सबसे अधिक दुरुपयोग किया और राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों को भंग कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया। उन्होंने 1966-77 के बीच 36 बार और 1980-84 के बीच 15 बार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया।
भाषायी आधार पर राज्यों का विभाजन
1948 में गांधीजी की मृत्यु के बाद श्रीरामुलु ने भाषा के आधार पर अलग तेलुगु राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा। उनका कहना था कि मद्रास प्रेसीडेंसी से तेलुगु क्षेत्र को अलग कर आंध्र राज्य का गठन किया जाए। इधर, तमिल भाषी भी मद्रास पर दावा कर रहे थे। लेकिन सी. राजगोपालाचारी और सरदार पटेल भाषा के आधार पर राज्यों के विभाजन के विरुद्ध थे और नेहरू अनमने थे।
एस.के. धर की अध्यक्षता वाला भाषायी राज्य आयोग और जे.पी.वी. समिति ने भी भाषा के आधार पर राज्यों का विभाजन नहीं करने की सलाह दी।श्रीरामुलु ने अलग राज्य की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू किया और अक्तूबर 1952 में उनकी मृत्यु हो गई।
इसके बाद हिंसा भड़की और 1953 में आंध्र प्रदेश के रूप में नया राज्य बना दिया गया। कहीं इस आधार पर विभाजन करने और कहीं न करने से वैमनस्य व तनाव बढ़ा। विशेषकर पंजाब में इससे विभाजनकारी तत्वों को शह मिली। धर्म के आधार पर भारत के विभाजन के बाद भाषा के आधार पर राज्यों के विभाजन की शुरुआत विभाजित भारत के भीतर तनावकारी प्रवृत्ति थी।
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