पाकिस्तान में बेअदबी को लेकर एक बहुत ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है। बलूचिस्तान के एक 22 वर्षीय टीचर की हत्या कर दी गयी है और अब्दुल रउफ नामक इस युवक पर आरोप था कि उसने इस्लाम की बेअदबी की है। वहीं इस ह्त्या को लेकर स्थानीय जनता में आक्रोश है और उन्होंने वहां पर इस हत्या के विरोध में रैली भी निकाली थी।
जागरी समुदाय के अब्दुल रउफ ने हाल ही में कानून की पढ़ाई के लिए प्रवेश परीक्षा दी थी और वह एक बेहतर भविष्य की तलाश में था। वह एक खुशहाल ज़िन्दगी बिताना चाहता था और वह दूसरों को भी शिक्षा का उजाला देना चाहता था। यही कारण था कि उसने अपने फ्री समय में स्थानीय बच्चों को अंग्रेजी की ट्यूशन देने का विचार किया। वह बच्चों को धरती के गुरुत्वाकर्षण अर्थात ग्रेविटी के विषय में पढ़ा रहा था, तो वहां पर कुछ मदरसे में पढ़ रहे बच्चे भी थे। उन्हें यह लगा कि यह तो उनके मजहब के खिलाफ कहा जा रहा है।
फिर रउफ पर बेअदबी का आरोप लगाया गया और जो युवक एक बेहतर जीवन की आस में बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहा था, उसे अपने जीवन पर ही खतरा मंडराता हुआ लगा। वह अपनी बात रखने के लिए स्थानीय मजहबी नेताओं के पास जा ही रहा था कि उसे कुछ अज्ञात लोगों ने गोली मार दी और वह मर गया।
वह मर गया और साथ ही वह ऐसे प्रश्नों को खड़ा कर गया, जिसके विरोध में पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इस सीमा तक बेअदबी का आतंक क्यों जिसमें बिना बात सुने, एक बाईस वर्ष के युवक की हत्या कर दी जाए ? उससे कुछ भी न पूछा जाए ?
पकिस्तान की सिविल सोसाइटी इस हत्या के विरोध में आ गयी है। बलोच नागरिकों को यह लग रहा है कि इन घटनाओं में कुछ ट्रेंड है, एक विशेष प्रक्रिया है और अब वह उन मुद्दों का हल करने के लिए आए गयी है। बलोच सॉलिडटरी कमिटी अब इन मुद्दों पर बात रखने के लिए आगे आई है। उनके अनुसार इस प्रकार के झूठे आरोपों के चलते समुदाय में डर का माहौल है।
डर का माहौल शब्द भारत में तो बहुत बोला जाता है, परन्तु डर का माहौल की बात करने वालों के लिए केवल यह जूमला उन्हीं लोगों के लिए है, जो भारत तोड़ने की बात करते हैं। जो मजहबी कट्टरता से पीड़ित लोग हैं, उनके लिए डर का माहौल कहने वाली लॉबी एकदम शांत रहती है।
पाकिस्तान में बलोच लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में मजहब को लेकर पहले भी बहुत दुरूपयोग के मामले सामने आए थे, मगर अब इसने मजहबी कट्टरता को जन्म दे दिया है। मीडिया के अनुसार कमिटी ने मुफ्ती शाह
मीर थाकी, जिसने भी रउफ पर बेअदबी का आरोप लगाया था, के विषय में कहा है कि वह कई बार निजी स्कूलों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को मजहब के नाम पर धमका चुका है। वह लोगों से वसूली भी करता है।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार इन विरोध प्रदर्शनों में जो एक मांग सबसे मुखर होकर उठी है वह है बलूचिस्तान में जिरगा रीति की समाप्ति। यह स्थानीय मजहबी व्यवस्था है, जिसका प्रयोग स्थानीय विवादों को हल करने के लिए किया जाता है। इनका अर्थ है कि स्थानीय परम्पराओं, स्थानीय जीवन शैली की रक्षा करने की प्रणाली। यह हाल ही के दिनों कहा जा रहा है कि विवादों में रही है और महिलाओं के प्रति हो रहे शोषण को लेकर इसका नाम बार-बार आता रहा है।
voice।pk के अनुसार स्थानीय परम्पराओं के आधार विवाद हल करने का यह परम्परागत सिस्टम इसलिए जांच के दायरे में है क्योंकि यह कभी कभी आधिकारिक कानूनी प्रक्रियाओं को अनदेखा करता है और व्यक्तिगत अधिकारों पर प्रहार करता है। रउफ की हत्या का विरोध कर रहे लोगों ने एक आधुनिक एवं केवल कानूनी प्रक्रिया को लागू किए जाने की वकालत की, जो सभी नागरिकों के अधिकारों और जीवन की सुरक्षा करे।
रउफ की हत्या के बीच twitter पर कई ऐसे मामले पाकिस्तान की ओर से दिख रहे हैं, जिनमें बेअदबी को लेकर आक्रोश प्रदर्शन है। 4 अगस्त का नैला वसीम का एक ट्वीट है, जिसमें लिखा है कि एक चौदह वर्षीय लड़के साइमन पर बेअदबी का आरोप है और कट्टरपंथी उसका सिर तन से जुदा के नारे लगा रहे हैं।
वहीं फ़राज़ परवेज़ नामक एक यूजर जिसके परिचय में लिखा है कि “पाकिस्तानी ईसाई जिस पर एफआईए द्वारा ईशनिंदा का आरोप लगाया गया क्योंकि वह यीशु मसीह में गहरी आस्था और विश्वास रखता है और जो कठोर #ईशनिंदा कानूनों के खिलाफ लड़ रहा है” ने एक तस्वीर साझा की, जिसमें लिखा था कि पाकिस्तान में ईसाई बेअदबी के कानूनों का शिकार हैं। कराची के कट्टरपंथी मुस्लिमों ने नफरत की आग में बाइबिल जलाई!
वहीं एक हिन्दू नारायण दास भील ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा कि एक हिन्दू आदमी अकबर राम पुत्र संतोका राम मेघवार को उसके परिवार सहित कोतसंबा में बेअदबी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
पाकिस्तान में बेअदबी का क़ानून बहुत सख्त है और अब समय के साथ बार-बार यह आरोप लगते हैं कि इस क़ानून का दुरूपयोग निजी शत्रुता निकालने के लिए अधिक किया जाने लगा है। इसका वीभत्स रूप तब देखा गया था जब एक श्रीलंका के नागरिक की भीड़ ने पीट पीट कर और फिर जलाकर हत्या कर दी थी।
परन्तु इसके शिकार वह युवा अधिक हो रहे हैं, जो कुछ करना चाहते हैं जैसे कि अब्दुल रउफ। यही कारण है कि अब पाकिस्तान का नागरिक समाज इस क़ानून के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है और प्रदर्शन कर रहा है।
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