मथुरा/ प्रयागराज। बांके बिहारी मंदिर के नाम चली आ रही जमीन को कागजों में फेरबदल कर पहले कब्रिस्तान और फिर आबादी दर्ज करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मथुरा के तहसीलदार को स्पष्टीकरण के साथ तलब किया है। सम्बंधित जमीन मथुरा के शाहपुर गांव में स्थित है।
हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए पूछा है कि मथुरा के शाहपुर गांव में स्थित प्लॉट 1081 की स्थिति राजस्व अधिकारी की ओर से समय-समय पर क्यों और कैसे बदली गई? इस मामले में श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के नाम शाहपुर गांव में जमीनी दर्ज चली आ रही थी। राजस्व कर्मचारियों से मिलीभगत कर बांके बिहारी के नाम पर दर्ज जमीन को भोला पठान ने 1994 में कब्रिस्तान के नाम करा लिया। इसका खुलासा होने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की थी, जिसके बाद प्रकरण वक्फ बोर्ड तक गया था। सात सदस्यीय टीम की जांच में पाया गया था कि जमीन पर कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है। इसके बाद भी अफसरों ने जमीन पर बांके बिहारी महाराज का नाम दर्ज नहीं किया। इसे लेकर कोर्ट में दाखिल याचिका पर जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने प्रकरण को गंभीरता से लेकर मथुरा के तहसीलदार छाता को स्पष्टीकरण के साथ 17 अगस्त को तलब किया है।
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