उत्तराखंड : फर्जी दस्तावेज के आधार पर शत्रु संपत्तियों पर मालिकाना हक जता रहे मुस्लिम
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उत्तराखंड : फर्जी दस्तावेज के आधार पर शत्रु संपत्तियों पर मालिकाना हक जता रहे मुस्लिम

कुछ महीनों में ऐसे प्रमाण मिले हैं कि सहारनपुर देवबंद के मुस्लिमों ने देहरादून में रहने वाले हिंदू परिवारों की संपत्तियों और सरकारी भूमि को अपना बताते हुए दावा कर रहे हैं।

by दिनेश मानसेरा
Aug 10, 2023, 11:20 am IST
in उत्तराखंड
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उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राज्य में मुस्लिम आबादी, देश में असम के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। जानकारी मिली है कि राजधानी देहरादून की शत्रु संपत्तियों पर योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम लोग दावा कर रहे हैं, जो इस वक्त हिंदुओं के मालिकाना हक में हैं।

राजधानी देहरादून में हाल के कुछ महीनों में ऐसे प्रमाण मिले हैं कि सहारनपुर देवबंद के कट्टरपंथी मुस्लिमों ने देहरादून में रहने वाले हिंदू परिवारों की संपत्तियों और सरकारी भूमि को अपना बताते हुए दावा किया है। कुछ मामलों में तो इनके द्वारा गुपचुप तरीके से अपने नाम इन सम्पत्तियों को चढ़वा भी लिया गया है और ये संपत्तियां विवाद का विषय भी बन गई हैं।

दरअसल, देहरादून का सारा भूमि रिकॉर्ड 1956 से पहले का सहारनपुर की कमिश्नरी में दर्ज रहता था। पुरानी जमीनों के दस्तावेजों के लिए स्थानीय लोगों को सहारनपुर तहसील में जाना पड़ता था। इन जमीनों के दस्तावेज डीएम देहरादून सोनिका, देहरादून ले आई हैं। जिसके बाद से भू माफिया तंत्र में हड़कंप मचा हुआ है, खास तौर पर शत्रु संपत्तियों पर दावा करने वाले मुस्लिम भू-माफिया परेशान हैं।

आजादी के वक्त देहरादून से बहुत से मुस्लिम लोग पाकिस्तान चले गए और उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और इसे शत्रु संपत्ति बोला जाता है। बंटवारे के वक्त दोनों देशों की अंतरिम सरकारों में ये तय हुआ था कि जो अपने देश में जितनी जमीन छोड़कर गया उसे दूसरे देश यानी भारत वाले को पाकिस्तान में और पाकिस्तान वाले को भारत में जमीन दी जाएगी। जो भारत से पाकिस्तान चले गए उनकी देहरादून में संपत्ति थी, जिनमें एक नाम फैज मोहम्मद का भी था, जिनकी 5 बीघा जमीन बाद में सरकार द्वारा आईटीआई (गर्ल्स) को दे दी गई, जिसमें आज ये स्कूल और करनपुर थाना स्थापित है। खबर है कि इस जमीन के फर्जी वारिसान कागज सहारनपुर तहसील से तैयार करवाकर अपनी जमीन होने का दावा एक मुस्लिम ने कर दिया है। जब हंगामा हुआ तो वास्तविकता की खोज हुई।

करनपुर क्षेत्र के सभासद रहे विनय कोहली बताते हैं कि उक्त काबुल हाउस नाम की इस जमीन फैज मोहम्मद ने 1942 में अपनी बहन वजीरा बेगम को उनके निकाह में मेहर में दी थी। दोनों भाई-बहन पाकिस्तान चले गए। सरकार ने जमीन अपने कब्जे में ले ली और यहां अब सरकार की आईटीआई बिल्डिंग है। वजीरा की एक बहन देहरादून में शादी करके रहती थीं। वो भी 2001 में चल बसीं। अब इस सारी जमीन के वारिस पैदा हो गए हैं।

इसी तरह ब्रिटिश सरकार ने 1923 में राय साहब माधव राम को साढ़े 14 बीघा एक बगीचा दिया था। 90 साल की लीज पर कॉलोनी बनाने के लिए, वहां मकान बने आज भी वो मकान बने हुए हैं। इसी कॉलोनी के अंतर्गत तीन नाली कुछ बिस्वा जमीन खाली छोड़ी गई थी। टाउन एरिया या नगर पालिका यहां कूड़ा रखती थी। इस जमीन पर पिछले कुछ माहों से ताहिर हसन ने 1892 के भूमि दस्तावेजों के आधार पर ये दावा करना शुरू कर दिया है कि इस जमीन के साथ-साथ पूरी कॉलोनी पर उसका मालिकाना हक है, जबकि 1902 के कोर्ट के आदेश पर ये जमीन नगर पालिका के नाम चढ़ी हुई थी, जिसे ब्रिटिश हुकूमत ने माधवराम को लीज पर दिया था। अब 90 साल की लीज खत्म हुई तो ताहिर हसन जमीन अपनी बताने लगे। खबर ये भी है कि नगर निगम में जुगाड़ जंतर करके इस जमीन को उसने अपने नाम करवा लिया। जब शोर मचा तो ये नामांतरण रद्द किया गया। तत्कालीन डीएम मुरुगेशन ने इस पर जांच भी बैठा दी। आज भी इस जमीन पर कूड़ा गिरता है और यहां बंजारे किस्म के लोग झोपड़ी डालकर बैठे हुए हैं और उसके पीछे भू-माफिया संरक्षण दे रहे हैं।

इस मामले में स्थानीय निवासी एडवोकेट राजीव शर्मा बताते हैं कि सहारनपुर तहसील से ऐसे कागजात बनाकर लाए जा रहे हैं जिन्हें देखकर ये कहा जा सकता है कि देहरादून इन्हीं लोगों की जागीर है। खास बात ये है कि शासन-प्रशासन के लोग इस षड्यंत्र को अनदेखा करते रहे हैं। ये सोची समझी साजिश है। एडवोकेट शर्मा बताते हैं कि देहरादून का प्रेम नगर, मच्छी बाजार, करनपुर जैसे कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां विभाजन के बाद लोगों को लाकर यहां बसाया गया। ये वो क्षेत्र थे, जहां पहले मुस्लिम रहते थे और वो पाकिस्तान चले गए। अब उनके सौ साल से भी पुराने खाता खतौनी, खसरा, खेवट के आधार पर सहारनपुर से मुस्लिम आकर दावा करने लगे हैं कि ये जमीन जायदाद उनकी है, जबकि वो संपत्ति खसरा खेवट में बाद में कई बार बिक चुकी है। ये एक षड्यंत्र खेला जा रहा है और इसके पीछे देवबंद का दिमाग चल रहा है। जानकारी के मुताबिक फैज मोहम्मद के नाम से 1000 बीघा जमीन कैलेमनटाउन शिमला बाईपास में भी निकली थी। इस शत्रु संपत्ति पर सरकार का कब्जा होना चाहिए था। इस पर वर्तमान में किसने कब्जा कर रखा, है इसकी जांच यदि गंभीरता से की जाए तो इन षड्यंत्रों का खुलासा भी हो जाएगा।

भू-माफिया गिरोह की तरह हो रहा काम
सहारनपुर तहसील और देहरादून तहसील में शहर की खाली पड़ी सरकार की और निजी जमीनों पर सौ से डेढ़ सौ साल पुरानी जमीनों के नक्शे, खसरा, खेवट निकालकर फर्जी वारिसान दस्तावेज तैयार करके मालिकाना हक के दावे किए जा रहे हैं। इस गिरोह में तहसील के पुराने मुस्लिम रिटायर पटवारी और जमीनों के कानूनी जानकर लोग मिलकर काम कर रहे हैं। देहरादून में जमीनों के भाव आसमान पर हैं और ये भू-माफिया लोग हिंदू कब्जेदारों को कानूनी दांव पेचों में फंसाकर डर दिखा रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हुए सख्त
शत्रु संपत्ति पर दावे कर रहे लोगों की जांच पड़ताल करने और सख्त कारवाई करने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को निर्देशित किया है। सीएम धामी ने डीएम देहरादून को भी आदेश दिया है कि वो ऐसे मामलों को स्वयं देखकर रिपोर्ट दें और ऐसे भू-माफिया के खिलाफ गैंगस्टर, रासुका जैसी सख्त धाराओं में कारवाई करें।

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