आपको पता है कि पिछले दिनों मुंबई के आसपास जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन में आरपीएफ के ही एक जवान ने अपने एक अधिकारी के साथ ही अन्य तीन लोगों की हत्या गोली मार कर दी थी। इनमें एक असगर अली भी था। असगर अली जयपुर की भट्टा बस्ती का रहने वाला था। इस कांड को हैदाराबाद वाले ओवैसी ने मजहबी रंग देने का प्रयास किया था।
इसके बाद इस घटना को लेकर देश में ऐसी राजनीति शुरू हो गई है, जिसका दूरगामी परिणाम होने वाला है। घटना के बाद रेलवे ने कहा है कि सभी मृतकों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा। औपचारिकताएं पूरी होने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए कुछ समय बाद सभी मृतकों को मुआवजा मिल भी जाएगा। यह जानते हुए भी देश के कुछ मुसलमान नेता बहुत ही गैर—जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। यही नहीं, गत जुम्मे की नमाज के बाद जयपुर में हजारों मुसलमान सड़कों पर उतर आए। इस दौरान ‘अल्लाह हू अकबर’ जैसे नारों के साथ भीड़ ने आतंक पैदा करने का प्रयास किया। हंगामा कर रहे लोगों ने मांग की कि असगर अली को एक करोड़ रु, उसके आश्रित को सरकारी नौकरी और एक घर दिया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो एक हफ्ते के बाद जयपुर के मुसलमान फिर से सड़कों पर उतरेंगे और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे।
रैली के बाद मुसलमानों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री एवं रेल मंत्री को संबोधित मांगपत्र जिलाधिकारी को सौंपा। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम नेताओं ने भीड़ को उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुस्लिम परिषद संस्थान के अध्यक्ष यूनुस चोपदार ने कहा कि सरकार के प्रतिनिधि मृतक के घर जाकर सिर्फ तमाशा देख रहे हैं। मृतक के परिवार की दयनीय स्थिति को देखते हुए हमारी मांगें जल्दी से जल्दी मानी जाएं।
सूत्रों का कहना है कि असगर अली तो एक बहाना है, निशाने पर राजस्थान का विधानसभा चुनाव है। बता दें कि इस वर्ष के अंत में राजस्थान विधानसभा का चुनाव होने वाला है। इसलिए कहा जा रहा है कि कुछ मुस्लिम नेताओं ने ही असगर अली की आड़ में मुसलमानों को भड़काकर सड़कों पर उतार दिया। ये लोग राजस्थान की कांग्रेस सरकार का भयादोहन कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि अभी चुनाव सर पर सवार है। इसलिए जो भी मांग की जाएगी सरकार मान भी लेगी। ऐसे भी वर्तमान में राजस्थान में जो सरकार है, वह मुसलमानों का तुष्टीकरण करने में कभी पीछे नहीं रही है। इसलिए वहां के मुसलमानों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।
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