Gyanvapi survey: ज्ञानवापी परिसर में एएसआई द्वारा सर्वे पर हर भारतीय की नजर है। एएसआई की टीम जल्द ही ( जीपीआर ) ग्राउंड पेनिट्रेडिंग रडार तकनीक का सहारा लेगी। जीपीआर तकनीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की मदद से सिग्नल मिलते हैं। जो ये बताने में कारगर साबित होते हैं कि जमीन के नीचे किस आकर, आकृति, वस्तु का ढांचा है। इस तकनीक में खोदाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
रविवार को भी एएसआई की टीम सर्वे के लिए ज्ञानवापी पहुंची है। तहखानों की साफ-सफाई करा कर प्रकाश की व्यवस्था की गई है। मैपिंग, फ्रेमिंग और स्कैनिंग की जाएगी। पश्चिमी दीवार की भी साफ सफाई कराकर काफी साक्ष्यों को इकठ्ठा किया गया है। आंतरिक हिस्सों में सनातन धर्म से जुड़े कई प्रतीक चिन्ह मिले हैं। ज्ञानवापी की चहारदीवारी के सभी कोनों की नींव को भी एएसआई की टीम वैज्ञानिक तरीके से जांच रही है।
हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि गुम्बदों पर हाथ मारने से धप-धप की आवाज आ रही है। ऐसा लगता है, गुंबदों के अंदर कई राज छिपे हैं। इमारत के भीतर दीवारों और खंभों पर कई चिन्ह दिखे हैं। जिसकी फोटोग्राफी के साथ थ्री-डी इमेजिंग की जा रही है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि मिट्टी, ईट, पत्थर के नमूनों से निर्माण का कालखंड व उसकी उम्र का पता चलेगा। ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे जमीन के भीतर से काफी कुछ मिलने की संभावना है। हिंदू पक्ष प्राचीन मंदिर मिलने की संभावना भी जता रहा है।
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