नूंह की एसीजेएम अंजलि जैन अपनी तीन साल की बेटी और गनमैन सियाराम के साथ सोमवार दोपहर करीब एक बजे अपनी वोक्सवैगन कार से दवा खरीदने के लिए नलहर स्थित एसकेएम मेडिकल कॉलेज गयी थीं। मेडिकल कॉलेज से लौटते वक्त दिल्ली-अलवर रोड पर पुराने बस स्टैंड के पास करीब 100-150 दंगाइयों ने उनकी कार पर हमला कर दिया। कार के ऊपर गोलियां चलायी जा रही थीं। कार पर ताबड़तोड़ पत्थर गिर रहे थे। गाड़ी को आग लगा दी गई। वह किसी तरह अपनी तीन साल की बेटी को लेकर वहां से जान बचाकर भागीं। हिंसक भीड़ ने उनकी आंखों के सामने ही गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। न्यायाधीश, उनकी बेटी और कर्मचारियों को नूंह के पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में शरण लेनी पड़ी। उग्र भीड़ मां-बेटी को ढूंढने लगी लेकिन वह सफल नहीं हुई। बाद में कुछ अधिवक्ताओं ने उन लोगों को वहां से निकालकर उनकी जान बचायी। इस घटना की प्राथमिकी भी नूंह के एक थाने में दर्ज हुई है।
‘‘हम लोग जैसे ही मंदिर में दर्शन करके वापस हुए तो देखा हजारों की तादाद में उन्मादी भीड़ अराजकता कर रही थी। पल भर में ही आगजनी की जाने लगी। किसी तरह भागकर फिर से हमने मंदिर में शरण ली। देखते ही देखते जिहादियों ने गाड़ियों को फूंकना शुरू कर दिया। वे पेट्रोल बम का इस्तेमाल कर रहे थे। ’’ — प्रत्यक्षदर्शी
‘‘जिहादी रात का इंतजार कर रहे थे कि कै से शाम ढले और वे महिलाओं की इज्जत लूटें। वह भूखे भेड़ियों की तरह हिन्दुओं पर हमले कर रहे थे। हमने बड़ी मुश्किल से इज्जत बचाई है। हमने अपने भाइयों को अपने सामने मरते देखा है। आखिर हमारी यात्रा पर ही हमले क्यों होते? ’’— प्रत्यक्षदर्शी
‘‘यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी। माहौल आनंदमय था। लेकिन अचानक मंदिर के निकट उन पर पथराव किया जाने लगा। धीरे-धीरे आग की लपटें उठती दिखाई दीं। आगे चलती महिलाएं इससे घबरा गई। किसी तरह से हम सभी यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को सुरक्षित करने में लग गए। इतने में ही हमारे एक साथी को गोली लगी। मंदिर तक पर पत्थर आने लगे। गाड़ियां जलाई जाने लगीं। कुछ पल में ही 30 से ज्यादा गाड़ियों को जिहादियों ने खाक कर दिया। पहाड़ी के तीन तरफ चढ़कर कट्टरपंथी सीधे गोलीबारी करने लगे। हमारे साथी इसमें घायल भी हुए। जीवन में कभी ऐसा मंजर देखा नहीं था।’’ — प्रत्यक्षदर्शी
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