पड़ोसी इस्लामी देश की सत्ता में बैठे नेताओं का आपस में कोई तालमेल नहीं है। इसका एक ताजा उदाहरण सामने रखा है वहां की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने। अभी चार दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की भारत से वार्ता की उतावली दिखाते भाषण के बाद, अब हिना ने कहा कि जब तक कश्मीर में धारा 370 बहाल नहीं होती, तब तक भारत से कोई बात नहीं करेंगे। हिना शायद भूल गईं कि बातचीत की उतावली भारत को कतई नहीं है। भारत के लिए कश्मीर मुद्दा सिर्फ पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर को मुक्त कराने तक सीमित है। भारत के किसी प्रदेश में क्या करना है, उसकी हिना को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
पाकिस्तानी विदेश राज्य मंत्री की बेवजह की इस भाषा से साफ हो जाता है कि पाकिस्तान को ‘तरक्की’ नहीं ‘दहशतगर्दी को पालते’ में ज्यादा रुचि है। क्योंकि भारत की आंतकवाद को खत्म करके वार्ता की मेज पर आने की पेशकश पर कोई पाकिस्तानी नेता जिम्मेदारी से कुछ भी नहीं बोला है। यानी दिल में कुछ काला है।
पड़ोसी इस्लामी देश की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी की एक इंटरव्यू में कही गई उक्त बात से साफ है कि भारत से चार बार युद्ध में मुंह की खा चुके देश के नेताओं में समझ सिफर है। हिना रब्बानी ने पाकिस्तान की पत्रकार मुनीजा जहांगीर को दिए इस इंटरव्यू में धारा 370 को बातचीत से पहले ‘मुख्य शर्त’ बताया। हिना ने कहा कि भारत के जम्मू कश्मीर में धारा 370 की बहाली किए जाने से पहले उससे किसी भी मुद्दे पर बात नहीं करेंगे। अच्छा होता इस मौके पर मुनीजा उन्हें याद दिलातीं कि बातचीत के लिए उतावले उनके ही प्रधानमंत्री हो रहे हैं, भारत नहीं।
मोदी सरकार अनेक अवसरों पर साफ बता चुकी है। वह बता चुकी है कि सरकार अब बस कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तनी कब्जे वाले अपने हिस्से को मुक्त कराने तक ही मानती है। अभी पिछले दिनों जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में जी20 के सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ था जिसमें अनेक विदेशी प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
शाहबाज शरीफ ने हाल में इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में साफ कहा था कि वे चाहते हैं, भारत से बात शुरू हो। इसके पीछे वजह बताते हुए उन्होंने कहा था कि ‘मुल्क की तरक्की उनकी प्राथमिकता है जिसके लिए वे किसी से भी बात करने को तैयार हैं, यहां तक कि पड़ोसी देश यानी भारत से भी’। या तो हिना अपने ही प्रधानमंत्री के बयान को नहीं समझीं अथवा उनकी राजनीतिक समझ में कोई खोट है। पाकिस्तान की सत्ता में बैठे दो नेताओं की विदेश नीति की समझ में विरोधाभास दर्शाता है कि पाकिस्तान में सत्ता अधिष्ठान की दोहरी सोच है।
सनद के लिए यहां बता दें कि भारत ने अपने अभिन्न अंग जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को धारा 370 और 35ए हटा दी थी। यह वही धारा थी जिसने उस प्रांत को अशांत, पिछड़ा और अलगाववादी मानसिकता में रहते आने को विवश किया था। भारत के उस व्यापक सराहने पाने वाले कदम को आज 4 साल पूरे हुए हैं।
इस महत्वपूर्ण कदम को उठाने की वजह और उसके बाद वहां लौट रही खुशहाली के संबंध में मोदी सरकार अनेक अवसरों पर साफ बता चुकी है। वह बता चुकी है कि सरकार अब बस कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तनी कब्जे वाले अपने हिस्से को मुक्त कराने तक ही मानती है। अभी पिछले दिनों जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में जी20 के सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ था जिसमें अनेक विदेशी प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
जम्मू—कश्मीर में खुशहाली लौटने से बेहद आहत षड्यंत्रकारी पाकिस्तान की दुनिया में असली सूरत सामने आ चुकी है। वहां भाड़े के आतंकवादी भेजकर अशांति फैलाने और मासूम कश्मीरियों की हत्या से माहौल में दहशत पैदा करने की उसकी साजिश के बारे में आज दुनिया जान गई है। लेकिन तो भी अपने यहां के कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए और संभवत: अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए वह बार बार कश्मीर का राग अलापता है, जिसे अब दुनिया के किसी भी मंच पर कोई मोल नहीं देता।
टिप्पणियाँ