रजाउल ने पीड़िता को धमकी देते हुए कहा— “चमार हो, औकात में रहो, नहीं तो बस्ती भी जल जाएगी”

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संजीव कुमार

किशनगंज में एक हिंदू लड़की, जो चर्मकार जाति से है, का बलात्कार करने की कोशिश हुई। पीड़िता ने किसी प्रकार अपनी रक्षा की। पुलिस के पास मामला पहुंचा तो आरोपी ने धमकी दी कि ‘चमार हो, औकात में रहो, नहीं तो बस्ती जला दी जाएगी।’ घटना के 5 दिन बाद भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है।

मामला किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड की पटेसरी पंचायत के अंतर्गत सोना चांदी ग्राम के वार्ड संख्या 3 का है। बताया जा रहा है कि 31 जुलाई को अमला देवी अपने भांजे की मृत्यु के कारण सपरिवार सालगुड़ी चली गई थी। घर की देखभाल के लिए 20 वर्षीया पुत्री थी। 31 जुलाई को दिन के करीब 3 बजे मो. रजाउल अब्बा दिवंगत मो. मैनुद्दीन, उसके घर में घुस गया। रजाउल भी इसी गांव के वार्ड संख्या 7 का निवासी है। रजाउल ने लड़की को कमरे में बंद कर दुष्कर्म करने की कोशिश की। लड़की की चीख—पुकार सुनकर पड़ोस में मेहमान के रूप में आई पूजा देवदूत बनकर सामने आई। उसने पूजा को दरिंदे के चंगुल से छुड़ाया और बाहर से कुंडी भी लगा दी। दुष्कर्म में असफल होने और कमरे में बंद होने के बाद रजाउल जोर—जोर से चिल्लाने लगा। वह धमकी दे रहा था, ”कुंडी खोलो नहीं, तो इन चमारों को देख लूंगा।” वह इनकी बस्ती में आग लगने की धमकी भी दे रहा था। इसी बीच वार्ड संख्या 3 में रहने वाला अब्दुल हुसैन का पुत्र मजहर आलम वहां आ गया। उसने दरवाजे की कुंडी खोलकर रजाउल को आजाद करा दिया। कुंडी खोलने के बाद रजाउल और आक्रामक हो गया है। पीड़िता के परिजन सहमे हुए हैं। पीड़िती की मां ने ठाकुरगंज थाने में एफ आई आर दर्ज कराकर आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।

किशनगंज नगर परिषद के मुख्य पार्षद इंद्रदेव पासवान ने इस घटना को प्रशासनिक विफलता बताया है। उनका मानना है, “पीड़िता को न्याय मिलना चाहिए। मामले में थाना प्रभारी सख्त कार्रवाई करें, अन्यथा अत्याचार के विरुद्ध चरणबद्ध आंदोलन के लिए हिंदू समाज बाध्य होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने को दलितों का मसीहा कहते हैं, लेकिन उनके शासन में दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं। दुष्कर्म की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार मामले का संज्ञान लेकर संबंधित विभाग को निर्देशित करे। इस जिले के लिए यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई घटनाएं घट चुकी हैं, लेकिन प्रशासनिक लीपापोती से दबा दी जाती हैं।

 

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