#सराहन : बर्फीले पहाड़ों के बीच काष्ठ मन्दिर
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

#सराहन : बर्फीले पहाड़ों के बीच काष्ठ मन्दिर

हिमाचल प्रदेश में सतलुज के किनारे-किनारे हिंदुस्थान-तिब्बत सड़क पर सराहन कस्बे में बर्फीले पहाड़ों के बीच माता भीमाकाली का अत्यंत सुंदर काष्ठ मंदिर लोगों में श्रद्धा जगाता है

by सुरेश्वर त्रिपाठी
Aug 4, 2023, 06:01 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पहाड़ी नदियों का एक अलग ही सौन्दर्य होता है जो आपको अपनी ओर खींचता है। इस सड़क को हिंदुस्थान-तिब्बत रोड भी कहते हैं, जो तिब्बत की सीमा तक जाती है।

हम पांच लोग सुबह तैयार होकर शिमला से आगे चले। किन्नौर की लम्बी यात्रा पर चले। 12 बजे लगभग 60 किलोमीटर दूर हम नारकण्डा पहुंचे। नारकण्डा के बाद सड़कें नीचे की ओर ले जाती हैं और कुछ दूर बाद ऐसा लगता है जैसे हम फिर मैदान में वापस आ गये हों। तापमान भी नारकण्डा के आगे बढ़ने लगता है। कुछ दूर आगे जाकर हमें सतलुज नदी मिली। हम जिस सड़क से यात्रा कर रहे थे, वह अठखेलियां करती सतलुज के समानान्तर ही चल रही थी। उल्लेखनीय है कि पहाड़ी नदियों का एक अलग ही सौन्दर्य होता है जो आपको अपनी ओर खींचता है। इस सड़क को हिंदुस्थान-तिब्बत रोड भी कहते हैं, जो तिब्बत की सीमा तक जाती है।

सुरेश्वर त्रिपाठी
(लेखक यायावर,साहित्यकार और फोटोग्राफर हैं)

आगे दत्त नगर पड़ा। यहां अत्यन्त प्राचीन काल में बना भगवान दत्तात्रेय का मन्दिर है। हम सभी लोग सड़क से थोड़ा अन्दर सतलुज नदी की ओर चले तो हमें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मन्दिर दिखाई दिया। मशहूर यायावर राहुल सांकृत्यायन ने अपनी एक पुस्तक में इस मन्दिर का जिक्र किया है। हमने निर्णय लिया कि आगे सराहन नाम की जगह है जहां भीमाकाली का बहुत ही प्रसिद्ध मन्दिर है, रात्रि विश्राम वहीं करेंगे। रास्ते में रामपुर शहर मिला।

बुशहर राज्य के राजा राम सिंह ने रामपुर को अपनी राजधानी बनाया था। हमें सराहन पहुंचना था, इसलिये हम बिना रुके आगे बढ़ गये। ऐसी मान्यता है कि दक्ष प्रजापति के यज्ञ के समय सती का कान यहां आकर गिरा था इसी कारण इसे 51 पीठों मे से एक पीठ का दर्जा प्राप्त है। यह मन्दिर पूरी तरह लकड़ी से बना हुआ है। इसके स्थान पर नये मन्दिर का निर्माण किया गया है जो हू-ब-हू प्राचीन मन्दिर जैसा ही है। सराहन पहुंचते-पहुंचते शाम हो गयी थी। मन्दिर के अतिथि गृह में ही हमें कमरे मिल गये।

सामने बर्फीले पहाड़ों के बीच श्रीखण्ड चोटी दिखाई दे रही थी। हम सब प्रकृति के इस रूप को देखकर अभिभूत थे। मुंह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे। मई के महीने में ही तापमान इतना कम था कि गरम कपड़ों में भी ठंड महसूस हो रही थी। रात के चलते दर्शन करना सम्भव नहीं था, इसलिए हमने सुबह दर्शन करने का निर्णय लिया। बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए बर्फबारी और बर्फसे ढके पहाड़ भले ही रोमांच पैदा करते हों पर यहां के निवासियों को बहुत कठिन समय बिताना पड़ता है। उन्हें सर्दियों के लिए पहले से ही खाने-पीने की वस्तुओं और ईंधन की व्यवस्था करनी पड़ती है। भीमाकाली मन्दिर परिसर में ही एक भोजनालय में हम सबने रात का खाना खाया और सोने चले गए।

अगले दिन सुबह उठकर नहा-धोकर, पूजा-पाठ कर हम माता भीमाकाली के दर्शन के लिए निकले। अत्यन्त कलात्मक ढंग से बना लकड़ी का विशाल मन्दिर मन में श्रद्धाभाव जगा रहा था। सबसे ऊपरी तल पर देवी की मूर्ति स्थापित थी। आरती की तैयारी चल रही थी। हम सब आरती और पूजा-अर्चना के पूरा होने तक हाथ जोड़े श्रद्धा से अभिभूत हो खड़े रहे। फिर प्रसाद ग्रहण करके वापस आ गये। मन्दिर के प्रांगण में ही तीन अन्य मन्दिर थे जो भगवान रघुनाथ, नृसिंहजी और पातालभैरवजी के थे। आगे शोनठोंग नामक जगह पर अतिथि भवन के कमरे हमारे लिए आरक्षित थे, इसलिए हमें हर हाल में वहां तक तो चलना ही था। खैर, हम सराहन से उतर कर जेवरी कस्बे से फिर हिंदुस्थान-तिब्बत रोड पर आगे बढ़ गए।

(लेखक यायावर,साहित्यकार और फोटोग्राफर हैं)

Topics: Hindustan-Tibet Roadभगवान दत्तात्रेय का मन्दिरहिंदुस्थान-तिब्बत रोडमाता भीमाकालीTemple of Lord DattatreyaMata Bhimakaliwooden temple amidst snowy mountainsबर्फीले पहाड़ों के बीच श्रीखण्ड चोटी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

खतरनाक रास्ते, अजीब नाम, दुर्लभ दृश्य

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Tarrif War and restrictive globlization

प्रतिबंधात्मक वैश्वीकरण, एक वास्तविकता

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies