पश्चिमी हिस्से में रोहिंग्या घुसपैठ की सूचनाएं मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां तेजी से कार्रवाई में जुट गई है। खुफिया एजेंसियों को इस बात के इनपुट पहले से मिल रहे हैं कि अलकायदा और आईएसआईएस जैसे खतरनाक आतंकी गुटों की घुसपैठ दक्षिणी एशिया में भी है और इनकी आतंकवादी गतिविधियों के बांग्लादेश-म्यांमार में मौजूद होने की सूचनाएं हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संवेदनशील इलाकों में रोहिंग्या घुसपैठ के मामलों के सामने आने से पुलिस और गुप्तचर एजेंसियां तनाव में हैं। उ.प्र. एटीएस की छापेमारी में 16 महिलाओं समेत 74 रोहिंग्या मुसलमान पकड़े गये हैं। रोहिंग्या घुसपैठ को लेकर योगी प्रशासन के तेवर सख्त हैं और राज्य के दूसरे इलाकों में भी संदिग्धों की खोज में तलाशी अभियान जारी हैं।
गुप्तचर एजेंसियों के जरिये राज्य के पश्चिमी हिस्से में रोहिंग्या घुसपैठ की सूचनाएं मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां तेजी से कार्रवाई में जुट गई है। खुफिया एजेंसियों को इस बात के इनपुट पहले से मिल रहे हैं कि अलकायदा और आईएसआईएस जैसे खतरनाक आतंकी गुटों की घुसपैठ दक्षिणी एशिया में भी है और इनकी आतंकवादी गतिविधियों के बांग्लादेश-म्यांमार में मौजूद होने की सूचनाएं हैं।
ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि रोहिंग्या मुसलमानों में भी आतंकी संगठनों की जड़ें हो सकती हैं। राजधानी दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ की कहानी पहले से चिंता का सबब रही है। ऐसे में इस समस्या के विकराल होने से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार हरकत में आ गयी है।
पिछले वर्ष दिल्ली में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने मदनपुर खादर में रोहिंग्याओं के कब्जे को हटाने के लिए बुलडोजर चलवाया था। अब राज्य के पुलिस महानिदेशक विजय कुमार के निर्देश पर पुलिस के साथ एटीएस रोहिंग्या की तलाश में विशेष अभियान चलाने में जुटी है।
उ.प्र. एटीएस ने हाल में मथुरा, गाजियाबाद, अलीगढ़, हापुड़ और सहारनपुर जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी कर 74 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है। उसने इस अभियान में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के साथ संबंधित जिलों में एफआईआर भी दर्ज कराई हैं। एटीएस प्रवक्ता के मुताबिक, छापामारी में सबसे अधिक 31 रोहिंग्या मथुरा से पकड़े गये हैं। मथुरा में ये सभी आगरा-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांव अल्हेपुर और कोटा के पास बड़ी झुग्गी-बस्ती बना कर रह रहे थे।
पुलिस के मुताबिक, पकड़े गये रोहिंग्या मुस्लिम परिवार म्यांमार सीमा से अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुए थे और छिपने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाकर रहने लगे। इनमें ज्यादातर ने कबाड़ का काम शुरू कर दिया था। बता दें कि यूपी पुलिस और एटीएस ने कुछ माह पहले इसी तरह से आगरा में छापामारी कर कई बांग्लादेशी घुसपैठियों पर शिकंजा कसा था, जो अवैध रूप से बस्तियां बसाने में जुटे थे और कबाड़ का काम कर रहे थे। चौंकाने वाली बात यह है कि घुसपैठियों ने फर्जी दस्तावेज भी बनवा लिये थे, जिनके जरिए वे खुद को स्थानीय नागरिक बताते थे और आसानी से पहचान में नहीं आते थे।
रोहिंग्या घुसपैठियों के पकड़े जाने के बाद पुलिस और गुप्तचर एजेंसियां उनके मददगारों की तलाश में जुटी हैं। राज्य के संवेदनशील शहरों में रोहिंग्याओं के मांस निर्यात से जुड़े होने की सूचनाएं मिलती रही हैं। कहा जाता है कि मांस फैक्टरियों में बगैर पड़ताल के ऐसे लोगों को आसानी से काम मिल जाता है। अब घुसपैठियों को लेकर पुलिस-प्रशासन के सख्त होने से मांस फैक्टरियों में भी पड़ताल शुरू हो गई है। जांच के बाद रोहिंग्या घुसपैठ का सच सामने आया है अलीगढ़ से ऐसे 17 लोग गिरफ्तार किये गये हैं जो अवैध तरीके से बार्डर पार कर शहर में आ बसे थे।
घुसपैठ से बढ़ी मुस्लिम आबादी
सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम जनसंख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह स्थिति सीधे तौर पर अवैध घुसपैठ की ओर इशारा करती है। उत्तर प्रदेश और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों में कुछ ही साल के अंदर मुस्लिम आबादी में बेतहाशा वृद्धि के प्रमाण मिले हैं। ग्राम पंचायतों के अपडेट आंकड़ों से सुरक्षा एजेंसिया चिंता में हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में इस तरह से जनांकिकी परिवर्तन को सिर्फ आबादी बढ़ने का मसला नहीं माना जा सकता, बल्कि इसके पीछे भारत में घुसपैठ का नया षड्यंत्र भी हो सकता है।
शंका-आशंका के बीच उत्तर के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। उत्तर प्रदेश की 570 किमी सीमा नेपाल से सटी है। सीमावर्ती जिलों पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और महराजगंज के सीमावर्ती ग्रामों में जनसंख्या वृद्धि की कहानी राज्य के दूसरे हिस्सों के मुकाबले बेहद चिंताजनक है। यहां के 116 गांवों में मुस्लिम आबादी कुछ ही साल में बढ़कर 50% से ज्यादा हो गई है। 303 गांव ऐसे हैं, जहां मुस्लिम जनसंख्या 30 से 50% के बीच हो चुकी है।
इन सीमावर्ती जिलों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2022 तक 25% बढ़ी है। 2018 में यहां 1,349 मस्जिदें और मदरसे थे, जो अब बढ़कर 1700 से अधिक हो गये हैं। सामाजिक एवं स्थानीय बुद्धिजीवियों की नजर में सीमावर्ती क्षेत्रों में वर्ग विशेष की जनसंख्या बढ़ने को सीधे तौर पर सीमा पार से घुसपैठ से जोड़कर देखा जा रहा है। नेपाल सीमा से मादक पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी के मामले भी उत्तर प्रदेश में लगातार सामने आते रहे हैं। नेपाल सीमा पर सुरक्षा का दायित्व एसएसबी के जिम्मे है, लेकिन सैकड़ों किमी लंबा खुला बॉर्डर होने से घुसपैठ पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पा रही।
सीमावर्ती क्षेत्रों की चिंता के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मथुरा, हापुड़, मेरठ, सहारनपुर और गाजियाबाद जिलों में रोहिंग्या घुसपैठ की सूचनाएं राज्य प्रशासन के लिए नये तनाव का कारण हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले पूर्व में आतंकी एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को लेकर संवेदनशील रहे हैं। कन्वर्जन, लव जिहाद जैसे षड्यंत्र पश्चिमी पट्टी में सबसे ज्यादा सामने आते हैं। हाल में गाजियाबाद-नोएडा में कन्वर्जन की ऐसी साजिश का भंडाफोड़ हुआ है, जिसके तार पाकिस्तान और नेपाल से जुड़े होने के प्रमाण सामने आये हैं। हिन्दू युवाओं को बरगलाकर उनका कन्वर्जन कराने और इस्लामिक कट्टरपंथ के साथ उनको जिहादी राह पर ले जाने की कोशिशें लगातार हो रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकती थी।
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