सन् 2019 में उसने 53 क्यूबिट्स के क्वान्टम कंप्यूटर प्रॉसेसर के विकास की घोषणा की थी। साइकामोर नामक उस प्रॉसेसर या चिप ने तीन मिनट बीस सैकंड में ऐसी गणनाएं कर दिखाई थीं
आईटी दिग्गज गूगल ने कुछ दिन पहले 70 क्यूबिट के नये क्वान्टम कंप्यूटर के बारे में जानकारियां साझा की हैं। सन् 2019 में उसने 53 क्यूबिट्स के क्वान्टम कंप्यूटर प्रॉसेसर के विकास की घोषणा की थी। साइकामोर नामक उस प्रॉसेसर या चिप ने तीन मिनट बीस सैकंड में ऐसी गणनाएं कर दिखाई थीं जिन्हें पूरा करने में दुनिया के सबसे ताकतवर सुपर कंप्यूटर ‘समिट सिस्टम’ को दस हजार साल लगते। नया क्वान्टम कंप्यूटर कितना तीव्र होगा, इसका अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि वह साइकामोर की तुलना में ‘24.10 करोड़ गुना’ शक्तिशाली है।
हमारा साधारण कंप्यूटर ही आज बहुत शक्तिशाली हो गया है और फिर सुपरकंप्यूटरों के तो कहने ही क्या! लेकिन क्वान्टम कंप्यूटर के सामने 200 पीटाफ्लॉप क्षमता वाला, विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर ‘समिट सिस्टम’ किसी डायनोसोर के समक्ष चींटी के समान है। 200 पीटाफ्लॉप को आप ऐसा-वैसा मत समझिए क्योंकि इसका मतलब है एक सैकंड में 200,000,000,000,000,000 (फ्लोटिंग प्वाइंट) जटिल गणनाएं करने में सक्षम कंप्यूटर। कल्पना कीजिए कि जो क्वान्टम कंप्यूटर इसकी तुलना में करोड़ों गुना शक्तिशाली हो, वह कैसा होगा!
क्वान्टम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दोनों के काम करने का तरीका, उनके विकास की पद्धति, उद्देश्य आदि अलग-अलग हैं लेकिन दोनों ही इतने अधिक शक्तिशाली हैं जिसकी कोई थाह नहीं। क्वान्टम कंप्यूटरों को लेकर जो चिंताएं सामने आ रही हैं, वे रोजगार के खो जाने, मानवीय मेधा के कुंद हो जाने या नैतिकता के क्षरण जैसी चिंताएं नहीं हैं। वे चिंताएं दूसरी हैं।
किंतु गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और ऐसे ही बड़े वैश्विक आईटी दिग्गज क्वान्टम कंप्यूटिंग में भारी निवेश कर रहे हैं और आज नहीं तो कल, हमारी दुनिया में क्वान्टम कंप्यूटरों का आगमन हो ही जाएगा। वैसे ही जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में अभी हम विश्वास-अविश्वास के बीच झूल ही रहे थे कि वह हमारे बीच जोरदार धमाके के साथ आ धमकी।
गूगल की ताजा घोषणा के बाद क्वान्टम कंप्यूटरों के बारे में एक ओर उत्साह का वातावरण है तो दूसरी ओर चिंताएं भी सामने आ रही हैं। आप पूछेंगे- ‘चिंताएं? क्या यहां भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ही जैसा कुछ है?’ नहीं, क्वान्टम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दोनों के काम करने का तरीका, उनके विकास की पद्धति, उद्देश्य आदि अलग-अलग हैं लेकिन दोनों ही इतने अधिक शक्तिशाली हैं जिसकी कोई थाह नहीं। क्वान्टम कंप्यूटरों को लेकर जो चिंताएं सामने आ रही हैं, वे रोजगार के खो जाने, मानवीय मेधा के कुंद हो जाने या नैतिकता के क्षरण जैसी चिंताएं नहीं हैं। वे चिंताएं दूसरी हैं।
आज दुनिया में डिजिटल तकनीकों को सुरक्षित रखने में क्रिप्टोग्राफी की महत्वपूर्ण भूमिका है। आपके और हमारे डेटा को कूट संकेतों में बदलकर सहेजा जा सकता है और उसी रूप में वह इंटरनेट जैसे माध्यमों पर यात्रा करता है ताकि कोई अन्य व्यक्ति यदि उसमें सेंध भी लगा ले तो इन कूट संकेतों को समझ न सके। क्वान्टम कंप्यूटरों के लिए इन कूट संकेतों को डिकोड करना बच्चों के खेल के समान है।
चीन जैसे देश, जो डंके की चोट पर वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध, हैकिंग और साइबर युद्ध की गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं, उनके हाथ में साइबर हमलों की ऐसी शक्ति आ सकती है जिसका समाधान शायद दशकों तक न मिल पाए।
जिस तरह परमाणु शक्ति का प्रयोग अच्छे और बुरे दोनों कामों के लिए हो सकता है, उसी तरह आपराधिक प्रवृत्ति वाली शक्तियों, देशों आदि के हाथों में क्वान्टम कंप्यूटिंग की अपरिमित शक्ति आने का अर्थ यह होगा कि वे इसका प्रयोग करके वैश्विक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाएंगे। चीन जैसे देश, जो डंके की चोट पर वैश्विक स्तर पर साइबर अपराध, हैकिंग और साइबर युद्ध की गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं, उनके हाथ में साइबर हमलों की ऐसी शक्ति आ सकती है जिसका समाधान शायद दशकों तक न मिल पाए।
इन कंप्यूटरों को बेहद ठंडा तापमान चाहिए और इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक बिजली। बड़े पैमाने पर इनका प्रयोग धरती के पर्यावरण के लिए चुनौती बन सकता है। और हां, क्वान्टम सक्षम देशों की संख्या गिनी-चुनी रहने वाली है। ऐसे में यही कंप्यूटर दुनिया में बहुत बड़े डिजिटल विभाजन और सामरिक असमानता का माध्यम बन सकते हैं।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट में ‘निदेशक- भारतीय भाषाएं
और सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं)
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