म्यांमार की फौजी सत्ता ने लोकतंत्र समर्थक के रूप में मशहूर नेता आंग सान सू की सजा माफ कर दी है। लेकिन वे अभी जेल से बाहर नहीं आने वाली हैं। आंग सान के विरुद्ध 19 जुर्म दर्ज किए गए थे जिनमें से 5 मामलों में उनकी सजा माफ कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2021 से अपदस्थ नेता आंग सान को जेल में नजरबंद रखा हुआ है। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, फौजी सत्ता ने सिर्फ आंग सान सू को ही माफी नहीं दी है बल्कि कुल्की सात हजार लोगों को आम माफी दी गई है। लेकिन, जैसा पहले बताया, लोकतंत्र समर्थक आंग को अभी नजरबंदी से रिहा नहीं किया जाएगा, उन्हें अभी ‘हाउस अरेस्ट’ के अंतर्गत ही रखा जाने वाला है।
2021 में जब उन्हें फौज ने कुर्सी से हटाकर नजरबंद किया था तब उन पर 19 अभियोग लगाए गए थे। उन कुल 19 में से 5 आरोपों में उनकी सजा माफ की गई है। आंग सान को कुल मिलाकर 33 साल की सजा दी गई है। उस सजा में से कुल 6 साल की सजा ही माफ की गई है।
आंग सान के साथ ही, उस देश के पूर्व राष्ट्रपति विन मिंट को भी 2 आरोपों में मुक्त किया गया है। मिंट की सजा में भी दो साल कम कर दिए गए हैं लेकिन अभी भी उन्हें 12 साल जेल में काटने होंगे। रिपोर्ट है कि म्यांमार की फौजी सरकार ने राजधानी नॉयपिड में बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा का उद्घाटन किया है, उसी अवसर पर नेताओं व अन्य विरोधियों को फौजी सत्ता ने माफी दी है। कुल मिलाकर सजा प्राप्त 7,800 कैदियों को माफी देने की घोषणा की गई है।
2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। उस चुनाव में आंग सान सू की लोकतंत्र समर्थक पार्टी को बहुमत मिला था। उस वक्त देश पर फौजी शासन था। आंग सान के चुनाव जीतने के बाद, फौज को कुर्सी खाली करनी पड़ी थी। लेकिन ज्यादा दिन नहीं बीते कि लोकतंत्रवादियों के लिए सेना ने मुश्किलें खड़ी कर दीं। अगले ही साल फरवरी में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट करके आंग सान सू के साथ ही उनकी लोकतंत्र समर्थक पार्टी ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ के लगभग सभी बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया।
फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ करके कुर्सी पर आई फौजी हुकूमत ने उस समय म्यांमार के अधिकांश नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था। कुछ को उनके घर में ही नजरबंद किया गया था। गत दिसंबर में आंग सान सू की सजा में और सात साल जोड़े गए हैं। इस तरह अब उनकी सजा 26 साल की बजाय 33 साल की हो गई थी, लेकिन अब इसमें से छह साल की सजा कम हो गई है।
उल्लेखनीय है कि 2020 में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। उस चुनाव में आंग सान सू की लोकतंत्र समर्थक पार्टी को बहुमत मिला था। उस वक्त देश पर फौजी शासन था। आंग सान के चुनाव जीतने के बाद, फौज को कुर्सी खाली करनी पड़ी थी। लेकिन ज्यादा दिन नहीं बीते कि लोकतंत्रवादियों के लिए सेना ने मुश्किलें खड़ी कर दीं। अगले ही साल फरवरी में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट करके आंग सान सू के साथ ही उनकी लोकतंत्र समर्थक पार्टी ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ के लगभग सभी बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया।
इसके फौरन बाद यानी फरवरी 2021 में तख्तापलट करते ही सेना ने म्यांमार में एक साल के लिए इमरजेंसी लागू कर दी थी। आगे चलकर इसे और बढ़ा दिया गया। पिछले ही दिनों इसे चौथी बार बढ़ाया गया है और वह भी छह महीने के लिए। इस इमरजेंसी को लेकर अमेरिका की कड़ी प्रतिक्रिया आ चुकी है। वहां के विदेश विभाग ने इमरजेंसी को बढ़ाने का विरोध करते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है। अमेरिका का मानना है कि म्यांमार में फौजी शासन ने देश में हिंसा तथा अस्थिरता पैदा कर दी है।
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