पानी की तरह विज्ञापनों पर पैसे बहाकर अपनी छवि चमकाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोल उनके ही लोग खोल रहे हैं। सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने ‘लाल डायरी’ और अजमेर दुष्कर्म में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाये हैं।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव में महज तीन महीने बचे हैं। जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कांग्रेस सरकार की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। पानी की तरह विज्ञापनों पर पैसे बहाकर अपनी छवि चमकाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोल उनके ही लोग खोल रहे हैं। सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने ‘लाल डायरी’ और अजमेर दुष्कर्म में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाये हैं।
गुढ़ा की ओर से उछाले गये 500 करोड़ रुपये के लेनदेन वाली लाल डायरी के प्रकरण ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। डायरी में छिपे राज को बाहर लाने की मांग उठाकर भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को घेर रही है। इस नये घटनाक्रम के बाद भाजपा लगातार यह स्थापित करने में जुटी है कि गहलोत सरकार में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। भाजपा नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा मय दस्तावेज के भ्रष्टाचार के कई मामलों की शिकायत एजेंसियों से कर चुके हैं।
प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा भी सवाल उठाती आयी हैं। हाड़ौती अंचल से आने वाले विधायक भरत सिंह भी सरकार को कई बार खरी-खोटी सुना चुके हैं। अब लाल डायरी और अजमेर- 92 राजस्थान में सियासी मुद्दा बन गये हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ इस डायरी में मुख्य किरदार बताये गये हैं। कुशासन, बदहाल कानून व्यवस्था, पेपर लीक, युवाओं से वादाखिलाफी, किसानों से कर्जमाफी के नाम पर वादाखिलाफी, महिला उत्पीड़न- असुरक्षा, दलित- वनवासी उत्पीड़न, तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर गहलोत सरकार पहले से ही विपक्ष के निशाने पर है।
अजमेर कांड में गहलोत की भूमिका
राजेंद्र गुढ़ा का आरोप है कि वर्ष 1992 में अजमेर ब्लैकमेल दुष्कर्म कांड में अशोक गहलोत तत्कालीन पुलिस अधीक्षक से मिलने पहुंचे थे। एसपी को उपकृत करते हुए उसे सात बार प्रोन्नति देते हुए फील्ड पोस्टिंग दी गई। तीन पुलिस अधिकारियों को साथ मिलाया गया। मेरे पास पांच पेज की रिपोर्ट है। समय आने पर खुलासा करूंगा। उल्लेखनीय है कि अजमेर में 1992 में सैकड़ों लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनके साथ बलात्कार किया गया, परंतु आरोपी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रसूख वाले थे। इसलिए उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पीड़िताओं को तीन दशक बीतने के बावजूद न्याय नहीं मिला। पीड़िताएं आज भी न्याय के लिए दर- दर की ठोकरें खा रही हैं। इसी विषय पर अजमेर-92 फिल्म बनी है। मीडिया में इस कांड का खुलासा होने के बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था। जांच के बाद अजमेर शहर युवा कांग्रेस अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के साथ-साथ कई रसूखदारों के नाम सामने आये। अजमेर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती मामले के मास्टरमाइंड थे। इस पूरे मामले की जांच सीआईडी को सौंपी गयी थी।
गहलोत को चुभे गुढ़ा के बोल
कांग्रेस देशभर में मणिपुर की घटना को लेकर आंदोलन चला रही है। ऐसे में गहलोत सरकार में राज्य मंत्री रहे राजेन्द्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही सरकार को आईना दिखा दिया। उन्होंने कहा, ‘मणिपुर के बजाय हमें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, क्योंकि राजस्थान में हम महिलाओं की सुरक्षा में विफल हो गये। राजस्थान आज महिलाओं से दुष्कर्म में नंबर वन पर आ गया।’ हालांकि इससे पहले भी गुढ़ा कई बार अपनी सरकार पर हमला बोल चुके थे, जिससे सरकार की किरकिरी हुई थी या फिर वे विवाद का कारण बने थे। इस बार महिला सुरक्षा को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने वाले गुढ़ा को कुछ ही घंटों में बर्खास्त कर दिया गया। वे गहलोत सरकार में सैनिक कल्याण राज्य मंत्री थे। इसके बाद अगले दिन गुढ़ा सदन में लाल डायरी लेकर पहुंचे, जिसकी चर्चा देशभर में हो रही है। गुढ़ा कहते हैं- ‘मैंने इस सरकार का 2008 और 2018 में संकट के वक्त साथ दिया।’ गुढ़ा लाल डायरी को सदन के पटल पर रखने गये थे लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों ने उन्हें लात-घूंसे मारे। जबरन सदन से बाहर निकाला गया।
लाल डायरी का एक हिस्सा छीन लिया गया लेकिन उन्होंने दावा किया कि उनके पास एक हिस्सा बाकी है, जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों के सारे कारनामे लिखे हुए हैं। गुढ़ा ने कहा कि जब कांग्रेस पर संकट आया था, ईडी और आयकर विभाग की टीमें कार्रवाई कर रही थीं, तब मुख्यमंत्री ने उन्हें बुलाकर कहा था कि उनके करीबी धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ के घर से वह लाल डायरी लेकर आओ। अगर वह लाल डायरी नहीं आयी तो वे बर्बाद हो जाएंगे, यह सरकार गिर जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काम सिर्फ तू ही कर सकता है। वे उनके कहने पर मुख्यमंत्री के करीबी धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ के बंद घर से खिड़की तोड़कर कांग्रेस नेता रामलाल और धीरज गुर्जर के साथ अपनी जान जोखिम में डालकर लाल डायरी लेकर आये लेकिन उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। गुढ़ा का आरोप है कि इस लाल डायरी में गहलोत सरकार के वे राज छिपे हैं, जो अगर बाहर आ जाते तो गहलोत सरकार गिर सकती थी।
गहलोत के गृह जिले में सामूहिक हत्या और बलात्कार
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राज में कानून-व्यवस्था की क्या हालत है, इसका पता उनके गृह जिले जोधपुर में हाल में हुई वारदातों से चलता है। यहां बीती 18 जुलाई की रात एक सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया गया। इसमें छह महीने की मासूम सहित एक ही परिवार के चार लोगों को गला काट कर मार डाला गया। वारदात के वक्त हत्यारों ने घर में सोते लोगों का पहले गला काट, फिर शवों को घसीट कर आंगन में ले गये और आग लगा दी। घटना ओसियां उपखंड के चेराई गांव की है। ओसियां से कांग्रेस विधायक दिव्या मदरेणा ने विधानसभा में प्रश्नकाल में इस मामले को उठाया परंतु उन्हें चर्चा की अनुमति नहीं दी गयी।
इससे पूर्व 15 जुलाई को जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के ओल्ड कैंपस में तीन छात्रों ने एक नाबालिग (16 वर्ष) लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया। नाबालिग अपने दोस्त (17 वर्ष) के साथ अजमेर से भागकर जोधपुर पहुंची थी। 15 जुलाई की रात बस स्टैंड पर प्रेमी जोड़े को रहने के लिए होटल नहीं मिला। आधी रात में मददगार बनकर आए तीन छात्रों ने प्रेमी को बंधक बनाकर उसके सामने ही लड़की के साथ करीब 3 घंटे तक दरिंदगी की। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस मामले में मुख्यमंत्री गहलोत पर बलात्कारियों को बचाने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस पर हमलावर भाजपा
इस मामले के बाद भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो गयी है, वहीं कांग्रेस बैकफुट पर जाती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसंधुरा राजे कहती हैं- ‘‘पूरे देश में अगर सबसे अधिक भ्रष्टाचार कहीं है, तो वह राजस्थान में है। महिला अत्याचार, दलित अत्याचार, दुष्कर्म, गैंगवार, गैंगरेप, लूट-हत्या भी राजस्थान में सर्वाधिक है। सरकार की शह पर कन्वर्जन हो रहा है। पहली बार विपक्ष के साथ-साथ सरकार के विधायकों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसलिए इस सरकार को डूबने से अब कोई नहीं बचा सकता।’’
राजस्थान में किसानों की हालत भी दयनीय हो गई है। उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां कहते हैं- ‘‘राजस्थान में 19 पेपर लीक हो चुके हैं। भ्रष्टाचार का खुला आतंक है, 78 प्रतिशत लोगों को काम के बदले रिश्वत देनी पड़ती है। राजस्थान में 28 प्रतिशत से अधिक बेरोजगारी दर है।कर्जमाफी नहीं होने से राजस्थान में 19,422 किसानों की जमीन नीलाम हो गयीं। यह सरकार का ही जवाब है, लेकिन हकीकत क्या है इससे सरकार बचना चाहती है, क्योंकि प्रदेश के 60 लाख से अधिक किसानों पर कर्ज है। कांग्रेस शासन में बीते पौने पांच साल से 10.92 लाख मुकदमे दर्ज हुए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो इस बात की पुष्टि करता है कि राज्य में औसतन 17 बलात्कार और 7 हत्याएं प्रतिदिन हो रही हैं। राजस्थान में 10 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं यहां देश में सबसे ज्यादा हो रही है। कांग्रेस की यह सरकार तुष्टीकरण के मामले में भी एक नंबर पर है।’’
केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा- ‘‘विधानसभा में जिस तरह कांग्रेस के विधायकों में उस लाल डायरी को छीनने की होड़ मची हुई थी, उससे लगता है कि कहीं न कहीं उस लाल डायरी में कुछ लाल हो या न हो, लेकिन कुछ काला जरूर है। आज मैं गहलोत साहब से पूछना चाहता हूं कि आपने राजेन्द्र गुढ़ा को वहां भेजकर जबरन लाल डायरी क्यों मंगवाई? क्या राजस्थान की गरीब जनता की भलाई के लिए चलायी गयी योजनाओं से लूटे गये पैसों का उसमें हिसाब था?’’ विधानसभा चुनाव के नजदीक हैं, ऐस में कांग्रेस के कई नेता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। उधर, गुढ़ा और उनके भाइयों के खिलाफ दर्ज मामलों में सरकार कार्रवाई कर सकती है। गुढ़ा और उनके भाइयों पर कई केस दर्ज है। हालांकि गुढ़ा के लाल डायरी और अजमेर- 92 पर दिये बयान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत मंत्रियों की भी छवि खराब हुई है। यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया है।
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