चारा घोटाले में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अब जमीन लेकर रेलवे में नौकरी देने के मामले में भी बुरी तरह घिर चुके हैं। जैसे—जैसे जांच आगे बढ़ रही है, उनके कारनामे उजागर हो रहे हैं। बता दें कि इन दिनों इस घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। जांच के दौरान पता चला है कि फिरोजपुर रेल मंडल में ऐसे 20 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिन्होंने जमीन देकर नौकरी ली है। इनमें सबसे अधिक सात कर्मचारी लुधियाना रेलवे स्टेशन पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा अमृतसर में दो, फिरोजपुर में दो, चौकीमान में एक, फगवाड़ा में एक पठानकोट में एक, जम्मू तवी में पांच, श्रीमाता वैष्णो देवी कटड़ा में एक और उधमपुर रेलवे स्टेशन पर एक कर्मचारी कार्य कर रहा है।
इन कर्मचारियों से सीबीआई 26 जुलाई से पूछताछ कर रही है। यह पूछताछ एक अगस्त तक होगी। सीबीआई ने जांच पूरी होने तक इन कर्मचारियों को काम पर नहीं आने को कहा है। ये सभी कर्मचारी बिहार के हैं।
उल्लेखनीय है कि सोनिया—मनमोहन सरकार में लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। आरोप है कि लालू यादव ने जमीन लेकर लगभग 4,000 लोगों को नौकरी दी थी। बाद में ऐसी जमीन को बेचकर लालू परिवार पैसा कमा रहा था। यह भी कहा जा रहा है कि अभी भी लालू परिवार के पास अनेक भूखंड और मकान हैं।
जब इस घोटाले की गूंज देश में सुनाई देने लगी तो सरकार ने इसकी जांच करने के लिए सीबीआई को कहा। जांच के क्रम में पिछले वर्ष सीबीआई को लालू यादव के घर से एक हार्डडिस्क मिली थी। इसमें इन कर्मचारियों के नाम और घोटाले से जुड़े अनेक साक्ष्य मिले थे। यही कारण है कि सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके बेटे और इस समय बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, उनकी बेटी मीसा भारती और कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाया है।
पता चला है कि लालू परिवार को पटना में ही 1.5 लाख वर्ग फीट जमीन दी गई। पूरी जमीन का सौदा नगद में किया गया और कीमत भी बहुत ही कम रखी गई थी।
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