सुप्रसिद्ध समाजसेवी गणेश वासुदेव जोशी, जिनके स्वदेशी आंदोलन से गांधी जी को मिली थी खादी प्रचार की प्रेरणा
May 24, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

सुप्रसिद्ध समाजसेवी गणेश वासुदेव जोशी, जिनके स्वदेशी आंदोलन से गांधी जी को मिली थी खादी प्रचार की प्रेरणा

स्वत्व, स्वाभिमान और स्वदेशी के लिये अपना जीवन समर्पित किया, युवाओं की टोली बनाई, जिससे माधव गोविन्द रानाडे और गोपाल कृष्ण गोखले भी जुड़े

by रमेश शर्मा
Jul 29, 2023, 01:01 pm IST
in भारत, आजादी का अमृत महोत्सव
गणेश वासुदेव जोशी

गणेश वासुदेव जोशी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अंग्रेजी सत्ता ने भारत में अपनी जड़ों को गहरा करने के लिये व्यापार को माध्यम बनाया था। उन्होंने पहले विदेशी वस्तुओं का आकर्षण पैदा किया और फिर स्वदेशी उत्पाद का दमन किया। 1857 में क्रान्ति की के बाद इस तथ्य को अनेक महापुरुषों ने पहचाना, उनमें सबसे प्रमुख थे गणेश वासुदेव जोशी। इन्होंने न केवल समाज में स्वदेशी अपनाओ का अभियान चलाया अपितु स्वदेशी वस्तुओं के कुछ उत्पादन केन्द्र भी स्थापित किये। आगे चलकर जब गाँधी जी भारत लौटे तब उन्हें स्वदेशी और खादी प्रचार की प्रेरणा इनके आंदोलन से ही मिली।

स्वत्व, स्वाभिमान और स्वदेशी के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले गणेश वासुदेव जोशी का जन्म 9 अप्रैल 1828 को सतारा में हुआ था। परिवार की पृष्ठभूमि शिक्षित और संपन्न थी। पिता ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करते थे। इस कारण कंपनी के कामों और कूटनीति की चर्चा घर में होती थी। बालपन से ही बालक गणेश अंग्रेजों की चालाकियों और बारीकियों से अवगत हो गये थे। समय के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और वकालत पास की। इसी बीच 1857 की क्रांति ने उन्हें झकझोर दिया। क्रान्ति के दमन के लिये अंग्रेजों के अत्याचार ने उन्हें विचलित कर दिया और वे मन ही मन अंग्रेज शासन को उखाड़ने का चिंतन करने लगे। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे की कि अंग्रेज को उनकी शैली में उत्तर दिया जाना चाहिए। अंग्रेजों ने अपना राजतंत्र व्यापार से आरंभ किया था । इसलिए अंग्रेजों के व्यापार को कमजोर करने के लिये स्वदेशी वस्तुओं के प्रति पुनः आकर्षण उत्पन्न करना था ।

उस समय अंग्रेज सारा रा-मेटेरियल भारत से ले जाते थे और अपने कारखानों में बना हुआ समान भारत में खपाते थे। इससे उन्हें दो लाभ होते थे। एक तो भारत में शिल्प की मौलिकता घट रही थी और इससे उत्पन्न बेरोजगारी से उन्हें कामगार मिल रहे थे। दूसरा उनका माल बिकने से उनका लाभांश बढ़ रहा था। दुनिया के हर देश में व्यापार का यही तरीका अंग्रेजों की सत्ता की नींव व्यापार था। इसलिये गणेशजी जोशी जी ने अंग्रेजों की इसी नींव पर सबसे पहले प्रहार करने का निर्णय लिया। उन्होंने युवाओं की एक टोली बनाई उनमें स्वाभिमान और स्वत्व का भाव जगाया और यह प्रचार आरंभ किया कि यदि सभी भारतीय फिर से अपने ही देश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करेंगे और अपनी आजीविका के लिये स्वयं अपने कुटीर उद्योग स्थापित करें तो अंग्रेज स्वयं कमजोर हो जायेंगे । इस टोली में दो युवा युवा माधव गोविन्द रानाडे और गोपाल कृष्ण गोखले भी जुड़े। इन युवाओं को आगे करके उन्होंने 1870 में एक संस्था “सार्वजनिक सभा” का गठन किया और इस संस्था का पूरे महाराष्ट्र क्षेत्र में विस्तार किया। इस संस्था का केन्द्र नागपुर को बनाया। इस संस्था में संयोजन का दायित्व माधव गोविन्द रानाडे के हाथ में था जो बाद में न्यायधीश भी बने। पर उन्होंने इस संस्था से अपना जुड़ाव न छोड़ा। जोशी जी ने पूना, नागपुर, सतारा और बंबई आदि अनेक स्थानों पर पर इस संस्था के संचालन केन्द्र बनाये और निराश्रित परिवारों को जोड़कर उनसे कुटीर उद्योग स्थापित कराकर स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन आरंभ कराया तथा विक्रय केन्द्र भी स्थापित किये। उनके द्वारा स्थापित इन कुटीर उद्योगों और उनके विक्रय केन्द्र में हाथ करघा और चरखे द्वारा कपड़ा और इस कपड़े से बने विभिन्न वस्त्र होते थे। काका ने अपना जीवन समाज सेवा के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित कर दिया। उनकी बेटी का विवाह गोपाल कृष्ण गोखले से हुआ था। जोशी जी की इस बेटी ने अपने पिता की प्रेरणा से माधव रानाडे की पत्नी रामाबाई रानाडे के साथ महिलाओं में जागृति और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्त्री “विचारवती सभा” नामक संगठन का गठन किया। इस संस्था को भी कुटीर उद्योग से जोड़ा। जोशी जी इतने लोकप्रिय हुये कि सब उन्हें काका साहब कहते थे। इस प्रकार जोशी जी, उनका पूरा परिवार और उनके द्वारा जोड़ी गई युवाओं की टोली पूरी तरह स्वदेशी जागरण अभियान के लिये समर्पित थी।

काका साहब जोशी जी अपने अभियान के लिये कितने समर्पित थे इसका उदाहरण 1877 के दिल्ली दरबार में देखने को मिला। वे उस दरबार में पूर्ण स्वदेशी निर्मित खादी के वस्त्र पहनकर पहुंचे और एक प्रश्न पूछकर सबका ध्यान अपने वस्त्रों की ओर आकर्षित किया। भारत में भारतीयों के लिये नागरिक सम्मान की सबसे पहले ध्यान आकर्षित करने वाले गणेश वासुदेव जोशी ही थे। उन्होंने बहुत विनम्रतापूर्वक कहा था – “महामहिम महारानी जी भारतीय प्रजा को वही राजनीतिक और सामाजिक दर्जा प्रदान करें जो उसकी ब्रिटिश प्रजा को प्राप्त है”। यह कहा जा सकता है कि स्वतंत्र भारत के लिए जो अहिसंक और वैचारिक अभियान चला उसकी औपचारिक रूप से शुरूआत यही घटना थी। तब भारत में वायसराय लिटन हुआ करते थे। वे सतत अपने अभियान के प्रति समर्पित रहे। कभी न रुके और न कभी अवकाश लिया।

25 जुलाई 1880 को हृदय रोग के कारण उन्होंने संसार से विदा ले ली। किन्तु भारत को स्वतंत्रता के लिये एक अहिसंक अभियान चलाने का सूत्र दे गये।
बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी और खादी का जो अभियान चला उसका सूत्र यही आंदोलन था। आगे चलकर तिलक जी भी इसी संस्था से जुड़े। इस संस्था से संबंध गोपाल कृष्ण गोखले और तिलक जी ने ही गांधी जी को खादी वस्त्र अभियान से अवगत कराया। जिसे गाँधी जी ने अपने स्वदेशी अभियान में जोड़ा। गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरुवत् मानते थे।

Topics: Gopal Krishna Gokhaleमहात्मा गांधीMahatma Gandhiगणेश वासुदेव जोशीस्वदेशी आंदोलनमहादेव गोविंद रानाडेगोपाल कृष्ण गोखलेGanesh Vasudev JoshiSwadeshi MovementMahadev Govind Ranade
Share31TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

क्या कांग्रेस को वास्तव में गांधीजी की कोई चिंता थी ? किन बातों पर डालना चाहती है पर्दा ?

डॉ. आम्बेडकर

बाबा साहब आम्बेडकर और राष्ट्र

कस्तूरबा गांधी जयंती विशेष : वो ‘बा’ ही थीं! जो गांधी जी के चरमोत्कर्ष की सारथी बनीं

Veer Sawarkar Punyatithi

पुण्यतिथि विशेष: “स्वराष्ट्र के लिए जो जिए और मरे वही है स्वातंत्र्य वीर सावरकर”

साबरमती संवाद-3 में बोलते हुए माननीय जगदीश पांचाल जी

साबरमती संवाद-3 : मोदी जी के नेतृत्व में गुजरात की ऐतिहासिक प्रगति और विकास की गाथा

Panchjanya Sabarmati Samvad Dilip Sanghani

साबरमती संवाद-3 ‘प्रगति गाथा’ में दिलीप संघानी बोले-आज देश व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के लिए तेजी से काम कर रहा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

यात्रा में शामिल मातृशक्ति

सेना के सम्मान में, नारी शक्ति मैदान में

Bhagwant mann farmers protest

पंजाब में AAP का भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार का खेल: रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी या राजनीतिक स्टंट?

External affiares minister dr S Jaishankar to join oath taking ceremony of Donald Trump

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर अनावश्यक विवाद

Love Jihad

ओडिशा: बालेश्वर में लव जिहाद, सुलतान रहमान ने हिन्दू नाम बता कर छात्रा फंसाया, पश्चिम बंगाल ले जाकर करवाया धर्मान्तरण

वाराणसी: नफीसा के हनी ट्रैप में फंसकर तुफैल बना था पाकिस्तानी जासूस

Rukhsana Ismile

ग्रूमिंग गैंग वाले रॉदरहैम में ब्रिटिश पाकिस्तानी मेयर की नियुक्ति होना: लोगों ने जताई निराशा

BHU: सेमेस्टर परीक्षा में पहलगाम हमला, भारतीय मिसाइल और वक्फ संशोधन कानून पर सवाल बना चर्चा का विषय 

CM Yogi Adityanath on Pahalgam terror attach

भगवान हनुमान जी नई पीढ़ी के लिए हैं प्रेरणास्त्रोत: CM सीएम योगी आदित्यनाथ

सीनेटर सैयद अली जफर

Indus Water Treaty: भारत के ‘वाटर बम’ से तिलमिलाए जिन्ना के देश के सांसद जफर, कहा-‘हम प्यासे मर जाएंगे’

Kartar singh sarabah jayanti

अंग्रेजों के लिए दहशत का पर्याय थे, महारथी करतार सिंह सराभा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies