नैनीताल : अतिक्रमण पर फिर चला सरकार का चाबुक, वन भूमि से अवैध घोड़ा बस्ती को किया गया ध्वस्त

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उत्तराखंड ब्यूरो

नैनीताल। शत्रु संपत्ति को खाली करवाने के बाद नैनीताल प्रशासन ने बारा पत्थर जंगल भूमि पर अवैध रूप से बनी घोड़ा बस्ती को ध्वस्त कर दिया। इस बस्ती में रहने वाले परिवारों को पूर्व में कई बार नोटिस दिए गए थे। जानकारी के मुताबिक नैनीताल शहर और उसके आसपास सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने का अभियान आज घोड़ा बस्ती में चला। यहां सैकड़ों की संख्या में जंगल की जमीन पर अवैध रूप से पक्के घर बना लिए थे।

उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले तक ये घोड़ा बस्ती शहर के भीतर थी, जहां बाहरी क्षेत्रों से आए घोड़ा चलाने वाले लोग काबिज थे और ये पर्यटकों को घुमाने का काम करते थे, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इन्हें यहां से इसलिए हटाया गया था क्योंकि घोड़े की लीद से नैनी झील प्रदूषित हुआ करती थी।

इस वक्त ये घोड़ा चालक अपनी आबादी लेकर खुरपाताल के पास बारा पत्थर जंगल की जमीन पर झोपड़ी डाल कर बैठ गए और यहां जंगल की जमीन पर पर्यटकों को घुड़सवारी करने का धंधा करने लगे। फॉरेस्ट कर्मियों ने इस पर कई बार एतराज भी किया कि ये फॉरेस्ट में गंदगी कर रहे हैं और उसका पानी झील तक पहुंच रहा है।

एसएसपी पंकज भट्ट के अनुसार नैनीताल के बारह पत्थर क्षेत्र में वन विभाग के नियंत्रण वाले कंपार्टमेंट नंबर 25 में वन विभाग की टीम जिला प्रशासन और पुलिस के साथ पहुंची। भारी बरसात के बावजूद टीम ने तीन दिन पहले दी चेतावनी के बावजूद बसे अतिक्रमणकारियों के पक्के मकान ढहा दिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जंगलों से अतिक्रमण हटाने के निर्देशों के बाद आज वन विभाग ने अपने प्रोटेक्टिव वन क्षेत्र से आठ एकड़ में कब्जा कर बैठे 10 परिवार और उनके घोड़ों को हटवा दिया। इस क्षेत्र में लगभग 12 घोड़ों के अस्तबल भी बनाए गए थे और 19 दरवाजों वाले जॉइंट घर मिले। लैंड्स एंड बीट में नारायण नगर को जाने वाले कब्रिस्तान मार्ग से इस अतिक्रमण को हटवाया गया।
अतिक्रमणकारियों का कहना था कि उनकी भूमि नगर पालिका की है, जबकि वन विभाग इसे अपना बता रहा है। उनका कहना है कि उन्हें सभी धर्मों के मैट्रोपोल से हटाए जाने की तरह ही यहां से भी हटाया जाए, न कि केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को हटाया जाए। वन विभाग के एसडीओ एच सी गहतोड़ी ने बताया कि जंगलों में अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं होगा और इस बात पर भी नजर रखी जा रही है कि ये लोग किसी दूसरी जगह के जंगल को न घेरें।

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