मसूरी : पहाड़ों की रानी कही जाने वाली पर्यटन नहीं मसूरी के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपने विस्तृत रिपोर्ट जारी कर दी है, ये रिपोर्ट मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक उप समिति द्वारा जारी की गई है। जिसमें वाडिया इंस्टीट्यूट और जीबी पंत पर्यावरण संस्थान से जुड़े नौ विशेषज्ञ शामिल थे।
एनजीटी ने 281 पेज की रिपोर्ट में कहा है कि यदि मसूरी को बचाना है तो इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे, खासतौर पर यहां आबादी का दबाव कम करना होगा और साथ ही यहां नव निर्माण पर रोक लगानी होगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि होटल मालिकों को पार्किंग और अतिथियों के कक्ष के लिए एक पर्याप्त स्पेस देना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मसूरी के आसपास 72.57 क्षेत्र में वन भूमि है जिसके भीतर अतिक्रमण हो रहा है, यहां रास्ते बनाए जा रहे हैं, जिनपर रोक लगाई जानी चाहिए। यहां आसपास सड़क निर्माण टनल निर्माण आदि में विस्फोट से पत्थर काटने पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए।
रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि पर्यटकों के आने से मसूरी में कचरा बढ़ रहा है और यहां स्वच्छता के लिए पर्यटकों से शुल्क वसूला जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि देहरादून से लगते मसूरी क्षेत्र में तेजी से कंक्रीट के जंगल बन रहे हैं और यहां की वन भूमि में भी बाहर से आए लोग बस रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। जिसकी शिकायत शासन स्तर पर भी की गई है।
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