कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखी गई बाघिन ने अपना तीसरा बच्चा भी खा लिया है। दो दिन पहले भी उसने बाड़े में अपने दो शवकों को खा लिया था। ये वही बाघिन है जिसे रेस्क्यू करके यहां लाया गया था। उसके शरीर में लोहे का कंडा फंसा हुआ था।
कॉर्बेट के डायरेक्टर डॉक्टर धीरज पांडे ने बताया कि मई अंतिम सप्ताह में कालागढ़ से एक बाघिन को रेसिंग किया गया था। ढेला में उसने 17 जुलाई को दो शावकों को जन्म दिया था, उसी रात उसने एक और शावक को जन्म दिया। उसके बाद वह एक ही रात में दो शावकों को खा गई थी, जबकि एक को पाल रही थी।
डायरेक्टर पांडेय ने बताया कि अगले ही रात्रि को बाघिन ने तीसरा बच्चा भी खा लिया। बाघिन का इलाज चल रहा है इसलिए उसे अभी जंगल में भी नहीं छोड़ा जा सकता। बाघिन द्वारा अपने ही शावकों को खा लेना ये व्यवहार असामान्य और हैरान करने वाला है।
उधर वन जीव विशेषज्ञ शाह बिलाल का कहना है कि कभी-कभी बाघिन जंगल में भी ऐसा व्यवहार करती है, रेस्क्यू सेंटर में ऐसी खबर इसलिए जिज्ञासा का कारण बन रही है क्योंकि ये अस्पताल में घटी है, जहां बाघिन के लिए अप्राकृतिक वास है वो एक बाड़े में रह रही है।
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