अब तक पाकिस्तान से ऐसी खबरें आती थीं कि हिंदू अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाते हैं, क्योंकि मुसलमान उन्हें ऐसा करने नहीं देते। अब एक ऐसी खबर बिहार के दरभंगा से भी आई है।
पता चला है कि दरभंगा जिले के कमतौल थाना क्षेत्र की हरिहरपुर (पूर्वी) पंचायत के धरमपुर गांव में बुजुर्ग श्रीकांत पासवान का 23 जुलाई को निधन हो गया। स्वजन और आसपास के लोग शव को जलाने के लिए धरमपुर गांव के समीप छिरयारी तेलिया पोखर स्थित श्मशान भूमि पहुंचे। वहां मुखाग्नि के बाद चिता में आग भी लगा दी गई। इसी बीच जिहादियों का एक समूह हंगामा करते हुए वहां पहुंच गया। उन लोगों ने बुजुर्ग श्रीकांत पासवान की लाश को चिता से बाहर फेंक दिया। इसके बाद अंतिम संस्कार में आए लोगों को पिटना शुरू कर दिया। जिहादी उस जमीन को अपना बता रहे थे, जबकि नीतीश सरकार में चुन-चुनकर कब्रिस्तान की जमीन की घेराबंदी हो चुकी है। बीच-बचाव करने पहुंचे मुखिया अजय कुमार झा की बुलेट बाईक और दो साईकिल में भी इन लोगों ने आग लगा दी। जिहादियों ने प्रेम महतो और अशोक महतो की गाड़ियों के साथ ही अनेक लोगों की खड़ी गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। यही नहीं, घर में घुसकर मारपीट एवं आग लगाने का प्रयास किया गया। मृतक के घर को भी जलाने का प्रयास किया गया। मृतक के पुत्र फेंकू पासवान ने रोते हुए कहा कि क्या हम जिहादी राज्य में रहते हैं, जहां अपने पिता का अंतिम संस्कार भी ठीक ढंग से नहीं कर सकते?
अधिकारियों एवं पुलिस बल के सामने जिहादियों ने हंगामा किया
घटना की जानकारी मिलते ही घटना स्थल पर कमतौल समेत अन्य थानों की पुलिस भी पहुंच गई। प्रशासन की गाड़ी देखते ही जिहादियों ने उस पर भी हमला कर दिया। श्मशान में भगदड़ की स्थिति हो गई। जानकारी मिलते ही पुलिस उपाधीक्षक समेत बड़ी संख्या मेें पुलिस बल वहां पहुंच गया। इतने अधिकारियों एवं पुलिस बल के रहते हुए भी जिहादियों का हंगामा चलता रहा। रात्रि में 09 बजे से लेकर सुबह 03 बजे तक ये लोग हंगामा करते रहे। पत्थरबाजी एवं मारपीट में पिता की लाश लेकर गए श्रीकांत पासवान के पुत्र फेंकू पासवान समेत कई परिजन जख्मी हो गए। आधा दर्जन पुलिसकर्मियों की भी घायल होने की सूचना है। घायल जमादार सुरेश कुमार सिंह, सिपाही राजीव रंजन समेत कई लोगों का इलाज़ कमतौल स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया। जब उपद्रवियों को किसी तरह हटाया गया तो जिलाधिकारी के समक्ष अधजली लाश का अंतिम संस्कार किया जा सका।
हंगामे की पहले से थी तैयारी
यह अचानक नहीं हुआ। हिंदुओं को लाश जलाने से रोकने की तैयारी पहले से चल रही थी। 23 जुलाई की शाम को कुम्हरौली से फुटबाॅल मैच खेल कर आ रहे खिलाड़ियों पर भी जिहादियों ने हमला किया था। खिलाड़ियों का कसूर सिर्फ इतना था कि ये लोग “भारत माता की जय”, का नारा लगा रहे थे। खिलाड़ियों ने जैसे-तैसे भागकर अपनी जान बचाई थी। इसके कुछ देर बाद जब श्रीकांत पासवान की लाश पहुंची तो जिहादियों ने फिर से हमला कर दिया।
बिहार में बीते दो दिन की घटनाएं बड़ी चिंता पैदा करने वाली हैं। इससे पहले दरभंगा में ही मुहर्रम का निशान जबरदस्ती हिंदुओं के घर और दुकान के सामने लगाया गया। औरंगाबाद में मांस के टुकड़े मंदिर में फेंके गए।
इन घटनाओं को देखकर लोग कहने लगे हैं कि बिहार पाकिस्तान की राह पर है!
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