ईरान में फिल्में गिनती की ही बनती हैं, लेकिन जितनी भी बनती हैं उनको शिया कायदों के तराजू पर तोलकर ही प्रदर्शित किए जाने की रस्म है। वहां एक फिल्म समारोह भी आयोजित किए जाने की रस्म है जिससे दुनिया देख ले कि वह देश कितना ‘आधुनिक’ है। इस साल भी
आगामी सितम्बर में यह फिल्म समारोह आयोजित किया जाना था। लेकिन अब शायद यह आयोजित नहीं किया जाएगा। फिल्म प्रभाग के अधिकारियों ने सितंबर में होने वाले इस फिल्म समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्यों? क्योंकि फिल्म में अभिनेत्री ने हिजाब नहीं पहना था और उसके फोटो को समारोह के पोस्टर पर लगा दिया गया था। मीडिया में आईं रिपोर्ट बताती हैं कि फिल्म समारोह के संदर्भ में जारी किए गए पोस्टर पर ऐसी बेहिजाब कलाकार का फोटो देख अधिकारी ऐसे बिफरे कि पूरे समारोह को ही चौपट कर देने के आदेश दे दिए। फिल्म कालाकरों, निर्माताओं, निर्देशकों और दर्शकों को मायूस करने की वजह बना कलाकार का ‘सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन’ करना।
ईरान की पुलिस ने माना है कि कानून को न मानने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो सरकार के लिए चिंता की बात है। उन्हें पकड़ने के लिए निगरानी बढ़ा दी गई है। अभी पांच दिन पहले ही ईरान की एक अदालत ने वहां की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री अफसानेह बेयेगन को दो साल जेल की सजा सुनाई है। बेयेगन ने एक कार्यक्रम में हिजाब नहीं पहना हुआ था और यही उसका अपराध था।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ ने अपनी खबर में बताया कि क्योंकि पोस्टर पर ‘कानून का उल्लंघन’ करने वाली तस्वीर को पोस्टर पर लगाया गया था, यानी एक महिला को बिना हिजाब पहने दिखाया गया था। इसीलिए ईरान के संस्कृति मंत्री भड़क गए; उन्होंने अपनी तरफ से रुचि लेते हुए आईएसएफए फिल्म समारोह के 13वें आयोजन पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया।
हिजाब पहनने की रस्म शिया देश ईरान में 1979 की क्रांति के बाद से देखने में आई है। खासकर, 1983 में तो कानून बनाकर उस देश की महिलाओं के लिए सिर से गर्दन तक का हिस्सा ढकना कानूनन जरूरी कर दिया गया। छिटपुट प्रदर्शनों के अलावा पिछले साल सितम्बर से उस देश में हिजाब के विरुद्ध ऐसा जबरदस्त आंदोलन खड़ा हुआ कि जिसमें सैकड़ों जानें जा चुकी हैं। लेकिन कट्टर उन्मादी सत्ता इस मुद्दे पर बिल्कुल भी झुकने को तैयार नहीं है। इस आंदोलन में सिर्फ ईरानी महिलाएं ही आगे नहीं आईं बल्कि पुरुषों और युवाओं ने इसके बढ़—चढ़कर सरकार के विरुद्ध मोर्चा संभाला।
22 साल की महसा अमीनी नाम की लड़की की पुलिस हिरासत में जान से जाने के बाद जैसा हिंसात्मक आंदोलन चला वह आज भी किसी न किसी रूप में जारी है। हालांकि शिया हुकूमत ने उसे कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अमीनी को भी हिजाब न पहनने के ‘जुर्म’ में गिरफ्तार किया गया था।
ईरान की पुलिस ने माना है कि कानून को न मानने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो सरकार के लिए चिंता की बात है। उन्हें पकड़ने के लिए निगरानी बढ़ा दी गई है। अभी पांच दिन पहले ही ईरान की एक अदालत ने वहां की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री अफसानेह बेयेगन को दो साल जेल की सजा सुनाई है। बेयेगन ने एक कार्यक्रम में हिजाब नहीं पहना हुआ था और यही उसका अपराध था।
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