इस साल बकरीद के दिन स्वीडन में कुरान जलाई गई थी। ऐसी ही घटना डेनमार्क में एक बार फिर सामने आई है। शुक्रवार को डेनमार्क में डांस्के पैट्रियटर समूह ने कुरान का अपमान किया और इसमें आग लगा दी। इससे गुस्साए इराकियों ने बगदाद (इराक) में प्रदर्शन किया और कड़ी सुरक्षा वाले ग्रीन जोन में हमला कर दिया। ग्रीन जोन में सभी देशों के दूतावास हैं। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तितर-बितर किया, इससे वे डेनिश दूतावास तक नहीं पहुंच सके। हाल ही में इराकियों ने स्वीडन के दूतावास पर हमला किया था। स्वीडिश दूतावास में उन्होंने आग भी लगा दी थी।
डांस्के पैट्रियटर समूह ने शुक्रवार को कोपेनहेगेन में इराकी दूतावास के सामने कुरान का अपमान किया था। इससे इराक के नागरिक आक्रोशित हो गए। डेनमार्क में इस साल तीसरी बार कुरान जलाई गई है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी में रासमुस पालुदान ने स्वीडन में कुरान जलाई थी, फिर डेनमार्क में भी ऐसा ही किया था। newarab.com के मुताबिक डेनमार्क में मार्च में एक बार फिर कुरान जलाई गई। वहीं, अब शुक्रवार को भी इराक दूतावास के सामने कुरान में आग लगा दी गई। कुरान में आग की घटना से मुस्लिम देशों में नाराजगी है। उनका कहना है कि अभिव्यक्ति की आजादी के तहत कुरान जलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
स्वीडन में जलाई गई थी कुरान
स्वीडन के स्टॉकहोम में बकरीद के दिन कुरान जलाने की घटना आपको याद होगी। सलवान मोमिक ने कुरान को जलाया था। वह इराकी शरणार्थी था। उसने पहले कुरान के पन्ने फाड़े फिर उसमें आग लगा दी। उसे कुरान जलाने की अनुमति वहां के कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने दी थी। सलवान मोमिक ने कहा था कि वह मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उसने अभिव्यक्ति की आजादी के लिए ऐसा किया। कट्टरता के खिलाफ उसने कुरान जलाई है। सलवान ने बताया था कि उसे आईएसआईएस आतंकियों की वजह से इराक छोड़ना पड़ा। कुरान जलाने की घटना के बाद से मुस्लिम देश स्वीडन से नाराज हैं। इस्लामिक देशों ने स्वीडन की काफी आलोचना की थी। ये भी कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुरान जलाने की अनुमति न दी जाए। इसके बावजूद स्वीडन में कुरान जलाने की फिर अनुमति दी गई। इतना ही नहीं, बाइबिल जलाने की अनुमति भी स्वीडन ने दी थी।
स्वीडन में 2022 में भी जलाई गई थी कुरान
बकरीद के बाद सलवान मोमिक ने फिर से कुरान जलाने की अनुमति मांगी थी। इस बार उसने इराक दूतावास के बाहर कुरान जलाने की बात कही थी। स्वीडन में उसे अनुमति दे दी गई। हालांकि इस बार उसने कुरान नहीं जलाई। स्वीडन में ये नए मामले नहीं थे। अप्रैल 2022 में भी कुरान जलाई गई थी। इसके बाद स्वीडन के कई शहरों में हिंसा भड़की थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। इसके बावजूद स्वीडन में कुरान जलाने की अनुमति दी गई और इस साल बकरीद के दिन सलवान मोमिक (37) ने कुरान के पन्ने फाड़े और उसमें आग लगा दी। सलवान को जब दोबारा कुरान जलाने की अनुमति दी गई तो इराक में प्रदर्शन हुआ। इराकियों ने स्वीडन के दूतावास में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। स्वीडन के राजदूत को भी निष्कासित कर दिया। दूसरे मुस्लिम देशों ने भी स्वीडन की आलोचना की। लेकिन, यहां सवाल यह भी है कि इतने विरोध के बावजूद स्वीडन में इसकी इजाजत क्यों दी जाती है? इसके पीछे बड़ी वजह है।
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