पंजाब में लगातार एक के बाद एक लूट की तीन गंभीर घटनाएं सामने आयी हैं। एक घटना में अपराधियों ने 10 जून को लुधियाना में 8.5 करोड़ रुपये की लूट की और अगले ही दिन अमृतसर में साढ़े दस लाख रु. की लूट की वारदात हुई। इसके बाद मोगा में एक सुनार की दुकान में लूट और हत्या की वारदात हुई।
पंजाब में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चरमरा गयी है। राज्य की जनता में बुरी तरह से डर और घबराहट व्याप्त है। जनता में बढ़ती हताशा के बीच आम आदमी पार्टी नीत पंजाब सरकार अपराधियों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाइयों के झूठे आंकड़े पेश कर रही है। पंजाब में लगातार एक के बाद एक लूट की तीन गंभीर घटनाएं सामने आयी हैं। एक घटना में अपराधियों ने 10 जून को लुधियाना में 8.5 करोड़ रुपये की लूट की और अगले ही दिन अमृतसर में साढ़े दस लाख रु. की लूट की वारदात हुई। इसके बाद मोगा में एक सुनार की दुकान में लूट और हत्या की वारदात हुई।
राज्य की मौजूदा स्थिति उस पंजाब पुलिस की बुरी स्थिति को दर्शाती है जो आतंकवाद से लड़ने में सराहनीय भूमिका निभा चुकी है, परंतु अब उसका उपयोग आआपा सरकार द्वारा सभी मोर्चों पर अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए किया जा रहा है।
अपराधियों के लिए अनुकूल स्थिति
पंजाब की जेलें अपराधियों और शार्पशूटरों के लिए खेल का मैदान बन गयी हैं। पंजाब में कानून का राज मुश्किल से ही दिखता है। यह स्थिति संबंधित पक्षों के तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान करती है।
पंजाब में ऐसे संकेत दिख रहे हैं जो दर्शाते हैं कि आआपा सरकार ने दुर्दांत अपराधियों के लिए जेलों को चैनलों के स्टूडियो में बदल दिया है। गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई जेल की कड़ी सुरक्षा वाली कोठरियों से मीडिया को साक्षात्कार देने में सफल रहा है। लॉरेंस बिश्नोई जिस तरह से जेल से साक्षात्कार देने में समर्थ रहा, उससे पता चलता है कि पंजाब में कानून-व्यवस्था हांफ रही है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राज्य में पिछले कुछ महीनों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चरमरा गयी है।
कोई भी आसानी से यह अनुमान लगा सकता है कि पूरे राज्य में अपना तंत्र चलाने के लिए कैदियों के पास उनकी जेल की कोठरियों के भीतर ही संचार के सभी साधन उपलब्ध हैं। पंजाब में रंगदारी का धंधा फल-फूल रहा है। आपराधिक गतिविधियां चलाने के लिए जेल की कोठरियों के भीतर गैंगस्टरों की सभी सुविधाओं तक पहुंच यह खुलासा करती है कि पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले भगवंत मान न सिर्फ विफल रहे हैं बल्कि उन्हें एक खून से लथपथ प्रशासक के रूप में देखा जाता है।
आपराधिक लापरवाही
यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि पंजाब अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला राज्य है। वे यादें अब भी ताजा हैं जब 1980 के दशक में पाकिस्तान ने पंजाब में प्रायोजित आतंकवाद के जरिए भारत के विरुद्ध छद्म युद्ध छेड़ा था। शोधकर्ताओं और यहां तक कि जांच एजेंसियों द्वारा भी यह लिखा जा चुका है कि पाकिस्तान ड्रोन एवं अन्य माध्यमों के जरिए पंजाब में हथियार एवं ड्रग्स की आपूर्ति करके भारत के साथ छद्म युद्ध जारी रखे हुए है। साथ ही, यह समझाने की भी कोई आवश्यकता नहीं है कि पाकिस्तान भारत से बांग्लादेश की आजादी का बदला लेने के लिए खालिस्तानी एजेंडे के प्रति पंजाबी प्रवासियों को कट्टर बनाने की अंतरराष्ट्रीय साजिश रच रहा है।
आआपा सरकार ने दुर्दांत अपराधियों के लिए जेलों को चैनलों के स्टूडियो में बदल दिया है। गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई जेल की कड़ी सुरक्षा वाली कोठरियों से मीडिया को साक्षात्कार देने में सफल रहा है। लॉरेंस बिश्नोई जिस तरह से जेल से साक्षात्कार देने में समर्थ रहा, उससे पता चलता है कि पंजाब में कानून-व्यवस्था हांफ रही है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राज्य में पिछले कुछ महीनों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह चरमरा गयी है।
पंजाब की पृष्ठभूमि और परिप्रेक्ष्य आम आदमी पार्टी को अवश्य ही पता होगा। आआपा के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल लंबे समय से मुख्यमंत्री होने के नाते पंजाब की चुनौतियों से अवश्य ही परिचित होंगे। फिर भी केजरीवाल ने मान को राज्य प्रशासन के रोजमर्रा के कामकाज से अलग बने रहने की छूट दी।
यह चिंता की बात है। चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा में चूक के लिए खासतौर से नामित अधिकारियों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय की तीखी टिप्पणियों के बाद भी मान सरकार शीर्ष अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की सिफारिशों पर कुंडली मारकर बैठी है। यह पुलिसिंग के लिए हतोत्साहित करने वाला था जो निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के कड़े अनुपालन पर आश्रित है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा से समझौता किया जा सकता है और किसी को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, इस भावना ने सशस्त्र गैंगेस्टरों और दुर्दान्त अपराधियों को प्रोत्साहित किया है।
उद्योगपति और व्यवसायी फोन कॉल से भयभीत रहते हैं। हर गुजरते दिन के साथ रंगदारी का धंधा परवान चढ़ रहा है। इसे इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि पंजाब के उद्योगपति निवेश अवसरों की तलाश में उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का दौरा कर रहे हैं। पंजाब के राजस्व संग्रह में भी गिरावट आयी है। इससे पता चलता है कि पंजाब में कानून एवं व्यवस्था की खराब स्थिति राज्य की अर्थव्यवस्था को भी पतन की ओर धकेल रही है। यही कारण है कि देश के युवाओं में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पंजाब में है।
अर्थव्यवस्था को भी चोट
पंजाब का कर राजस्व 2011-12 के 71.82 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 47.79 प्रतिशत पर आ गया है। यह आंतरिक तौर पर संसाधन जुटाने में राज्य की क्षमता में स्पष्ट गिरावट दर्शाता है और पंजाब अब केंद्र सरकार के हस्तांतरण के साथ-साथ कर्ज पर आश्रित है। पंजाब के भीतर से संसाधन जुटाने में गिरावट आना यह भी दर्शाता है कि कानून एवं व्यवस्था की खराब स्थिति का अब अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
साथ ही, पंजाब की अर्थव्यवस्था बेहतर प्रशासनिक रिकॉर्ड वाले राज्यों से पिछड़ रही है। चालू वित्त वर्ष में राज्य की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर जहां नाममात्र दर पर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, वहीं उत्तर प्रदेश के लिए इसके 19 प्रतिशत और असम के लिए 15 प्रतिशत रहने का अनुमान है। राज्य सरकार की गिरता राजस्व भी पंजाब को कर्ज के जाल में धकेल रहा है।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पंजाब के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात में प्रभावी बकाया ऋण 46.81 प्रतिशत होने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पंजाब के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात में प्रभावी बकाया ऋण 45.23 प्रतिशत होने का अनुमान था।
- पंजाब का बकाया ऋण (बजट अनुमान : 2023-2024): 3,47,542.39 करोड़ रुपये
- 2022-2023 में चुकाया गया ऋण : 30,046 करोड़ रुपये
- 2022-2023 के लिए उधारी (बजट): 55,051 करोड़ रुपये
- 2023-2024 में चुकाया जाने वाला ऋण : 38,626 करोड़ रुपये
- 2023-2024 के लिए उधारी (बजट): 94,410 करोड़ रुपये
स्पष्ट है कि पंजाब की वर्तमान सरकार राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के पतन की भारी कीमत चुकाने के लिए अधिक उधार ले रही है।
(लेखक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं)
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