पड़ोसी इस्लामी देश के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, उनके सेनाध्यक्ष और कई मंत्री कई दिनों से खाड़ी देश के आगे हाथ पसारे खड़े थे कि ‘हुजूर कुछ तो दे दो’! और उनके इस्लामी ‘आका’ ने रहम खाते हुए उसे पैसा दे दिया।
कंगाल पाकिस्तान की बदहाली को मामूली तिनके का सहारा देते हुए एक इस्लामी देश ने आखिरकार दूसरे इस्लामी देश के कटोरे में दो अरब डालर का चंदा डाल ही दिया। पड़ोसी इस्लामी देश के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, उनके सेनाध्यक्ष और कई मंत्री कई दिनों से खाड़ी देश के आगे हाथ पसारे खड़े थे कि ‘हुजूर कुछ तो दे दो’! और उनके इस्लामी ‘आका’ ने रहम खाते हुए उसे पैसा दे दिया।
लेकिन क्या सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यूं ही ‘कर्ज’ दे दिया? मीडिया में इस बारे में कई रिपोर्ट आई हैं। लेकिन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, 29 जून को कर्मचारी स्तर पर 3 अरब डॉलर का कर्ज देना स्वीकार करने से पहले आईएमएफ ने पाकिस्तान पर एक कड़ी शर्त लगाई थी। शर्त यह थी कि, उसका कर्ज तभी मिलेगा जब पाकिस्तान अपने ‘सहयोगी’ देशों जैसे चीन, सऊदी अरब, यूएई, कतर वगैरह से पूरा भरोसा दिलाए कि उसका पैसा वापस किया जाएगा।
अर्थ विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी शर्त का लगाना ही यह बताता है कि आर्थिक क्षेत्र में पाकिस्तान की साख कितनी खराब है। इसमें संदेह नहीं है कि गत जून में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने खुद आईएमएफ प्रमुख के साथ पांच बैठकें की थीं। शरीफ का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ कर्ज देने वाली उस अंतरराष्ट्रीय संस्था को इस बात के लिए किसी तरह राजी करना था कि वह कैसे भी हो उनके देश को दिवालिया होने से बचा ले।
लेकिन चीन, सऊदी अरब, कतर और यूएई भी सतर्कता बरतते हुए अपने पैसे की वापसी की गारंटी चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गेंद को वापस पाकिस्तान के पाले में डालते हुए, उससे पहले आईएमएफ की तरफ से कर्ज देने की गारंटी मांगी। शरीफ सरकार दोनों तरफ से पिंगपोंग की गेंद की तरह उछलने को मजबूर थी। उस देश में महंगाई आसमान पर है, खाने के लाले हैं। ऐसे में अब सऊदी मदद की मदद ने पाकिस्तान में कुछ दिन के लिए जान फूंकी है।
चालाक चीन की चाल
उधर चीन भी 2 अरब डॉलर का कर्ज ‘रोल ओवर’ कर चुका है। मतलब, यह चुकाना तो पड़ेगा, लेकिन कुछ समय बाद। पर उसी चीन ने अपने ‘दोस्त’ की दाल—रोटी चलाए रखने के लिए 50 करोड़ डॉलर कर्जे में और दे दिए। हालांकि यह राशि इतनी ज्यादा भी नहीं है कि किसी देश की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को थाम सके, लेकिन कुछ नहीं से कुछ तो है ही…
पाकिस्तान पर चीन का यूं भी बहुत कर्ज चढ़ा हुआ है। बेशक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इससे पक्का यकीन होगा कि आज जैसी परिस्थिति में तो ‘दोस्त’ उनका पैसा चुकाने से रहा। इससे भी दिलचस्प बात यह कि इस्लामी देश ने चीन के कुछ निजी बैंकों तक से उधार लिया हुआ है। लेकिन इस उधार के पीछे उन चीनी बैंकों ने क्या शर्तें लगाई हैं तथा ब्याज की क्या दर है, इस बाबत कुछ बाहर नहीं आया है। यह सब परदे के पीछे है।
बिछे ही रहे ‘बरखुरदार’
जब शर्मिंदा हुए शरीफ
एक और दिलचस्प बात! साल 2022 में यानी पिछले साल प्रधानमंत्री शरीफ के यूएई दौरे में उनका एक बयान काफी चर्चित हुआ था, जिसकी उनके अपने देश पाकिस्तान में ही बहुत छीछालेदर हुई थी। शरीफ ने कहा था कि ‘प्रधानमंत्री के नाते किसी ‘दोस्त देश’ में जाकर कर्जे की मांग करना बुरा तो लगता है, लेकिन किया क्या जाए, यह हमारी मजबूरी बन गई है’।
सऊदी अरब ने साल 2020 में भी पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर देने के साथ ही तेल भी उधार पर ही दिया था। उसने पाकिस्तान को एक शर्त के तहत यह ‘सुविधा’ दी थी कि वह जब चाहेगा, तब 36 घंटे की पूर्व सूचना पर अपना पैसा वापस ले लेगा। इस पैसे पर सऊदी अरब ने ब्याज भी लगाया था। अब इस 11 जुलाई को फिर से सऊदी अरब से 2अरब डॉलर का जो कर्ज मिला है, उसमें भी शर्तें उपरोक्त ही रहने वाली हैं।
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति खस्ताहाल है। कंगाल पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा के नाम पर सिर्फ 4.4 अरब डॉलर ही बचे हैं। लेकिन आईएमएफ से पहले सऊदी अरब की तरफ से की गई इस ‘मेहरबानी’ पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी खाड़ी देश का झुक-झुककर आभार जता रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया में, खासतौर पर शहजादे मोहम्मद बिन सलमान का शुक्रिया अदा किया है।
अब भला पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशहाक डार इस ‘उपलब्धि’ पर पीठ किसकी थपक रहे हैं, अपनी या शहजादे सलमान की! इशहाक डार ने 11 जुलाई को ही ट्वीट में लिखा-‘पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार यानी फॉरेक्स रिजर्व बढ़ रहा है। सऊदी अरब ने स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान के कोष में 2 अरब डॉलर डिपॉजिट करा दिए हैं। हमारे प्राइम मिनिस्टर शाहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी। हमारे दोस्त पाकिस्तान की मदद के लिए साथ खड़े हैं।
सवाल यह है कि सऊदी अरब ने अचानक यह बड़ा दिल क्यों दिखाया? अपनी शर्तों पर जमे रहने वाले सऊदी अरब ने पाकिस्तान को यकायक 2 अरब डॉलर कैसे दे दिए? इसके पीछे एक रहस्य है। दरअसल, यह तब संभव हुआ जब सऊदी अरब के शहजादे सलमान को पता चला कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को राहत देने का मन बनाया है, 3 अरब डॉलर देने का समझौता लगभग तय हो चुका है, तो उन्होंने फौरन इस्लामी देश के बैंक खाते में 2 अरब डॉलर जमा करा दिए।
संशय में आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष पाकिस्तान के संदर्भ में सदा संशय में रहा है। वह अन्य देशों के मुकाबले पाकिस्तान के मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखता है। इस 3 अरब डॉलर की राशि के लिए ही उसके बड़े अधिकारियों ने इस्लामाबाद आकर और वर्चुअली भी अनेक दौर कीबैठकें की हैं। आईएमएफ की अधिकृत वेबसाइट खंगालने पर उसके प्रभारी अधिकारी का वह लंबा-चौड़ा करारनामा और उसके पीछे के घटनाक्रमों का विस्तार से उल्लेख मिलता है।
बहरहाल, इस ‘उपलब्धि’ के बावजूद पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति खस्ताहाल है। कंगाल पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा के नाम पर सिर्फ 4.4 अरब डॉलर ही बचे हैं। लेकिन आईएमएफ से पहले सऊदी अरब की तरफ से की गई इस ‘मेहरबानी’ पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी खाड़ी देश का झुक-झुककर आभार जता रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया में, खासतौर पर शहजादे मोहम्मद बिन सलमान का शुक्रिया अदा किया है। इतना ही नहीं, सऊदी अरब की जनता तक को धन्यवाद दिया है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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