पाकिस्तान में जहां सेना का मुख्यालय है उस शहर का नाम है रावलपिंडी और यह राजधानी इस्लामाबाद से बहुत दूर नही है। इसे लेकर अभी एक वीडियो वायरल हुआ है। यह वीडियो पाकिस्तान के एक लेखक सज्जाद अजहर का है। इसमें सज्जाद दावा कर रहे हैं कि शहर का रावलपिंडी हिन्दू राजा महाराणा बप्पा रावल से आया है।
1947 में भारत का बंटवारा हुआ जिसमें से पाकिस्तान बना। इस विभाजन का नतीजे के तौर पर जो पाकिस्तान बना, वह इस्लामिक मजहबी देश बना। विभाजन से पूर्व वहां भारत के अनेक मशहूर नगर थे। इनमें से ही एक रावलपिंडी शहर है। इस शहर का ही नाम हिंदू राजा महाराणा बप्पा रावल के नाम पर रखा गया है। सज्जाद का ऐसा दावा करता यह वीडियो खासा लोकप्रिय हो रहा है।
महाराणा बप्पा रावल ने ग्रांड ट्रंक रोड पर हर 150 किलोमटर पर फौजी चौकी जमाई थी ताकि कोई दुश्मन सीधा शहर में न दाखिल हो। उनके द्वारा जो चौकियां बनाई गईं उनमें से एक यहां रावलपिंडी भी थी। इसी चौकी का नाम बहादुर हिन्दू राजा बप्पा रावल के नाम पर रावलपिंडी हो गया। यहां बता दें कि रणबांकुरों की धरती राजस्थान की संतान के हिंदू राजा महाराणा बप्पा रावल का राज सुदूर क्षेत्रों तक यानी भारत से लेकर आज जहां अफगानिस्तान है, वहां तक जाता था।
पाकिस्तानी लेखक सज्जाद अजहर से दरअसल एक साक्षात्कार में पूछा गया था कि रावलपिंडी का इतिहास क्या रहा है। इस सवाल के जवाब में लेखक सज्जाद अजहर का कहना था कि रावलपिंडी में सबसे पहली फौजी चौकी 8वीं सदी में बनी थी और वह फौजी चौकी स्थापित की थी राजस्थान के उस वक्त तक के सबसे बड़े राजा बप्पा रावल ने। उन्हीं बप्पा रावल ने 712 ईसवीं में, आज जहां पाकिस्तान है वहां राज कर रहे अरब शासक को हरा कर अरब का राज खत्म किया था। उस दौरान यहां मोहम्मद बिन कासिम नाम का एक अरब शासक भी हुआ करता था, जिसका शासन मुल्तान तक चलता था। लेकिन तब हिंदू नरेश महाराणा बप्पा रावल ने मोहम्मद बिन कासिम का शासन मुल्तान से उखाड़ फेंका था और उसे ईरान भाग खड़े होने की हालत में ला दिया था।
सज्जाद ने आगे बताया कि तत्कालीन हिंदू राजा महाराणा बप्पा रावल ने अपनी बहादुरी से अरब के शासकों को अफगानिस्तान तक चैन नहीं लेने दिया था। इसके बाद जब बप्पा रावल आज जहां पाकिस्तान है, वहां लौटकर आए तो उन्होंने सोचा कि क्योंकि शत्रुओं के आक्रमणों से बचने के लिए एक स्थायी फौजी चौकियों की स्थापना की जाए।
महाराणा बप्पा रावल ने ग्रांड ट्रंक रोड पर हर 150 किलोमटर पर फौजी चौकी जमाई थी ताकि कोई दुश्मन सीधा शहर में न दाखिल हो। उनके द्वारा जो चौकियां बनाई गईं उनमें से एक यहां रावलपिंडी भी थी। इसी चौकी का नाम बहादुर हिन्दू राजा बप्पा रावल के नाम पर रावलपिंडी हो गया। यहां बता दें कि रणबांकुरों की धरती राजस्थान की संतान के हिंदू राजा महाराणा बप्पा रावल का राज सुदूर क्षेत्रों तक यानी भारत से लेकर आज जहां अफगानिस्तान है, वहां तक जाता था।
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