जेम्स न्यू लाइफ सेंटर कॉन्वेंट स्कूल में 500 महिला और पुरुष प्रार्थना सभा के लिए एकत्रित हुए हैं। लोगों के अनुसार प्रार्थना सभा की आड़ में कन्वर्जन कराया जा रहा था। इसके लिए कोडरमा जिले के आसपास के लोगों के साथ-साथ बिहार के नवादा और गया जिले से भी काफी संख्या में लोग आए थे।
झारखंड में सितंबर, 2017 में रघुवर दास सरकार ने कन्वर्जन विरोधी कानून बनाया था। इसके बावजूद यहां कन्वर्जन रुक नहीं रहा है। ताजा मामला कोडरमा जिले के तिलैया थाना क्षेत्र के करमा स्थित जेम्स न्यू लाइफ सेंटर स्कूल से आया है। घटना 8 जुलाई की है। कुछ स्थानीय लोगों को पता चला कि उक्त कॉन्वेंट स्कूल में लगभग 500 महिला और पुरुष प्रार्थना सभा के लिए एकत्रित हुए हैं। लोगों के अनुसार प्रार्थना सभा की आड़ में कन्वर्जन कराया जा रहा था। इसके लिए कोडरमा जिले के आसपास के लोगों के साथ-साथ बिहार के नवादा और गया जिले से भी काफी संख्या में लोग आए थे।
कन्वर्जन की घटना, कोडरमा जिले, रघुवर दास, कन्वर्जन विरोधी कानून, झारखंड भी ईसाई-बहुल, कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी
एक स्थानीय व्यक्ति मनोज कुमार के अनुसार प्रार्थना सभा में लोगों को बाईबिल बांटी जा रही थी। इसलिए लोगों ने इसका विरोध किया। सूचना मिलने पर तिलैया थाना प्रभारी विनोद कुमार दल-बल के साथ विद्यालय पहुंचे। उन्होंने स्कूल के प्रधानाध्यापक सहित चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने आवेदन देकर इन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
‘‘राज्य सरकार कन्वर्जन की घटनाओं पर जरा भी गंभीर नहीं है।
इस कारण स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह से लापरवाह हो जाता है।’’
—अन्नपूर्णा देवी, सांसद, कोडरमा
कोडरमा के पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव के अनुसार पुलिस की पड़ताल में कन्वर्जन का कोई मामला नहीं आया है। वहीं पिछले कई महीनों से स्थानीय लोगों का मानना है कि आसपास के क्षेत्रों में कन्वर्जन का काम खुलेआम किया जा रहा है। इस बात की सूचना समय-समय पर प्रशासन और राज्य सरकार के पास भी भेजी जाती है। गांव के मुखिया प्रतिनिधि अनिल कुमार यादव का कहना है, ‘‘ग्रामीणों ने मुझे जानकारी दी कि जेम्स स्कूल में हिंदुओं को ईसाई बनाया जा रहा है। वहां काफी संख्या में महिला-पुरुष जमा थे।’’
इसी वर्ष जनवरी के महीने में पाञ्चजन्य में कोडरमा में चल रहे कन्वर्जन पर एक रपट प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि जिस तरह से देखते-देखते पूरा नागालैंड ईसाई-बहुल हो गया है, उसी तरह से झारखंड भी ईसाई-बहुल होने की राह पर है। बता दें कि कोडरमा के गरडीह टोला के 25 हिंदू परिवारों के अनेक लोगों को ईसाई बना दिया गया था। ये सभी घटवार जाति के थे। पहली बार घटवार जाति के लोग ईसाई बने थे। यही कारण है कि इस घटना की जांच के लिए कोडरमा के उपायुक्त आदित्य रंजन ने एक जांच समिति बनाई थी।
कोडरमा की विधायक नीरा यादव भी कन्वर्जन की घटनाओं को लकर काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार राज्य में बने कन्वर्जन विरोधी कानून का अनुपालन सही से नहीं करवा रही है। इसी का नतीजा है कि राज्य में मिशनरी संस्थाएं निरंकुश हो चुकी हैं। ऐसा लग रहा है मानो राज्य सरकार ईसाई मिशनरियों के इशारे पर ही चल रही है।
सतगावां प्रखंड के रहने वाले बबलू के अनुसार कोडरमा जिले में कई ऐसे स्थान हैं, जहां हर रविवार को प्रार्थना सभा और चंगाई सभा का आयोजन किया जाता है। उनके अनुसार गरडीह, राजाबर, खीरीकला, राजघट्टी जैसे गांवों में प्रार्थना सभाएं होती हैं। बबलू का मानना है कि जो काम खुलेआम हो रहा हो, उसकी जानकारी प्रशासन के पास न हो, इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है।
कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी का कहना है कि राज्य सरकार कन्वर्जन की घटनाओं पर जरा भी गंभीर नहीं है। इस कारण स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह से लापरवाह हो जाता है। यह स्थिति सिर्फ कोडरमा की ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य की है। हर जगह मिशनरियों का बोलबाला है। इसलिए झारखंड के लोग कह रहे हैं कि सरकार कन्वर्जन विरोधी कानून को सख्ती से लागू करे।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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