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संकट में पंजाब

अपने धर्म, संस्कृति और अध्यात्म के प्रति विशेष प्रकार की जागरूकता रही है। गुरुनानक देव जी ने बल दिया था कि अपनी संस्कृति, अपनी भाषा और धर्म के प्रति जब पूरा क्षेत्र जागरूक हो जाता है तब किसी भी बाबर, किसी भी आक्रमणकारी की हिम्मत नहीं हो सकती कि वह उन लोगों को अपने धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक चिंतन से दूर कर सके।

by डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी
Jul 19, 2023, 10:50 am IST
in मत अभिमत, पंजाब
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20वीं शताब्दी के प्रारंभ में ईसाई मिशनरियों ने लुधियाना में प्रिंटिंग प्रेस लगाकर लोगों को ईसाई बनाना शुरू किया था। इसके विरोध में पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने ओइम् जय जगदीश हरे आरती लिखी। उन्होंने ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्र को खत्म करने के लिए भारतीय संस्कृति के कई दीपक जलाए।

डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी
कुलाधिपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय,
हिमाचल प्रदेश

पंजाब में प्रारंभ से ही अपने धर्म, संस्कृति और अध्यात्म के प्रति विशेष प्रकार की जागरूकता रही है। गुरुनानक देव जी ने बल दिया था कि अपनी संस्कृति, अपनी भाषा और धर्म के प्रति जब पूरा क्षेत्र जागरूक हो जाता है तब किसी भी बाबर, किसी भी आक्रमणकारी की हिम्मत नहीं हो सकती कि वह उन लोगों को अपने धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक चिंतन से दूर कर सके।

इसका परिणाम बहुत अच्छा हुआ। मध्यकाल की पंजाबी संस्कृति का अध्ययन करेंगे तो देखेंगे कि कन्वर्जन के प्रति लोगों के मन में नफरत रही। गुरु तेगबहादुर जी ने तो अपना बलिदान देकर कन्वर्जन को रोका। किंतु वर्तमान में बड़ी दुखदायी स्थितियां हैं।

20वीं शताब्दी के प्रारंभ में ईसाई मिशनरियों ने लुधियाना में प्रिंटिंग प्रेस लगाकर लोगों को ईसाई बनाना शुरू किया था। इसके विरोध में पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने ओइम् जय जगदीश हरे आरती लिखी। उन्होंने ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्र को खत्म करने के लिए भारतीय संस्कृति के कई दीपक जलाए। उन्होंने पंजाबी और हिंदी भाषा में रामायण की छोटी-छोटी कथाएं, महाभारत का संदेश आदि छपवाकर घर-घर बांटे। उन्होंने लोगों को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक किया।

हमारी बोलियों, गीतों आदि में अलग-अलग तरह के विदेशी प्रभाव बढ़ाए जा रहे हैं। लोगों को उनकी भाषा, संस्कृति और धर्म से अलग-थलग किया जा रहा है। पंजाब के लिए यह बहुत बड़ी त्रासदी है। संपूर्ण पंजाब को आज जागरूक होने की जरूरत है। 

आज पंजाब पर बहुत बड़ा संकट है। लोगों पर कन्वर्जन का दबाव डाला जा रहा है और कई तरह का लालच दिया जा रहा है, यहां तक कि विदेश में बसने का भी। लोगों को विदेशी शहरों की चकाचौंध दिखाकर उन्हें अपने धर्म, संस्कृति से अलग किया जा रहा है। हमारे दलित भाइयों को प्रलोभन देकर विदेशी विचार से जोड़ा जा रहा है।

यह मामूली षड्यंत्र नहीं है। हमारी बोलियों, गीतों आदि में अलग-अलग तरह के विदेशी प्रभाव बढ़ाए जा रहे हैं। लोगों को उनकी भाषा, संस्कृति और धर्म से अलग-थलग किया जा रहा है। पंजाब के लिए यह बहुत बड़ी त्रासदी है। संपूर्ण पंजाब को आज जागरूक होने की जरूरत है।

Topics: Punjabi CultureOm Jai Jagdish HarePunjab in Crisisreligionपंजाबी संस्कृति का अध्ययनधर्मसंस्कृति और अध्यात्मआध्यात्मिक चिंतनपंजाबी संस्कृतिओइम् जय जगदीश हरेCulture and SpiritualitySpiritual Thoughts
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