पंजाब : कन्वर्जन की फांस
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

पंजाब : कन्वर्जन की फांस

पंजाब के सभी 23 जिलों में ईसाइयों ने अपनी पैठ बना ली है। खास तौर से पंजाब के मालवा में फिरोजपुर, फाजिल्का के सीमावर्ती इलाके, माझा और दोआबा में इनकी संख्या बहुत अधिक है। एक अनुमान के अनुसार पंजाब में 65,000 पादरी हैं, जिनमें 5,000 हाल के वर्षों में कन्वर्ट हुए हैं

by नागार्जुन
Jul 18, 2023, 05:15 pm IST
in भारत, पंजाब
पादरी बजिंदर सिंह शारीरिक विकलांगता दूर करने के साथ मृत व्यक्ति को भी जिंदा करने का दावा करता है

पादरी बजिंदर सिंह शारीरिक विकलांगता दूर करने के साथ मृत व्यक्ति को भी जिंदा करने का दावा करता है

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हिंदू-सिख नाम और हिंदू सिख वेश बनाए रखे हुए हैं तथा सिख और हिंदू समाज के लोगों को कन्वर्ट कर रहे हैं। पंजाब में ऐसा कोई गांव, नगर और शहर नहीं है, जहां चर्च न हों। बल्कि घरों में ही चर्च खुल गए हैं, जहां लालच देकर सिखों और हिंदुओं को कन्वर्ट किया जा रहा है।

पादरी बजिंदर सिंह शारीरिक विकलांगता दूर करने के साथ मृत व्यक्ति को भी जिंदा करने का दावा करता है

नागार्जुन

ईसाई मिशनरियां भ्रम और अंधविश्वास फैलाकर न केवल भारतीय समाज को तोड़ रही हैं, बल्कि कन्वर्जन कर समाज को लगातार कमजोर करने का प्रयास भी कर रही हैं। पिछले लगभग दो दशकों में पेंटेकोस्टल आंदोलन से प्रेरित कथित करिश्माई ईसाइयत की ऐसी लहर चली कि अब पंजाब का कोई भी जिला इससे अछूता नहीं रह गया है। सभी 23 जिलों में ईसाइयों ने अपनी पैठ बना ली है। विशेषकर, समूचे माझा, दोआबा क्षेत्र, पंजाब के मालवा क्षेत्र में फिरोजपुर और फाजिल्का के सीमावर्ती क्षेत्रों में ईसाई बहुत बड़ी संख्या में हो गए हैं। राज्य में बड़े पैमाने पर चल रहे कन्वर्जन को लेकर सिख और हिंदू समाज आक्रोशित है, जिसकी परिणति अक्सर होने वाले संघर्षों के रूप में देखी जा सकती है।

वैसे पंजाब में कितने चर्च और पादरी हैं, इसका कोई ठोस आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन अनुमान है कि यहां पादरियों की संख्या लगभग 65,000 है। इनमें लगभग 5,000 पादरी तो ऐसे हैं, जिन्होंने हाल ही में ईसाइयत कबूल की है। इनमें से अधिकांश आज भी लोगों को बरगलाने के लिए हिंदू-सिख नाम और हिंदू सिख वेश बनाए रखे हुए हैं तथा सिख और हिंदू समाज के लोगों को कन्वर्ट कर रहे हैं। पंजाब में ऐसा कोई गांव, नगर और शहर नहीं है, जहां चर्च न हों। बल्कि घरों में ही चर्च खुल गए हैं, जहां लालच देकर सिखों और हिंदुओं को कन्वर्ट किया जा रहा है।

कन्वर्जन की फांस में नौ वंचित समुदायों की बड़ी संख्या है। इनमें रविदासी (मजहबी सिख), वाल्मीकि, सांसी, बावरिया, बाजीगर, राय सिख, बराड़, बंगला, गाधिले और नट शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ ब्राह्मण परिवार भी इनके अनुयायी हैं। राज्य में उभरती क्रिश्चियन मिनिस्ट्रीज स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं। हालांकि सूबे में चर्च आफ नॉर्थ इंडिया है, जिसके अंतर्गत उत्तर भारत के अधिकांश प्रोटेस्टेंट चर्च आते हैं। दूसरी ओर जालंधर डायोसिस के अंतर्गत पंजाब के 23 में से 15 जिलों के अलावा हिमाचल प्रदेश के चार जिलों के रोमन कैथोलिक चर्च आते हैं। लेकिन ये मिनिस्ट्रीज इनमें से किसी के साथ संबद्ध नहीं हैं। स्वतंत्र रूप से काम कर रहे इन पादियों को एक छतरी के नीचे लाने के हरप्रीत देओल ने पेंटेकोस्टल चर्च प्रबंधक समिति बनाई, जिससे 1,000 से अधिक स्थानीय पादरी जुड़ चुके हैं।

कन्वर्जन की शुरुआत

पंजाब में कन्वर्जन की शुरुआत 19वीं सदी में हुई। सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में 1873 में वाल्मीकि समुदाय के दित्त सिंह नामक व्यक्ति के बपतिस्मा के बाद खुलासा हुआ कि पंजाब में ईसाई बड़े पैमाने पर कन्वर्जन कर रहे हैं। हालांकि इससे 20 वर्ष पहले यानी 1853 में महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे बेटे दलीप सिंह 15 की उम्र में कन्वर्ट हो गए थे। गवर्नर जनरल डलहौजी ने फतेहगढ़ में जिस भजन लाल के संरक्षण में दलीप सिंह को रखा था, वह भी कन्वर्टेड ईसाई था। बाद के वर्षों में कन्वर्जन के बाद नव-ईसाई नए इलाकों में बसते गए। खासतौर से, जालंधर छावनी के आसपास के गांवों में, जहां ईसाई बहुतायत में थे।

1870 तक संयुक्त पंजाब में कुछ हजार ईसाई ही थे, लेकिन अगले 6 दशक यानी 1930 में इनकी आबादी बढ़कर 5 लाख हो गई। जब देश का बंटवारा हुआ तो ये ईसाई सीमाई इलाकों में बस गए। हालांकि इसके बाद कन्वर्जन पर रोक तो नहीं लगी, लेकिन दूसरे बदलाव भी दृष्टिगोचर होने लगे। शहर के पुराने चर्चों का पुनरुद्धार हो गया। मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूल-कॉलेज और अस्पताल खुल गए। आजादी के बाद जब जवाहरलाल नेहरू की सरकार बनी तो कपूरथला राजघराने की राजकुमारी अमृत कौर अहलुवालिया को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। राजकुमारी अमृत कौर कन्वर्टेड ईसाई थीं।

गोलकनाथ चटर्जी नाम के एक मिशनरी के प्रभाव में आकर उनके पिता हरनाम सिंह ईसाई बन गए थे। बाद में हरनाम सिंह ने गोलकनाथ की बेटी प्रिसिला से विवाह किया था। दोनों की 10 संतानें हुईं, जिनमें सबसे छोटी अमृत कौर थीं। हरनाम सिंह को अंग्रेजों ने सर की उपाधि दी थी, वे आल इंडिया कॉन्फ्रेंस आफ इंडियन क्रिश्चियन्स के अध्यक्ष थे और उन्हें नाइट कमांडर आफ द आर्डर आफ द इंडियन एम्पायर की भी पदवी दी गई थी।

2011 में राज्य में 3,48,230 ईसाई थे, जो राज्य की कुल आबादी का 1.26 प्रतिशत थे। अब इनकी अनुमानित आबादी 15 प्रतिशत हो गई है। इस हिसाब से ईसाइयों की आबादी 46 लाख से अधिक हो गई है। वह भी महज 12 वर्ष में!

वर्तमान स्थिति

2001 की जनगणना के अनुसार, पंजाब में सिखों की जनसंख्या 60 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 57.7 हो गई। 1991 में सिख जनसंख्या में दशकीय वृद्धि दर 24.3 प्रतिशत रही, जो 2001 में घटकर 18.2 प्रतिशत और 2011 में 8.4 प्रतिशत हो गई। 1991-2001 में 15.9 प्रतिशत की तुलना में 2001-2011 में यानी दो दशकों में 9.8 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं, 2001-2011 के दौरान हिंदुओं की जनसंख्या में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी बढ़कर क्रमश: 4.9 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत हो गई। 2011 में राज्य में 3,48,230 ईसाई थे, जो राज्य की कुल आबादी का 1.26 प्रतिशत थे। 2001 में इनकी आबादी 1.20 प्रतिशत थी। अब इनकी अनुमानित आबादी 15 प्रतिशत हो गई है। इस हिसाब से ईसाइयों की आबादी 46 लाख से अधिक हो गई है। वह भी महज 12 वर्ष में! अभी पंजाब की आबादी 3.07 करोड़ है।

पंजाब में कन्वर्जन की रफ्तार तमिल ईसाई प्रचारक पॉल दिनाकरन के आने के बाद बढ़ी। दिनाकरन 2000 के दशक में पंजाब आया था। उस समय पंजाब वर्षों के आतंकवाद की जकड़ से निकलने के बाद कृषि संकट से जूझ रहा था। युवा पीढ़ी नशे की चपेट में थी। इसके अलावा, कांग्रेस और पंजाब के अन्य राजनीतिक दल खुल कर जातिवाद का खेल खेल रहे थे। कुल मिलाकर स्थितियां ईसाई मिशनरियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त थीं। दिनाकरन ने लोगों को सब्जबाग दिखाया, प्रलोभन दिए कि ईसाई बनने के बाद उनकी जिंदगी बदल जाएगी। लोग भी उसके झांसे में आते गए।

ईसाइयत के प्रचार-प्रसार के लिए दिनाकरन ने अमेरिकी टीवी इवेंजेलिस्ट की तरह हर हथकंडे अपनाए। इनमें संगीत-नृत्य, चमत्कारी तरीके से बीमारियां दूर करना, भूत भगाना आदि शामिल थे, जिसके सहारे बाद में अंकुर नरूला, बजिंदर सिंह, हरप्रीत देओल, अमृत संधू जैसे जैसे दूसरे स्थानीय पादरियों ने अपनी दुकानें जमा लीं। खास बात यह है कि ये खुद कन्वर्टेड ईसाई हैं, लेकिन इन्होंने अपना न तो उपनाम बदला, न रहन-सहन और न ही पहनावा। यहां तक कि कुछ पंजाबी पादरी अभी भी पगड़ी पहनते हैं। इन्हें देख कर कोई कह ही नहीं सकता कि ये ईसाई हैं।

ये डेरों की देखा-देखी ‘सत्संग’ और ‘समागम’ भी करते हैं। ये अपने नाम के आगे ‘पास्टर’, ‘अपोस्टल’ प्रॉफेट लगाते हैं। इन्होंने स्थानीय रीति-रिवाजों को चुरा कर उनके जरिए सिखों-हिंदुओं के सामने ईसाइयत को परोसा और इस हथकंडे को व्यापक सफलता भी मिली। आज इनके अनुयायियों की संख्या करोड़ों में बताई जाती है। रविवार और गुरुवार को होने वाली इनकी प्रार्थना सभाओं में हजारों लोग जुटते हैं। रोमन कैथोलिक ईसाइयों के विपरीत इन नवोदित पादरियों से अनुयायी न तो सीधे संपर्ककर सकते हैं और न ही प्रार्थना के दौरान उनके निकट जा सकते हैं। सप्ताह में दो दिन छोड़कर शेष दिन प्रार्थना सभा में उन्हें शामिल होने की भी अनुमति नहीं होती। अनुयायी उनके उपदेश सोशल मीडिया और यूट्यूब पर ही सुन सकते हैं।

पंजाब के पादरियों में अंकुर नरूला सबसे तेजी से बढ़ा है। देश-दुनिया में इसके 15 चर्च हैं। इसने अकेले 12 लाख वंचित सिखों को कन्वर्ट किया है। जालंधर में यह लगभग 2,000 करोड़ रुपये की लागत से एशिया का सबसे बड़ा चर्च बनवा रहा है। बड़ी संख्या में नव-ईसाई इन्हीं स्थानीय पादरियों ने बनाए हैं, जो अपना स्वतंत्र चर्च चलाते हैं। भले ही इन्होंने अपने नाम, रहन-सहन और वेश-भूषा नहीं बदली है, लेकिन मन से इन्हें हिंदू और सिख विरोधी बना दिया गया है। कैथोलिक चर्च के एक पादरी के अनुसार, पंजाबी पादरी मुख्यत: लुधियाना, जालंधर, गुरदासपुर, अमृतसर, मोगा और फिरोजपुर जिलों में सक्रिय हैं।

पंजाब के प्रमुख पादरी, जो कुछ वर्ष पहले कन्वर्ट हुए

चमत्कार के दावे

पादरी चामत्कारिक इलाज से छोटी-छोटी बीमारियों से लेकर कैंसर तक ठीक करने का दावा करते हैं। ये इसके अलावा, अवसाद, बवासीर, विकलांगता दूर करने, वीजा दिलाने, नौकरी दिलाने, वर-वधू खोजने, बांझपन, भूत-प्रेत से छुटकारा दिलाने और यहां तक कि मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित करने का भी दावा करते हैं। ये पादरी पूरे ताम-झाम के साथ ‘चंगाई सभा’ जैसे कार्यक्रम करते हैं, जिसमें युवा पुरुषों और महिलाओं को कथित तौर पर बीमार, अपाहिज या दूसरे कारणों से परेशान दिखाया जाता है। पादरी इनके सिर पर हाथ रखता है और ये चमत्कारिक तरीके से ‘ठीक’ हो जाते हैं। अंकुर नरूला यह कह कर लोगों को गुमराह करता है कि ‘‘यीशु के नाम पर हर बीमार ठीक हो जाए और यीशु मसीह के शक्तिशाली नाम पर अपवित्र आत्माओं को बाहर निकालने का आदेश दिया जाए।’’ इसका सीधा मतलब यह है कि सिखों और हिंदुओं के भीतर अपवित्र आत्माएं हैं, जो यीशु का नाम लेने मात्र से पवित्र हो जाएंगी।

वहीं, पादरी बजिंदर सिंह दावा करता है कि वह मृत व्यक्ति को दोबारा जीवन दे सकता है। दूसरे पादरियों की तरह बजिंदर भी हर बीमारी और विकलांगता, झाड़-फूंक से भूत भगाने तथा राजनीति में अच्छा पद दिलाने के दावे करता है। इस तरह, भ्रम फैलाकर बजिंदर हजारों सिखों और हिंदुओं को कन्वर्ट कर चुका है। इनके झांसे में आकर कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इनमें से एक 4 वर्ष की तनीषा भी थी। तनीषा को कैंसर था। जालंधर के ताजपुर गांव में बजिंदर सिंह द्वारा संचालित ‘चर्च आफ ग्लोरी एंड विज्डम’ में उसके लिए प्रार्थनाएं चल रही थीं।

तनीषा के अभिभावक उस पर भरोसा करके बैठे रहे और वह चल बसी। इसी तरह, अप्रैल 2021 में मुंबई के एक परिवार ने प्रॉफेट बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज के विरुद्ध पंजाब पुलिस में शिकायत की थी। परिवार का कहना था कि उसकी 17 वर्षीया बेटी को कैंसर था। बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज ने उसे स्वस्थ करने के लिए 80,000 रुपये लिये थे। बेटी के मरने के बाद मिनिस्ट्री के कर्मचारियों ने यह कह कर और पैसे मांगे कि वे बच्ची को पुनर्जीवित कर देंगे। इसके बावजूद डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, पुलिस, नौकरशाह, व्यवसायी और जमींदार वर्ग के लोग इनके अनुयायी हैं। ये लोग हिंदुओं और सिखों का कन्वर्जन कराने में पादरियों की मदद करते हैं। फौरी तौर पर पादरी कन्वर्ट होने वालों को काम दिलाते हैं और उनके बच्चों का दाखिला भी ईसाइयत के स्कूलों में हो जाता है।

बढ़ता आक्रोश

पंजाब में कन्वर्जन के विरुद्ध जनमानस में आक्रोश पनप रहा है। कन्वर्जन रोकने के लिए हिंदू समूहों के बाद अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) भी ग्रामीण इलाकों में ‘घर-घर अंदर धरमसाल’ नाम से मुहिम चलाई है। इसके तहत वॉलंटियर घर-घर जाकर सिख पंथ के बारे में बता रहे हैं। एसजीपीसी के अध्यक्ष एचएस धामी कहते हैं कि लोग अपनी परेशानियों के त्वरित समाधान के लिए पादरियों के पास जाते हैं। देर-सवेर उन्हें सच्चाई का अहसास होगा और वे अपने मूल पंथ में वापस आ जाएंगे। पिछले वर्ष अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आनंदपुर साहिब में कन्वर्जन के खतरे के प्रति आगाह करते हुए सिख समुदाय से इस पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया था। कन्वर्जन की इस मुहिम से समाज में टकराव की घटनाएं भी बढ़ी हैं। निहंगों के एक समूह ने 29 अगस्त, 2022 को अमृतसर के ददुआना गांव में एक चर्च पर हमला कर दिया। दो दिन बाद कुछ नकाबपोशों ने तरनतारन के ठाकुरपुरा चर्च में तोड़फोड़ की। इसी तरह, अंकुर नरूला ने दिल्ली में चर्च की शाखा खोली तो लोगों ने उसमें तोड़फोड़ कर उसे बंद करा दिया था, जो अब तक बंद है।

पंजाब के पादरियों में अंकुर नरूला सबसे तेजी से बढ़ा है। देश-दुनिया में इसके 15 चर्च हैं। इसने 12 लाख वंचित सिखों को कन्वर्ट किया है। यह जालंधर में करीब 2,000 करोड़ रुपये की लागत से एशिया का सबसे बड़ा चर्च बनवा रहा है।

दक्षिण की राह पर

पंजाब उन दक्षिणी राज्यों की राह पर है, जो ईसाइयत के कुचक्र के शिकार रहे हैं। पंजाब के 12,000 गांवों में से 8,000 गांवों में ईसाई समितियां काम कर रही हैं। अमृतसर और गुरदासपुर जिले में ही 4 ईसाई समुदायों के 600-700 चर्च बन गए हैं। इनमें से 60-70 प्रतिशत बीते 5-6 वर्ष के दौरान अस्तित्व में आए हैं। ये आंकड़े यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रंट के हैं। वास्तविकता इससे अधिक भयावह हो सकती है। 1980-90 के दशक में केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इसी तरह ईसाई मिशनरियों ने अपना विस्तार किया था, जिसका परिणाम आज सामने है। इन राज्यों में बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है।

ये पादरी चमत्कार की आड़ में कमाई भी करते हैं। अगस्त 2021 की पंजाब खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, जालंधर स्थित प्रॉफेट बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज और अंकुर यूसुफ नरूला मिनिस्ट्रीज को बीते पांच वर्ष में 60 करोड़ रुपये से अधिक ‘दान’ में मिले। इसमें से अंकुर नरूला मिनिस्ट्रीज को 36 करोड़ रुपये, बजिंदर सिंह मिनिस्ट्रीज को 24.5 करोड़ रुपये और हरप्रीत देओल खोजेवाला मिनिस्ट्रीज को 5.42 करोड़ रुपये मिले। इन पैसों से निजी चर्च बन रहे हैं, राज्य में संपत्ति खरीदी जा रही है और बड़े पादरी अपने लिए महंगे कपड़े, महंगी कारें और सुख-सुविधाओं के अलावा अपनी सुरक्षा पर भी खर्च कर रहे हैं।

2020 में लीगल राइट आब्जर्वेटरी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से शिकायत की थी कि अंकुर नरूला एफसीआरए का उल्लंघन कर विदेशों से पैसे ला रहा है। इस समूह ने आरोप लगाया था कि अंकुर नरूला ने 10 दिनों के लिए ब्रिटेन में एक फर्जी कंपनी बनाई और ‘मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क’ खड़ा करने के बाद इसे बंद कर दिया। इस साल फरवरी में आयकर विभाग ने पंजाब के दो प्रमुख पादरियों बजिंदर सिंह और हरप्रीत देओल के ठिकानों और अप्रैल में अंकुर नरूला के दर्जन भर ठिकानों पर छापेमारी की थी। ये छापे नकदी लेन-देन के आरोप में मारे गए थे।

सीमावर्ती राज्य होने के कारण पंजाब हमेशा से रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। ऐसे में ईसाइयों की बढ़ती आबादी चिंताजनक है। इस चिंता को अंकुर नरूला के उस बयान से भी बल मिलता है, जिसमें उसने कहा था, ‘‘भविष्य आपका है। सरकार आपको साथ लेने पर मजबूर हो जाएगी। यह बाइबिल में लिखा है।’’ उसने यह बात 9 फरवरी, 2023 को 30,000 अनुयायियों की सभा को संबोधित करते हुए कही थी। संकेत साफ है।

Topics: Conversion in PunjabSatsangपंजाब में कन्वर्जनSamagamPastorApostleसत्संगAll India Conference of Indian ChristiansसमागमUnited Punjabपास्टरKnight Commander of the Order of the Indian Empireअपोस्टलPentecostal Movementआल इंडिया कॉन्फ्रेंस आफ इंडियन क्रिश्चियन्ससंयुक्त पंजाबनाइट कमांडर आफ द आर्डर आफ द इंडियन एम्पायरपेंटेकोस्टल आंदोलन
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS Chief dr Mohan Bhagwat ji bharat Mata

भारत माता की भक्ति को ही आगे रखना सबका धर्म– डॉ. मोहन भागवत जी

महापुरुषों ने की भारतीय संस्‍कृति की रक्षा : सरसंघचालक जी

प्रतीकात्मक चित्र

पादरी ने सिर पर हाथ रखकर दिया आशीर्वाद, बेहोश हुई महिला और जब होश आया था तो हो चुका था गैंगरेप

baptist pastor apologies

बाप्टिस्ट पास्टर बॉबी लियोनार्ड बोला-शॉर्ट्स पहनेंगी लड़कियां तो रेप होगा, आखिर ये दोहरी मानसिकता ‘कब तक’

Punjab : गोल्डन टेंपल के पास पगधारी पुलिसकर्मी करवा रहा कन्वर्जन, बीजेपी नेता ने वीडियो शेयर कर लगाए गंभीर आरोप

ईसाई मिशनरी पांग छांग-इन अपनी पत्नी ली जिओंग-ही के साथ  (फाइल चित्र)

नेपाल में 20 साल से कन्जर्वन में लगा है कोरिया का पादरी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies