नई दिल्ली। दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़े अध्यादेश के विरोध में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया है। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह संसद में दिल्ली अध्यादेश का विरोध करेगी। कांग्रेस ने बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक से ठीक पहले इस मुद्दे पर अपना रुख साफ किया है। यह बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस संबंध में मीडिया को जानकारी दी। कांग्रेस का रुख स्पष्ट होते ही आम आदमी पार्टी ने बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में शामिल होने का फैसला किया है। वहीं दिल्ली कांग्रेस के नेता नहीं चाहते थे कि उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी नजर आए, इसके बावजूद ये फैसला लिया गया है। दिल्ली कांग्रेस के दो बड़े नेताओं अजय माकन और संदीप दीक्षित अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अरविंद केजरीवाल एक विशेषाधिकार चाहते हैं जो कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी नहीं मिला था।
पवन खेड़ा ने कहा कि अध्यादेश का विरोध करने का निर्णय 15 जुलाई को पार्टी की संसदीय रणनीति समूह की बैठक में लिया गया था। उन्होंने कहा कि हम हमेशा देश के संघीय ढांचे, हमारी राजनीति और हमारे शासन को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का विरोध करते रहे हैं। खेड़ा ने आरोप लगाया कि जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, वह देश के संघीय ढांचे पर हमला कर रहे हैं, “चाहे वह तमिलनाडु हो, पश्चिम बंगाल हो या दिल्ली हो”। उन्होंने कहा कि इसी तरह, दिल्ली अध्यादेश के मामले में, जो केंद्र द्वारा लाया गया है। कल हमारी पार्टी की संसद रणनीति समूह की बैठक हुई और वहां भी यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस इस अध्यादेश का विरोध करेगी। कांग्रेस की संसदीय रणनीति समूह की बैठक शनिवार को यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई।
इससे पहले, आप और कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर आमने-सामने थे। AAP कांग्रेस के समर्थन पर भरोसा कर रही थी। संसद के ऊपरी सदन में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। सीएम केजरीवाल ने देश भर के शीर्ष विपक्षी नेताओं के साथ एक-एक बैठक कर अध्यादेश मुद्दे पर उनका समर्थन मांगा था। अध्यादेश को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
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