ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मूल वाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से रडार तकनीक से सर्वे कराने के प्रार्थना पत्र पर डॉ अजय कृष्ण विश्वेश के न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने अंजुमन इंतजामिया और हिंदू पक्ष की दलीलों को सुनकर आदेश को सुरक्षित रख लिया है। न्यायालय 21 जुलाई को इस मामले में बड़ा फैसला सुना सकती है। हिंदू पक्ष की ओर से परिसर में सील वजूखाने को छोड़ बाकी सभी स्थानों के सर्वेक्षण की मांग की है।
ज्ञानवापी मां श्रृंगार गौरी मामले में पूरे ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक व वैज्ञानिक जांच करने के मांग संबंधित मामले में वाराणसी के जिला जज के न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 21 जुलाई के लिए फैसले को सुरक्षित रख लिया है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हमने वजूखाने को छोड़ कर सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग न्यायालय के समक्ष रखी है। दलील में हमने न्यायालय को बताया कि इस विवाद को पूरे ज्ञानवापी का पुरातात्विक जांच के द्वारा ही हल किया जा सकता है।
हिंदू पक्ष ने अपने दलीलों में बताया कि ज्ञानवापी परिसर के तीनों गुम्बजों, परिसर के पश्चिमी दीवार सहित पूरे परिसर का मॉडर्न तरीके से जांच करने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकती है। हिंदू पक्ष की चार वादिनी रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू की ओर से 16 मई को प्रार्थना पत्र दिया गया था। मांग की गई थी कि सील किए गए स्थान को छोड़कर परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए।
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