आजकल महिलाओं में तथा कम आयु के युवाओं में भी सुनने को मिलता है। इसके पीछे कारण आजकल का खानपान ही है। भागदौड़ की तेज दिनचर्या में अपने स्वास्थ की तरफ ध्यान न दिया जाना चिंतनीय है।
आज से 50-60 साल पहले तक हृदय रोग अधिकतर पुरुषों को और वह भी 40-50 वर्ष की आयु के बाद ही होता था। परंतु यह आजकल महिलाओं में तथा कम आयु के युवाओं में भी सुनने को मिलता है। इसके पीछे कारण आजकल का खानपान ही है। भागदौड़ की तेज दिनचर्या में अपने स्वास्थ की तरफ ध्यान न दिया जाना चिंतनीय है। बढ़ा हुआ कोलेस्टेरॉल आजकल सामान्य सा होता जा रहा है और इस तरफ ध्यान न देने से हृदय अपघात की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं।
कोलेस्टेरॉल शरीर में पाया जाने वाला मोम की तरह का एक चिपचिपा तरल पदार्थ है। यह मुख्यत: हमारे भोजन से शरीर में आता है और यकृत में भी कुछ मात्रा में इसका उत्पादन होता है। शरीर में कोलेस्टेरॉल की मुख्यत: आवश्यकता हॉरमोन के निर्माण, बाइल जूस, जिससे वसा का पाचन होता है, के निर्माण के लिए होती है। कोलेस्टेरॉल के मुख्यत: तीन प्रकार होते हैं –
कोलेस्टेरॉल के प्रकारों की संतुलित मात्रा बनाये रखने के लिए हमें अपना खान-पान उसी प्रकार से रखना चाहिए। सर्वप्रथम प्रॉसेस्ड एवं रिफाइंड पदार्थों का सेवन बंद करें। बेकरी से आने वाली चीजों को कम ही लें। ब्रेड खाने की जगह रोटी खायें। बहुत से लोग खाने में रोज अचार तथा तली चीजें लेते हैं। ये कोलेस्टेरॉल बढ़ने का मुख्य कारण हो सकता है। कई बार तेल में कोई पदार्थ तलने के बाद उसी तेल को पुन: इस्तेमाल करने से उसमें रासायनिक बदलाव आते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हैं।
- एलडीएल/ निम्न घनत्व लाइपोप्रोटीन – इसे खराब कोलेस्टेरॉल भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य शरीर में वसा को यकृत से विभिन्न अंगों तथा कोशिकाओं तक पहुंचाना है। ये रक्त के साथ रक्त वाहिकाओं में बहता रहता है। इसकी सामान्य मात्रा 100मिग्रा/डीएल से कम होनी चाहिए। परंतु यदि यह मात्रा इससे अधिक बढ़ती है तो यह एलडीएल रक्त वाहिनियों की आंतरिक परतों पर जमने लगता है, तथा वो संकरी होने लगती हैं। परिणामस्वरूप, वाहिकाओं के छिद्र बंद हो जाते हैं जिससे हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है।
- एचडीएल/ उच्च घनत्व लाइपोप्रोटीन-ये अच्छा कोलेस्टेरॉल कहलाता है। इसकी मात्रा सदैव बढ़ी हुई ही होनी चाहिए। यह समान्यत: 35 से 40मिग्रा/डीएल से ज्यादा होना चाहिए। इसका मुख्य कार्य शरीर के विभिन्न भागों से कोलेस्टेरॉल को वापस लिवर तक लाना होता है। इसकी अच्छी मात्रा स्वस्थ हृदय का प्रतीक है। सामान्यत: अखरोट, बादाम, सलाद, फल, दालचीनी का सेवन करने और रोज व्यायाम करने से इसकी अच्छी मात्रा शरीर में बनी रहती है।
- वीएलडीएल/ अतिन्यूनतम लाइपोप्रोटीन-इसकी मात्रा शरीर में सबसे कम होनी चाहिए। ये इंद्रियों तक कोलेस्टेरॉल को ले जाने का काम करता है।
इन सभी कोलेस्टेरॉल के प्रकारों की संतुलित मात्रा बनाये रखने के लिए हमें अपना खान-पान उसी प्रकार से रखना चाहिए। सर्वप्रथम प्रॉसेस्ड एवं रिफाइंड पदार्थों का सेवन बंद करें। बेकरी से आने वाली चीजों को कम ही लें। ब्रेड खाने की जगह रोटी खायें। बहुत से लोग खाने में रोज अचार तथा तली चीजें लेते हैं। ये कोलेस्टेरॉल बढ़ने का मुख्य कारण हो सकता है। कई बार तेल में कोई पदार्थ तलने के बाद उसी तेल को पुन: इस्तेमाल करने से उसमें रासायनिक बदलाव आते हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक हैं।
मोटापा कोलेस्टेरॉल को बढ़ाता है। इसलिए मोटापा कम करना जरूरी है। कोलेस्टेरॉल की मात्रा को कम करने तथा स्वस्थ शरीर व हृदय के लिए रोज सैर तथा व्यायाम करना अनिवार्य है। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है। खानपान को बदलकर हम एक स्वस्थ जीवन तथा स्वस्थ हृदय पा सकते हैं।
जंक पदार्थ तथा ट्रांस फैटी एसिड का इस्तेमाल न ही करें तो अच्छा होता है। ये ट्रांस फैटी एसिड मुख्यत: डालडा तथा मांसाहार से आते हैं। कोलेस्टेरॉल कभी भी वनस्पति पदार्थों में नहीं होता। ये मुख्यत: मांसाहारी पदार्थों जैसे मुर्गा, अंडा, मछली, घी, दूध, पनीर इत्यादि से मिलता है। अत: हमें शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए।
खाने में सलाद, सब्जी, फल, मोटा अनाज, सूखे बीज जैसे सूरजमुखी, कद्दू, सीताफल के सूखे बीज, बादाम, अखरोट का सेवन अवश्य करना चाहिए। अपने तेल को नियमित अंतराल में बदलकर लें। एक ही प्रकार का तेल लंबे समय तक इस्तेमाल करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
मोटापा कोलेस्टेरॉल को बढ़ाता है। इसलिए मोटापा कम करना जरूरी है। कोलेस्टेरॉल की मात्रा को कम करने तथा स्वस्थ शरीर व हृदय के लिए रोज सैर तथा व्यायाम करना अनिवार्य है। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है। खानपान को बदलकर हम एक स्वस्थ जीवन तथा स्वस्थ हृदय पा सकते हैं।
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