गुरुग्राम। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए दुनिया को एक मंच पर आना जरूरी है। यह हमारा साझा लक्ष्य होना चाहिए। हमें मिलकर डिजिटल दुनिया को सुरक्षित करना है। उन्होंने कहा कि आतंकी अपनी पहचान छिपाने और कट्टरपंथी सामग्री फैलाने के लिए कर रहे डार्क-नेट का उपयोग कर रहे हैं। हमें डार्क नेट पर चल रही इन गतिविधियों के पैटर्न को समझना होगा और समाधान ढूंढना होगाउन्होंने साइबर हमले के खतरे की भी चेतावनी दी, उन्होंने कहा कि यह दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर मंडरा रहा है और “दुनिया के कई देश इसके शिकार बन गए हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह गुरुवार को हरियाणा के गुरुग्राम में ‘एनएफटी, एआई और मेटावर्स के युग में अपराध एवं सुरक्षा’ पहलुओं पर आयोजित जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम नई तकनीक को तेजी से अपना रहे हैं। आज 840 मिलियन भारतीय इंटरनेट पर हैं। ऐसे में हमें सतर्क रहना होगा। हम डिजिटल लेनदेन में भी आगे हैं। ऐस में हमें डिजिटल दुनिया को हरहाल में सुरक्षित करना होगा।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत जमीनी स्तर पर उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सबसे आगे रहा है। हमारा लक्ष्य आधुनिक प्रौद्योगिकी को समाज के सभी वर्गों के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाना है। आज 840 मिलियन भारतीयों की ऑनलाइन उपस्थिति है और 2025 तक अन्य 400 मिलियन भारतीय डिजिटल दुनिया में प्रवेश करेंगे। नौ साल में इंटरनेट कनेक्शन 250 फीसदी बढ़ गए हैं। प्रति जीबी डेटा की कीमत 96 फीसदी कम कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत हमने 500 मिलियन नए बैंक खाते खोले हैं और 330 मिलियन रुपये डेबिट कार्ड वितरित किए गए हैं। भारत 90 मिलियन लेनदेन के साथ वैश्विक डिजिटल भुगतान में अग्रणी है। 300 मिलियन रुपये की राशि सीधे बैंक खातों में स्थानांतरित की गई। डिजिलॉकर लगभग 6 बिलियन दस्तावेज़ संग्रहित करता है। ऐसे में हमें डिजिटल दुनिया को पूर्ण सुरक्षित करना होगा। साइबर सुरक्षा को लेकर दुनिया में एक जैसे कानून बनने चाहिए।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि कोई भी देश या संगठन अकेले साइबर खतरों से नहीं लड़ सकता, बल्कि इससे निपटने के लिए एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता है। हमारे भविष्य ने हमें ”संवेदनशीलता के साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग करने” और ”सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने” की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहने का अवसर दिया है। हालांकि, यह कार्य अकेले सरकार द्वारा नहीं संभाला जा सकता है। हमारा लक्ष्य साइबर सक्सेस वर्ल्ड बनाना है न कि साइबर फेलियर वर्ल्ड। साथ मिलकर, हम सभी के लिए ‘सुरक्षित और समृद्ध डिजिटल भविष्य’ सुनिश्चित करते हुए इन प्रौद्योगिकियों की क्षमता का उपयोग कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने देश के सात प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साइबर वालंटियर स्क्वाड को हरी झंडी दिखाई। यह स्क्वाड लोगों को साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूक करेगा। कार्यक्रम के दौरान शाह ने साइबर सुरक्षा पर आयोजित प्रदर्शनी का भी विमोचन किया।
साइबर अपराध बढ़ने की आशंका
केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि इन्टरपोल की वर्ष 2022 की ‘ग्लोबल ट्रेंड समरी रिपोर्ट’ के अनुसार रैनसमवेयर, फिशिंग, ऑनलाइन घोटाले, ऑनलाइन बाल यौन-शोषण और हैकिंग जैसे साइबर अपराध की कुछ प्रवृत्तियां विश्वभर में गंभीर खतरे की स्थिति पैदा कर रही हैं और ऐसी आशंका है कि भविष्य में ये साइबर अपराध कई गुना और बढ़ेंगे। इस संदर्भ में यह सम्मेलन जी-20 प्रेसीडेंसी की एक नई और अनूठी पहल है और जी-20 में साइबर सुरक्षा पर यह पहला सम्मेलन है। उन्होंने कहा कि जी-20 ने अब तक आर्थिक दृष्टिकोण से डिजिटल परिवर्तन और डेटा फ्लो पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब क्राइम और सिक्योरिटी आस्पेक्ट्स को समझना और समाधान निकालना बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि एनएफटी, एआई, मेटावर्स और अन्य इमर्जिंग टेक्नोलॉजी के युग में कोऑर्डिनेटेड और कोऑपरेटिव तरीके से नए और उभरते खतरों के लिए समय पर प्रतिक्रिया देकर हमें आगे रहना है।
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