नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगे में ताहिर हुसैन को पांच मामलों में जमानत दी है। जस्टिस अनीश दयाल ने जमानत देने का आदेश दिया। ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के पांच मामलों में जमानत मिली है, लेकिन वो जेल से बाहर नहीं निकल सकेगा क्योंकि दिल्ली दंगों की साजिश रचने और दूसरे मामलों में एफआईआर दर्ज है जिसमें वो जेल में बंद है।
21 अगस्त 2020 को कड़कड़डूमा कोर्ट ने ताहिर हुसैन के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज एफआईआर में दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। चार्जशीट में ताहिर हुसैन समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है। ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया गया है। करीब 1700 पन्नों की चार्जशीट में पार्षद ताहिर हुसैन का भाई शाह आलम भी आरोपी है। क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट में कहा कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपनी छत पर था। उस पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप है। चार्जशीट में कहा गया है कि हिंसा कराने के लिए ताहिर हुसैन ने एक करोड़ 30 लाख रुपये खर्च किए थे।
ताहिर हुसैन के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया है। धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और आपराधिक साजिश रचने का भी आरोप है। ईडी ने कई स्थानों पर छापा मारा जिसमें कई दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस मिले। ताहिर हुसैन के पास से व्हाट्सऐप चैट, फर्जी बिल बरामद किए गए। ईडी ने कहा है कि ताहिर हुसैन ने आपराधिक साजिश रचते हुए कई कंपनियों के खाते से पैसे ट्रांसफर किए। इन पैसों से अपराध को अंजाम दिया गया।
उमर खालिद की जमानत पर सुनवाई 24 जुलाई तक टली
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है। जस्टिस एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 24 जुलाई को करने का आदेश दिया। 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। इससे पहले 18 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच हुई बैठकों का नतीजा थी, जिनमें उमर खालिद भी शामिल हुआ था। हाई कोर्ट ने कहा था कि उमर खालिद का नाम साजिश की शुरुआत से लेकर दंगा होने तक आता रहा। उमर खालिद व्हाट्सऐप ग्रुप डीपीएसजी और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू का सदस्य था। उसने कई बैठकों में हिस्सा लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर चार्जशीट पर भरोसा किया जाए तो ये साजिश की ओर साफ-साफ इशारा कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र में होने वाले आम राजनीतिक प्रदर्शन की तरह नहीं था बल्कि ये खतरनाक था, जिसके गंभीर परिणाम हुए। पुलिसकर्मियों पर महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया, जिससे इलाके में दंगा फैला, जो कि निश्चित रूप से एक आतंकी कार्रवाई थी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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