फ्रांस में देशव्यापी दंगों की शुरुआत ही 17 वर्षीय मुस्लिम किशोर को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने की घटना के वीडियो प्रसार से हुई थी।
फ्रांस के राष्ट्रपति राष्ट्पति इमैनुएल मैक्रों ने सोशल मीडिया, सिटीजन पत्रकारिता, न्यू मीडिया आदि पर सख्ती का हर संभव प्रयास किया, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी। हिंसा और विनाश की खबरें भले ही धीरे-धीरे चल रही हों, लेकिन लोगों तक पहुंच रही हैं। विडंबना यह है कि फ्रांस का परंपरागत मीडिया अपने ‘वोकिज्म’ के मोह में हमलावर बर्बर लोगों का पक्ष ले रहा है।
फ्रांस के मीडिया में फ्रांसीसियों का इस बात के लिए मजाक बनाया जा रहा है कि वे यहां आकर बसने वालों का पर्याप्त स्वागत नहीं कर सके। हालांकि जब नए आए सीरियाई ‘शरणार्थी’ अब्दल मसीह ने खेल के मैदान पर तीन साल के चार बच्चों को चाकू मार दिया, तो न तो इस पर कोई विरोध प्रदर्शन हुआ, न कोई दंगा हुआ, न कोई प्रतिक्रिया हुई और न ही मीडिया में इसे कवरेज मिला। इस हमले का वीडियो इंटरनेट से खोज कर निकालना पड़ा।
इन दंगों के पीछे मुख्य साजिश सिर्फ राष्ट्पति मैक्रों के लिए परेशानी पैदा करने की है। वामपंथी-इस्लामी गठबंधन समर्थक मीडिया ने पूरे फ्रांस को आग में झोंक दिया है। फ्रांस में देशव्यापी दंगों की शुरुआत ही 17 वर्षीय मुस्लिम किशोर को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने की घटना के वीडियो प्रसार से हुई थी।
मीडिया के इस तरह के व्यवहार के पीछे वही वामपंथी-इस्लामी गठबंधन देखा जा रहा है और वामपंथियों की इस प्रकार की भूमिका के कारण ही यह संदेह भी जोर पकड़ रहा है कि इन दंगों के पीछे मुख्य साजिश सिर्फ राष्ट्पति मैक्रों के लिए परेशानी पैदा करने की है। वामपंथी-इस्लामी गठबंधन समर्थक मीडिया ने पूरे फ्रांस को आग में झोंक दिया है। फ्रांस में देशव्यापी दंगों की शुरुआत ही 17 वर्षीय मुस्लिम किशोर को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने की घटना के वीडियो प्रसार से हुई थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘फ्रांसीसी समाचार मीडिया ने अज्ञात पुलिस सूत्रों के हवाले से शुरू में रिपोर्ट दी थी कि पीले रंग की मर्सिडीज चला रहे किशोर ने पुलिस अधिकारियों पर हमला कर दिया था, जिससे उनमें से एक को गोली मारनी पड़ी।’’ हालांकि यह वीडियो जल्द ही ट्विटर पर आ गया, तो वह पुलिस के समर्थन में प्रतीत हो रही कहानी का खंडन करता लगा। वीडियो में दिखा कि किशोर को दो पुलिस अधिकारियों ने रोका, जिनमें से एक ने बंदूक तान रखी थी। जैसे ही किशोर ने गाड़ी भगाने की कोशिश की, धमाका हुआ। फिर एक अधिकारी दिन के उजाले में बहुत करीब से गोली मारता हुआ दिखाई दिया।
‘‘फ्रांसीसी समाचार मीडिया ने अज्ञात पुलिस सूत्रों के हवाले से शुरू में रिपोर्ट दी थी कि पीले रंग की मर्सिडीज चला रहे किशोर ने पुलिस अधिकारियों पर हमला कर दिया था, जिससे उनमें से एक को गोली मारनी पड़ी।’’ -न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार
फ्रांस में मुस्लिम प्रवासी और उनके वामपंथी साथियों ने तुरंत इस तर्क को हवा दे दी कि फ्रांस की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के भीतर नस्लवाद गहरी जड़ें जमाए हुए है, जो विशेष रूप से फ्रांस के गरीब शहरी उपनगरों में काले लोगों और अरब मूल के अप्रवासियों को निशाना बनाता है। इसके बाद ठीक उसी तरीके से दंगे शुरू हो गए, जिस तरह जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद ब्लैक लाइव मैटर्स के नाम से अमेरिका में हुए थे। हालांकि उनका लक्ष्य राज्य को अस्थिर करना और बहुत नियोजित ढंग से उसे संचालित करना था।
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