कोलकाता। पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान खत्म होने के बाद राज्य के कई हिस्सों में रातभर हिंसा हुई। एक जगह तो बैलेट बॉक्स खोलकर धांधली की गई। नदिया, बांकुड़ा, उत्तर और दक्षिण 24 परगना, कूचबिहार, मुर्शिदाबाद, मालदा और हावड़ा में भाजपा, माकपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया। इन पर हमले का आरोप सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लगा है। मुर्शिदाबाद में जहां पंचायत चुनाव के बाद हिंसा भड़की थी, वहां नाले में तीन मतपेटियां मिलीं। एक स्थानीय ने बताया कि चुनाव के बाद स्थिति ठीक नहीं है और आम जनता भी डर की वजह से बाहर नहीं आ रही है। आम जनता आतंक में है। अगर कोई बाहर आता है तो TMC धमकी देती है।
आरोप है कि हावड़ा के जगतबल्लवपुर विधानसभा अंतर्गत पार्वतीपुर ग्राम पंचायत में निर्दल उम्मीदवार शेख इस्लाम के घर देर रात सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थक घुस गए और तोड़फोड़ कर आग लगा दी। शेख ने कई बार पुलिस को फोन किया। उनका आरोप है कि पुलिस से कोई मदद नहीं मिली। शेख इस्लाम की बुरी तरह पीटा गया। पत्नी तथा परिवार के अन्य सदस्यों को भी नहीं बख्शा गया है।
मालदा के गाजोल में तो हद ही हो गई। स्थानीय बीडीओ के नेतृत्व में बैलट बॉक्स को स्ट्रांग रूम में ले जाने से पहले ही खोलकर खाली किया गया। फिर ‘छपा वोटिंग’ हुई। आरोप है पहले से छापकर रखे गए बैलेट पेपर पर तृणमूल उम्मीदवारों के नाम के आगे मुहर लगाकर रख दिया गया। उत्तर मालदा से सांसद खगेन मुर्मू और भाजपा विधायक चिन्मय देव बर्मन मौके पर पहुंचे। उन्हें घुसने तक नहीं दिया गया। आसनसोल के मयूरेश्वर में भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों में घुसकर देररात तक पुलिस ने मारपीट और तोड़फोड़ की। आज भाजपा नेता इन कार्यकर्ताओं के घरों पर जाएंगे।
पंचायत चुनाव में भारी हिंसा, 16 लोगों की हत्या
पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में शनिवार को मतदान के दौरान राज्यभर में 100 से अधिक स्थानों पर हुई हिंसा में कम से कम 16 लोग मारे गए। जबकि कई लोग घायल हुए हैं। जान गंवाने वाले 16 लोगों में से तृणमूल कांग्रेस के 09, सीपीएम के 02, आईएसएस के 01, भाजपा के दो और कांग्रेस के दो लोग शामिल हैं। हालांकि राज्य चुनाव आयोग ने सिर्फ तीन लोगों की मौत की पुष्टि की है।
सुबह 07 बजे मतदान शुरू होते ही मुर्शिदाबाद जिले में तीन लोगों की हत्या की खबर आई। उसके बाद मालदा में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता की हत्या हुई। कूचबिहार के दिनहटा में भाजपा कार्यकर्ता को मौत के घाट उतारा गया जबकि नदिया, बर्दवान, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना में भी हत्या की घटनाएं सामने आती रहीं। हालांकि राज्य के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा मतदान शुरू होने के तीन घंटे बाद दफ्तर पहुंचे। उनके पहुंचने से पहले राज्य चुनाव आयोग के दफ्तर में एक दर्जन से अधिक लैंडलाइन लगातार बजते रहे, लेकिन शिकायतें नहीं सुनी गईं। उसके बाद जब आए तो शांतिपूर्वक और सुरक्षित मतदान सुनिश्चित करने में आयोग की विफलता की जिम्मेदारी लेने के बजाय इसका ठीकरा कभी राज्य पुलिस पर तो कभी केंद्रीय बलों पर फोड़ते रहे।
16 लोगों की मौत के बावजूद चुनाव आयुक्त सिन्हा ने आधिकारिक तौर पर केवल तीन लोगों की मौत की पुष्टि की। हिंसा की घटनाओं के लिए केंद्रीय बलों को जिम्मेदार ठहराते हुए राजीव सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय को 25 जून को ही पत्र दे दिया था। कायदे से 27 जून को केंद्रीय बलों की तैनाती हो जानी चाहिए थी, लेकिन उसमें काफी देर हुई। अगर केंद्रीय बलों के जवान समय पर आ गए होते तो हिंसा की इन घटनाओं को रोका जा सकता था।
राज्य में मतदान के दौरान जो वीडियो सामने आए हैं उसमें 100 से अधिक जगहों पर बमबारी, गोलीबारी और लाठी डंडे से हमले हुए हैं। इससे जुड़े सवाल पर राजीव सिन्हा ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना राज्य सरकार का काम है। जहां भी घटना हुई है वहां निश्चित तौर पर पुलिस ने कार्रवाई की है और जहां बाकी रह गया है वहां नियमानुसार मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
दोपहर एक बजे तक महज 36.37 फीसदी वोटिंग हो पाई थी। जो वीडियो चुनाव के दौरान सामने आए उसमें कहीं आपराधिक तत्व बैलेट बॉक्स को लेकर भाग रहे थे तो कही पर पुलिस वाले नाले के अंदर से बैलट बॉक्स को निकालते नजर आए, कहीं तालाब के अंदर से बैलट बॉक्स निकाला गया तो कहीं मतदान केंद्र के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे बाहर से तो दिख रहे हैं लेकिन अंदर से उन्हें चालू ही नहीं किया गया है। कई जगह पर तो कैमरे को ढंक दिया गया था।
विपक्ष ने बोला हमला
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय बलों के कोऑर्डिनेटर बीएसएफ के आईजी एसएस गुलेरिया को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि हाई कोर्ट ने सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती का निर्देश दिया था, जिसका अनुपालन नहीं हुआ। यह न्यायालय की अवमानना है। उन्होंने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को भी ममता का सुपारी किलर करार दिया और कहा कि उन्होंने जितनी अवैध संपत्ति एकत्रित की है उसकी सूची उनके पास है। इसका हिसाब किताब करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि मतदान के बाद वह चुनाव आयोग के दफ्तर में जाकर ताला लगाएंगे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिस तरह से राज्य में हिंसा की घटनाएं हुई हैं वह दिल दहलाने वाली हैं। भाजपा की सेंट्रल पुलिस ने ममता बनर्जी की पुलिस के साथ मिलकर लोकतंत्र का गला घोंटा है। माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि जगह-जगह हमले और हिंसा की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि बंगाल में चुनाव नहीं हुआ है बल्कि प्रहसन किया गया है।
राज्यपाल ने भी उठाए सवाल
राज्य में चुनाव शुरू होते ही हिंसा की घटनाओं की सूचना मिलने के बाद राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस भी राजभवन से निकले और बैरकपुर होते हुए मुर्शिदाबाद और अन्य क्षेत्रों में गए। उन्होंने पीड़ित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि जो भी हो रहा है वह चिंताजनक है। उन्होंने प्रशासन से हिंसा की घटनाओं में कार्रवाई का आदेश दिया।
तृणमूल ने कहा- जानबूझकर भड़काई गई हिंसा
इधर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा, माकपा और कांग्रेस समेत राज्यपाल पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। मंत्री शशि पांजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्यभर में 61 हजार से अधिक मतदान केंद्रों में से केवल 7 से 8 मतदान केंद्र पर भारी और करीब 60 केंद्रों पर थोड़ी बहुत हिंसा हुई है। बाकी सब जगह शांतिपूर्वक चुनाव हुए हैं। शशि पांजा ने कहा कि सबसे अधिक तृणमूल के लोग मारे गए हैं। जाहिर सी बात है हिंसा भड़काई गई थी। उन्होंने केंद्रीय बलों पर भी लोगों को धमकाने का आरोप लगाया। उनके साथ बैठकर मीडिया से बात कर रहे पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि कुछ लोग खून की होली खेलने जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ लोग तृणमूल पर हमले के लिए लोगों को उकसा रहे हैं। यह सबकुछ जानबूझकर किया गया है ताकि इस तरह का संदेश दिया जा सके कि बंगाल में चुनाव नहीं होते बल्कि हिंसा होती है। आखिर केंद्रीय बलों की तैनाती का क्या मतलब था?
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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