चंडीगढ़ : केंद्र सरकार द्वारा लागू की जा रही समान नागरिक संहिता महिलाओं को पितृ सत्ता समाज व मानसिक शोषण से मुक्ति दिलाएगी। इस संहिता को लागू करते समय महिलाओं की सहमति जरूरी है। इससे न केवल महिलाएं जागरूक होंगी बल्कि समान नागरिकता कानून की राह भी आसान होगी।
यह विचार सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन द्वारा रविवार को आयोजित लाडो पंचायत में देश के विभिन्न राज्यों से जुड़ी लड़कियों ने व्यक्त किया। समान नागरिका संहिता से महिलाओं के जीवन में बदलाव के विषय पर आयोजित लाडो पंचायत में दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की लड़कियों ने भाग लिया।
वर्चुअल मोड पर आयोजित इस लाडो पंचायत में शिवालिका पांडे को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया तथा सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान ने सचिव की भूमिका निभाई।
पंचायत में उत्तर प्रदेश के बरेली शहर से जुड़ी दिव्यांग रिदम शर्मा जोकि सेल्फी विद डॉटर की अवॉर्डी रहीं हैं, उन्होंने कहा कि लड़कियों के हकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाना चाहिए इससे दिव्यांग लड़कियों के अधिकार भी सशक्त होंगे ।
लाडो पंचायत के फाऊंडर सुनील जागलान ने इस अवसर पर कहा कि लाडो पंचायत महिलाओं के लिए सशक्त आवाज बन चुकी है। लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करने व पीरियड लीव के लिए भी हो लाडो पंचायत का आयोजन किया जा चुका है।
जागलान ने कहा कि हम लंबे समय से मैरिज रजिस्ट्रेशन, लैंगिक समानता, महिलाओं के प्रोपर्टी राईट्स और लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष करने के लिए अभियान चला रहे हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड से हमारे यह सभी प्रयास भी सफल हो जाएंगे। लाडो पंचायत के माध्यम से हम लड़कियों व महिलाओं के विचारों का संग्रह करवाकर भारत सरकार को भेजेंगे।
इस अवसर पर नागपुर की सारा हाशमी ने कहा कि लाडो पंचायत के माध्यम से मुस्लिम लड़कियों को समान नागरिकता कानून में शामिल होने का मौका मिला है। इससे उन्हें भी इस कानून के बारे स्पष्टता मिली है और इससे मुस्लिम महिलाओं का शोषण रुकेगा।
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया से ट्विंकल पंवार ने कहा कि लाडो पंचायत लड़कियों की बात सरकार तक पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम बन गया है। हर वर्ग की महिलाओं के लिए यह हितकारी रहेगा क्योंकि हर धर्म में महिलाओं का शोषण करने के अलग-अलग तरीके बने हुए हैं।
पर्वतारोही रीना भाटी ने कहा कि आज भी लड़कियों को संपत्ति के अधिकार नहीं मिल पाते हैं। इस कानून से पितृ सत्ता समाप्त होगी और लैंगिक समानता मिलेगी।
पानीपत एमएससी की छात्रा सुरभी सहरावत ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि लाडो पंचायत के माध्यम से सभी महिलाओं के विचार जाने और उनको बताया जाए कि इससे उनके जीवन में क्या बदलाव आएगा।
पंचायत में हिमाचल की रिशिदा कटना, लखनऊ की ईबा, प्रो. कविता, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में लॉ की छात्रा दीपांशी समेत कई लड़कियों ने यूसीसी से जीवन में होने वाले बदलाव पर चर्चा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कानून को लागू करने जितना जरूरी है महिलाओं को इसके बारे में जागरूक करना उतना ही जरूरी है।
देश के अन्य राज्यों में भी होंगे पंचायतें
सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान ने कहा कि समान नागरिक संहिता के विषय पर आज पहली लाडो पंचायत का आयोजन किया गया है, जिसमें भारी संख्या में लड़कियों ने भाग लिया। आने वाले समय में देश के अन्य राज्यों में भी इस तरह की लाडो पंचायत का आयोजन देश भर के अलग-अलग राज्यों में करके महिलाओं को यूसीसी के बारे में जागरूक किया जाएगा।
क्या है लाडो पंचायत
लाडो पंचायत के फाऊंडर सुनील जागलान ने बताया कि उन्होंने खाप पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी करवाने के लिए काफी मेहनत की लेकिन जब पूरी तरह से यह हो नहीं पाया तो हमने लड़कियों के लिए लाडो पंचायत का गठन किया है। जिसमें अध्यक्ष लड़कियां ही बनती हैं तथा अपने लिए निर्णय स्वयं मिलकर लेती हैं। पिछले 4 साल में तकरीबन 25 से ज्यादा लाडो पंचायत लड़कियों की शादी की उम्र के विषय के बारे में और एक पीरियड लीव के लिए देशभर में करवाई गई है। तथापि सभी राज्यों से हजारों लडकियां जुड़ी हुईं हैं । लाडो पंचायत की वेबसाइट भी है जिसपर हर जानकारी अपडेट होती रहती है । लड़कियों की बात रखने का देश का सशक्त माध्यम लाडो पंचायत बन चुका है जिसे कई पितृसता विचारधारा वाले लोग विरोध भी करते हैं क्योंकि वो लड़कियों के जीवन के किसी भी बदलाव का निर्णय स्वंय करना चाहते हैं ।
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