खीरी/ पीलीभीत । उत्पलावकता का सीधा नियम है कि भारी चीज पानी में डूबती है और हल्की तैरती है। नेपाल सीमा से सटी यूपी की तराई बेल्ट खीरी और पीलीभीत जिलों में विज्ञान की इस थ्योरी से अंजान हिन्दू समाज के भोले-भाले लोगों को ईसाई मिशनरी ताकतें गुमराह करने में लगीं हैं। सूखी लकड़ी से बने क्रास पानी में तैराकर अशिक्षित लोगों का ब्रेनबॉश किया जा रहा है और उन्हें कन्वर्जन की राह पर ले जाया जा रहा। सीमावर्ती इलाकों में कई जगह लोगों को बरगलाकर घरों से भगवान की मूर्तियां हटवाई जा रही हैं और कहीं भी किसी भी जगह मकानों को चर्च का रूप देकर प्रार्थना सभाओं में भीड़ जुटाई जा रही है। हिन्दू संगठनों में इसे लेकर आक्रोश लगातार आक्रोश पनप रहा है।
लखीमपुर खीरी की निघासन व पलिया और पीलीभीत का पूरनपुर तहसील क्षेत्र नेपाल सीमा से सटा है। पिछले कुछ साल से यह पूरा सीमावर्ती क्षेत्र मुस्लिम आबादी में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी और ईशाई मिशनरीज की सक्रियता को लेकर चर्चाओं में है। इंडो नेपाल तिकुनिया बार्डर इलाके में पिछले साल कन्वर्जन का बड़ा मामला सामने आने पर पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था मगर अब वैसी ही साजिशें क्षेत्र में फिर होने लगी हैं, जिनके पीछे ईसाई मिशनरी का हाथ बताया जाता है। कन्वर्जन के षडयंत्रों के कारण नझौटा सहित कई गांव इतने संवेदनशील बताए जाते हैं कि बगैर पुलिस सुरक्षा के मीडिया भी वहां जाने से डरती है। इसका कारण चोरी-छिपे घरों में चर्च बनाकर की जा रहीं कन्वर्जन की गतिविधियां हैं। मीडिया की एंट्री से षडयंत्र में शामिल लोगों को बेनकाब होने का डर रहता है, इसलिए वे सामने आने से बचते हैं।
खीरी के निघासन कस्बे में तो ऐसी गतिविधियां संगठित तरीके से खुलेआम चलाई जा रही हैं मगर शिकायत न होने की वजह से पुलिस कार्रवाई नहीं कर पा रही। स्थानीय लोगों के मुताबिक, निघासन के अंबेडकरनगर मोहल्ले में रहने वाला रमाकांत नामक शख्स बगैर रजिस्ट्रेशन के अपने घर में अवैध तरीके से चर्च बनाकर गलत तरीके से प्रार्थना सभाएं करता है और भीड़ जुटाकर लोगों को बरगलाता है। रमाकांत जन्म से हिन्दू ओबीसी समाज से आता है मगर अब वह खुलेआम ईसाई प्रचार करता है और पत्नी लीना भी इस काम में उसका साथ देती है। घर में बनाए गए अवैध चर्च में बुलाए जाने वाले लोगों से वह चढ़ावा लेते हैं, जो रमाकांत के परिवार की कमाई का मोटा जरिया बन गया है और कुछ समय में उसने घर बहुत बड़ा कर लिया है।
अकेले खीरी जिले में कई दर्जन गांव ऐसे हैं, ईसाई मिशनरी सक्रिय होकर वनवासी और वंचित समाज के लोगों के कन्वर्जन की साजिशों में लगे हैं। इनमें सबसे ज्यादा वनवासी समाज थारू बहुल हैं, जहां गरीबी और अशिक्षा ज्यादा है। नेपाल सीमा से सटे राज्य के सभी जिलों में पिछड़ेपन की समस्या देखने को मिलती है, जिसका फायदा ईसाई मिशनरी उठाते हैं। खास बात ये है कि खीरी और पीलीभीत के सीमावर्ती इलाकों में ईसाई मिशनरी का निशाना वनवासी और वंचित समाज के अलावा आर्थिक रूप से बेहद गरीब लोग हैं। खासतौर पर ऐसे वर्गों से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं चमत्कार के झांसे में आकर कन्वर्जन के जाल में ज्यादा फंस रही हैं। उनसे कहा जाता है कि प्रार्थना सभाओं में आने से गंभीर बीमारियों में चमत्कारिक लाभ होगा और आमदनी के रास्ते खुल जाएंगे।
भीड़ के बीच ईसाई मिशनरीज के एजेंट मौजूद रहते हैं जो खुद और परिवार को तरह-तरह के फायदे गिनाकर भोले-भाले लोगों का ब्रेनबॉश करते हैं। यूपी में अवैध धर्मांतरण कानून 27 नवंबर 2020 से लागू है। कहीं भी कन्वर्जन की शिकायत होने पर पुलिस त्वरित एक्शन भी लेती है मगर शिकायत न होने का फायदा उठाकर षडयंत्रकारी ताकतें कार्रवाई से बच रही हैं। दोनों ही जिलों के पुलिस अधिकारी शिकायत होने पर कार्रवाई की बात कहते हैं। हालांकि, हिन्दू संगठनों में नाराजगी अवैध तरीके से घरों में चर्च संचालित करने को लेकर है, जिनकी वजह से लोग ईसाई मिशनरी ताकतों के भ्रमजाल में फंस जा रहे हैं।
पीलीभीत में विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख नेता अंबरीश मिश्रा ने बातचीत में कहा कि जिले का ट्रांस शारदा नेपाल सीमा से सटा हजारा क्षेत्र में मिशनरी षडयंत्र लगातार सामने आ रहे हैं। लकड़ी के क्रास पानी में तैराकर और भगवान की पत्थर की मूर्ति पानी में डूबी दिखाकर लोगों को गलत बातें बताई जाती हैं। ऐसी शिकायतें सीमावर्ती क्षेत्र में अक्सर सुनने को मिलती हैं। गरीबी की वजह से शिक्षा से दूर रहे हिन्दू समाज के लोगों का इस तरह से ब्रेनबॉश किया जा रहा है। मामले सामने आने पर पीलीभीत से खीरी तक दोषियों के खिलाफ पुलिस में केस भी दर्ज कराए जा चुके हैं मगर षडयंत्र रुक नहीं रहे। हमारा संगठन हिन्दू समाज को जागरुक कर शिक्षा पर जोर दे रहा है, ताकि हमारे धर्म के खिलाफ हो रही साजिशें नाकाम हो सकें।
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