देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए जाने के लिए अपने इरादे साफ कर दिए है। धामी कैबिनेट ने शुक्रवार को इस बारे में अध्यादेश लाए जाने के लिए शासन को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
उत्तराखंड में पिछले दिनों अतिक्रमण हटाए जाने का अभियान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चलाया गया। अभियान से पूर्व हुए सर्वे में जानकारी मिली कि हजारों हेक्टेयर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है। ढाई हजार एकड़ जमीन खाली भी करवाई गई है। इस अभियान में ही अवैध मजारें और अन्य धार्मिक स्थल भी हटाए गए।
अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ अब आईपीसी धारा के तहत जुर्माना और कारावास की सजा का प्रावधान करने के लिए अध्यादेश लाने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि अगले विधान सभा सत्र में इसे पटल पर रखा जाएगा।
दस साल तक की सजा का प्रावधान
जानकारी के मुताबिक नया कानून न सिर्फ सरकारी जमीन के लिए होगा बल्कि गैर सरकारी जमीन यानि निजी जमीन पर भी कोई कब्जा करेगा तो उस पर भी ये लागू होगा। इसमें सात से दस साल की सजा का प्रावधान किया जाएगा, साथ ही सर्किल रेट के हिसाब से जुर्माना भी वसूला जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि राज्य के भूभाग में सत्तर प्रतिशत जंगल है, शेष तीस फीसदी भूभाग में शहर, सड़क, नहर आदि हैं। यहां की भूमि पर अवैध रूप से लोग आकर बस रहे हैं, जो हमें बर्दाश्त नहीं। जनसंख्या असंतुलन की समस्या भी देव भूमि की संस्कृति को प्रभावित कर रही है।
जंगल में भी अवैध रूप से बसे
राज्य में जहां सत्तर फीसदी जंगल है, वहां भी लोग अवैध रूप से बसे हुए हैं। वन विभाग की नदी श्रेणी की जमीनों पर भी अतिक्रमण कर करीब आठ लाख लोगों के अवैध कब्जे हो गए हैं। जिन्हें खाली कराने में वन अधिकारियों का पसीना छूट रहा है। जिन्होंने कब्जा किया है, उनमें ज्यादातर मुस्लिम गुज्जर और श्रमिक हैं।
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