आज पूरा विश्व पर्यावरण को लेकर चिंतित है। इसे लेकर भारत सहित सभी देश अब सतर्क हो चुके हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए कई देश कड़े कानून बना रहे हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने में सबसे बड़ा योगदान पॉलिथीन का होता है।
हजारों वर्षों के बाद भी एक पॉलिथीन कभी सड़ता या गलता नही है। यही कारण है कि आज नदी, समुद्र, सड़क और खेत खलिहान प्रदूषित होते जा रहे हैं। इसके बाद भी इसकी खपत कम होने का नाम नहीं ले रही है। इसके खिलाफ सरकार की ओर से अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन इसका व्यापक असर दिखाई नहीं दे रहा है। इसी क्रम में झारखंड के रामगढ़ शहर के एक पर्यावरणविद शिक्षक दंपति की ओर से पॉलिथीन के खिलाफ अनोखी मुहिम शुरू की गई है। इसके लिए यह दंपति स्कूल के बच्चों को पॉलिथीन के बदले कपड़े के थैले का प्रयोग करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। आज पूरे प्रदेश में इस मुहिम को सराहना मिल रही है।
पिछले 9 वर्षों से पर्यावरण के लिए काम करने वाले पर्यावरणविद उपेंद्र पांडे और उनकी पत्नी अभिलाषा पांडे ने पॉलिथीन के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। इस अभियान का नाम उन्होंने पॉलिथीन दान अभियान रखा है। उन्होंने अपने छोटे से बगीचे को प्लास्टिक पार्क का नाम देते हुए लोगों से अपील की है कि अगर कोई उन्हें पांच प्लास्टिक दे तो उसके बदले में उनके द्वारा सुंदर फूलों के पौधे दिए जाएंगे। इसके लिए इस दंपति की ओर से एक भी रुपया नहीं लिया जाता है। इसके साथ ही पॉलिथीन दान करने वालों को शपथ दिलाई जाती है कि वह भविष्य में पॉलिथीन का उपयोग नहीं करेंगे। इस अभियान में उन्होंने हजारों लोगों को शामिल किया है। उनका साथ रामगढ़ की छावनी परिषद भी दे रही है और पूरे शहर में पॉलिथीन बंद करने का अभियान चला रही है। इसके बाद भी कई जगहों पर चोरी छुपे ही सही लेकिन पॉलिथीन बंद नहीं हो रहा है।
इसी को देखते हुए इस दंपति ने 3 जुलाई को मनाए जाने वाले ‘इंटरनेशनल पॉलिथीन बैग फ्री डे’ के दिन एक और मुहिम की शुरुआत की है। इसके लिए उन्होंने जिले के 8 बड़े स्कूलों से संपर्क किया और इन स्कूलों में पढ़ने वाले 10,000 से अधिक बच्चों को पॉलिथीन बैग के बदले कपड़े के थैले का उपयोग करने की शपथ दिलाई। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने विद्यालय प्रबंधन के साथ मिलकर सभी बच्चों को अपने घर से 11 कपड़े का थैला बनवा कर लाने को भी कहा। बच्चों ने भी इस मुहिम में अपना साथ दिया और सभी स्कूलों से लगभग 9000 बच्चों ने कपड़े का थैला लाया। इसमें एक और बात देखने को मिली कि बच्चों के साथ-साथ उन के शिक्षक भी कपड़े का थैला लाकर समाज में एक संदेश देने का काम करते नजर आए।
इस अभियान को देखते हुए डीएवी बरकाकाना की प्राध्यापिका उर्मिला सिंह ने कहा कि उन्होंने जैसे ही इस अभियान के बारे में सुना उन्हें बहुत अच्छा लगा। यह इकलौता अभियान है जिसकी वजह से सच में पॉलिथीन की उपयोगिता को कम किया जा सकता है। उन्होंने पर्यावरणविद उपेंद्र पांडे की इस मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि अक्सर सरकार और प्रशासन पॉलिथीन बंद करने की बात जरूर करती है लेकिन इसे बंद कैसे किया जा सकता है इस पर विचार नहीं करती।
पॉलिथीन दान अभियान के संयोजक उपेंद्र पांडे ने कहा कि इस अभियान को सिर्फ रामगढ़ जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में लागू करने की जरूरत है। अगर बच्चों को पॉलिथीन से हानि के बारे में बता दिया जाए तो उनका आने वाला भविष्य बेहतर और सुगम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में अपनी क्षमता के अनुसार हर स्कूल में जाकर बच्चों से आग्रह करेंगे कि वे लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करते हुए अपने घर वालों को भी रोकने का काम करें। अभी तक इस अभियान के तहत जिले भर के 8 बड़े स्कूलों को प्लास्टिक मुक्त कर दिया गया और संभव हुआ तो पूरे राज्य भर में इस अभियान को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।
आपको बता दें कि उपेंद्र पांडे और उनकी पत्नी अभिलाषा पांडे निस्वार्थ भाव से पिछले 9 साल से प्लास्टिक मुक्त अभियान चला रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कभी किसी भी संगठन से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मांगी है। इस पर उनका कहना है कि जहां स्वार्थ होगा वहां काम नहीं होगा। इसीलिए उन्होंने अपने स्तर से ही इस अभियान को जारी रखा है और मरते दम तक इस अभियान को जारी रखेंगे।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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