वाशिंगटन। भारत-अमेरिकी रिश्तों की मजबूती के बीच अमेरिका ने माना है कि वह मानवाधिकार के मसले पर भारत को ज्ञान नहीं दे सकता। अमेरिका ने साफ कहा कि हर देश की चुनौतियां और परेशानियां होती हैं, और उनमें भारत ही नहीं अमेरिका भी शामिल है।
पश्चिमी मीडिया और कथित सेकुलरवादी भारत में मानवाधिकार पर सवाल खड़े करते रहते हैं। दूसरे देशों पर वे चुप्पी साध जाते हैं। अमेरिका का ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल में कहा था कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होता है। अब अमेरिका की ओर से सीधा जवाब आया है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि मानवाधिकार के मसलों पर उठ रहे सवालों से अमेरिका चिंतित नहीं है और इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित नहीं होंगे।
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र मामलों के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने कहा है कि भारत और अमेरिका सहित सभी देशों के सामने उनकी अपनी चुनौतियां और परेशानियां होती हैं। सभी देश आदर्श नहीं हैं, सभी में कुछ ना कुछ कमियां हैं। ऐसे में अमेरिका इस स्थिति में नहीं है कि वह किसी दूसरे देश को ज्ञान दे सके।
रूस-यूक्रेन युद्ध की भी चर्चा
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख और इसके बावजूद अमेरिका के साथ रिश्तों के सवाल पर कर्ट कैंपबेल ने कहा कि भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर सैद्धांतिक रुख अपनाया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन के लोगों की त्रासदी और वहां हो रहे घटनाक्रम पर साफ बात की है। भारतीय यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंतित हैं और भारत का मानना भी है कि रूस का रुख कई जगह निंदनीय रहा है। चीन के मुद्दे पर कैंपबेल ने कहा कि भारत-अमेरिकी संबंधों में चीन का मुद्दा अहम है लेकिन सिर्फ ये ही एकमात्र मुद्दा नहीं है जो दोनों देशों के संबंधों को हमारे लक्ष्य तक ले जाए। कई अन्य बातें भी हैं जो हमें आगे लेकर जाएंगी और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल ही में हुए अमेरिकी दौरे पर ये बातें सामने भी आई थीं।
(इनपुट सिंडिकेट फीड)
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