मुंबई : केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को जी-20 देशों से अपील की कि दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के लिए मतभेदों से हटकर सोचना आवश्यक है। वैश्विक कल्याण के लिए सभी को परिवार के रूप में काम करना होगा।
जितेंद्र सिंह बुधवार को मुंबई में जी-20 अनुसंधान मंत्रियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत समय की जटिल चुनौतियों का सामना करने के लिए आपसी सहयोग और ज्ञान साझा करने के महत्व को जानता है। मौजूदा समय में दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी की चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे समय में ऊर्जा स्रोतों का कुशल उपयोग अनिवार्य हो गया है।
जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि जी-20 सदस्यों को शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध होकर सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में काम करना जारी रखना चाहिए। उन्होंने हाल के वर्षों में दुनिया में सौर और पवन ऊर्जा की स्थापना में पर्याप्त वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, हमारे वैज्ञानिक ऐसी सामग्री की खोज और निर्माण के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं जो ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाएगी, इसे स्वच्छ, अधिक किफायती और सभी के लिए सुलभ बनाएगी। यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय प्रभाव प्राप्त करने के साथ-साथ रोजगार सृजन के नए अवसर पैदा करता है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि जी-20 समुदाय के पास चक्रवात, सुनामी, भूस्खलन, जंगल की आग आदि जैसे विभिन्न प्राकृतिक खतरों की भविष्यवाणी और निगरानी करने के लिए उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी है। उन्होंने इस तकनीक के उत्पादों को जी-20 के बाहर के देशों के साथ साझा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, ताकि वे ऐसी आपदाओं से निपटा जा सकें।
डॉ. सिंह ने कहा कि क्वांटम प्रौद्योगिकी का विकास, क्वांटम संचार पर शोध, क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम एल्गोरिदम अगले जी-20 अनुसंधान एजेंडे में हैं। हमारा लक्ष्य क्वांटम प्रौद्योगिकी में आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान और विकास को बढ़ाना है। दुनिया तेजी से डिजिटल परिवर्तन का अनुभव कर रही है, इसलिए हमारे साइबर-सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण डिजिटल संपत्तियों और डेटा की सुरक्षा के लिए उन्नत सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता है।
जीितेंद्र ने कहा कि आज के परीक्षण के समय में, दुनिया कई प्रौद्योगिकी-आधारित स्टार्टअप के उद्भव को देख रही है, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवा, वित्त, कृषि और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित समाधान विकसित करने में उत्कृष्टता हासिल की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स के एकीकरण से निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और विभिन्न उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
जितेंद्र सिंह ने जी-20 प्रतिनिधियों का ध्यान खनिज संसाधनों, ऊर्जा और समुद्री भोजन के लिए हमारे महासागरों और समुद्रों की विशाल क्षमता की ओर आकर्षित किया और कहा कि सभी मत्स्य पालन, समुद्री अनुसंधान, तटीय पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि वह महासागरों में बढ़ते प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक को लेकर भी चिंतित हैं। उन्होंने इस तथ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई कि जैसे ये कई समुद्री जीवों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, वैसे ही ये हमारी खाद्य शृंखला में भी प्रवेश कर रहे हैं।
टिप्पणियाँ