भारत में ग्लोबल ट्रेडिंग को लेकर बड़ा बदलाव, जानिए क्या है GIFT Nifty

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भारत में ग्लोबल ट्रेडिंग को लेकर एक बड़ा बदलाव हुआ है, क्योंकि अब GIFT Nifty इंडिया आ गया है। दरअसल शेयर बाजार से जुड़ा और सटीक आकलन करने वाला एसजीएक्स निफ्टी (SGX Nifty) जो सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज में था। अब भारत आने के बाद इसका नाम SGX Nifty से बदलकर गिफ्ट निफ्टी (GIFT Nifty) कर दिया गया है ।

गिफ्ट निफ्टी से क्या होंगे बदलाव ?
3 जुलाई से गिफ्ट निफ्टी की शुरुआत हुई है। यह गुजरात के गांधीनगर में स्थित NSE International Exchange (NSE IX) में शिफ्ट किया गया है, जो NSE IX गांधीनगर के गिफ्ट सिटी में है। एसजीएक्स निफ्टी के सिंगापुर से भारत आने के साथ ही लगभग 7.5 अरब डॉलर के सभी डेरिवेटि कॉन्ट्रेक्ट्स भी इंडिया आ गए हैं।

गिफ्ट निफ्टी में ट्रेडिंग समय
सोमवार से शुरू हुए गिफ्ट निफ्टी के ट्रेड की बात की जाए, तो इसके तहत दो ट्रेडिंग सेशन निर्धारित किए गए हैं। इंडियन टाइमिंग के अनुसार पहला सुबह 6.30 बजे से लेकर दोपहर के 3.40 बजे तक चलेगा और तो वहीं दूसरा सेशन शाम के 5 बजे से लेकर आधी रात 2.45 बजे तक चलेगा। वहीं सोमवार से ही गिफ्ट निफ्टी 50, गिफ्ट निफ्टी बैंक, गिफ्ट निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज और गिफ्ट निफ्टी आईटी में ट्रेडिंग शुरू हो गई है। भारत में शिफ्ट हुए गिफ्ट निफ्टी को लेकर सरकार का उद्देश्य भी इसे भारत में ग्लोबल फाइनेंसशियल और आईटी बिजनेस का हब बनाना है।

SGX निफ्टी का रोजाना का टर्नओवर
बतादें, SGX निफ्टी फ्यूचर्स का हर दिन का टर्नओवर औसतन 3.9 अरब डॉलर था, वहीं 2022 में इसका औसत ओपन इंटरेस्ट 9.6 अरब डॉलर रहा था, वहीं अब जब SGX Nifty जो GIFT Nifty के रूप में भारत आ गया है। तो यह रिटर्न अब भारत में आएगा। NSE International Exchange के एमडी वी. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि गिफ्ट निफ्टी का डेली का वॉल्यूम 1.5 अरब से 2 अरब डॉलर तक रहने का भरोसा है। फाइनेंशियल ईयर 2022 में निफ्टी के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट्स का SGX डेरिवेटिव वॉल्यूम में कॉन्ट्रिब्यूशन दूसरे स्थान पर रहा था। वहीं इससे कहीं ज्यादा वॉल्यूम सिर्फ SGX FTSE China A50 Index Futures का रहा था।

गिफ्ट निफ्टी को इंडिया क्यों शिफ्ट किया गया ?
सिंगापुर एक्सचेंज ने NSE से एक समझौता किया था। जिसमें यह तय किया गया था कि NSE सिंगापुर एक्सचेंज में निफ्टी फ्यूचर्स और ऑप्शंस की ट्रेडिंग की अनुमति देगा, लेकिन साल 2018 में NSE ने इस समझौते को समाप्त कर दिया था। इसके बाद सिंगापुर एक्सचेंज में डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स शुरू किए। जिसे एनएसई इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का उल्लंघन माना गया। जिसके बाद कोर्ट में यह मामला पहुंचा। बाद में दोनों ने सितंबर 2020 में बातचीत कर इसका समाधान निकालने पर स्वीकृति बनाई।

 

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