अमेरिका से भारतीयों, विषेशकर हिन्दी प्रेमियों के लिए एक सुखद समाचार मिला है। बहुत संभव है कि अगले वर्ष से वहां के करीब एक हजार स्कूलों में हिंदी भाषा की पढ़ाई कराई जाएगी। इस दिशा में काम शुरू हो चुका है। उस देश में सत्ता में बैठी डेमोक्रेटिक पार्टी के एशिया सोसायटी तथा और इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट संगठनों ने इससे संबंधित एक प्रस्ताव तैयार करके राष्ट्रपति बाइडेन को सौंप दिया है। बताया गया है कि इस कार्य में 816 करोड़ रुपए का एक अनुदान दिया जाएगा जिससे वहां एक हजार स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाने की व्यवस्था पूरी करके अगले वर्ष से इसे शुरू कर दिया जाएगा।
माना जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा से दोनों देशों में सहयोग और समन्वय बढ़ाने की जिस प्रकार की बातें हुई हैं वे अपना असर दिखाएंगी और बाइडेन भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए इस प्रस्ताव को अपना समर्थन देंगे।
अमेरिका में अगले वर्ष राष्ट्रपति चुनाव भी होने जा रहे हैं। भारतवंशियों के वहां राजनीति में ढ़ते प्रभाव को देखते हुए भी पूरी संभावना है कि यह प्रस्ताव सिरे चढ़ जाएगा। अमेरिका में स्कूली वर्ष सितंबर में आरम्भ होता है। इसलिए अगले साल सितम्बर में हजार स्कूलों के बच्चे अ, आ, इ, ई….से परिचित होते हुए, हिंदी भाषा में उत्तरोत्तर प्रगति करते जाएंगे। इस दिशा में प्रयासरत संगठनों ने हिंदी भाषा पढ़ाने के लिए शिक्षकों व अन्य संसाधनों सहित कोर्स की रचना करने में पूरी सहायता देने का वादा किया है।
भारत तेजी से तीसरी आर्थिक महाशक्ति के नाते उभर रहा है। इसलिए अमेरिका भी आतुर होना चाहिए कि उसके यहां हिंदी प्रमुख भाषा के नाते आगे बढ़े ताकि उसमें भारत को समझने की पूरी योग्यता हो। हिंदी जानने-समझने-बोलने वाले अमेरिकी युवा भारत के विनिर्माण, खेती व अन्य क्षेत्रों में अधिक संख्या में आकर्षित हो पाएंगे। इससे दोनों देश मिलकर विकास की राह पर बढ़ सकेंगे।
वर्तमान में प्रस्ताव के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं के बालक अंग्रेजी के बाद हिन्दी को दूसरी भाषा के रूप में ले कर हिन्दी में पढ़ाई कर सकेंगे। यहां ध्यान दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में इस वक्त 45 लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय रहते हैं। इनमें से हिंदीभाषियों की संख्या नौ लाख से अधिक है।
दरअसल अमेरिका में हिन्दी तो अभी भी पढ़ाई जा रही है, लेकिन यह हाई स्कूल स्तर पर ही उपलब्ध है। और इसमें भी बच्चे हिंदी की मूलभूत पढ़ाई ही करते हैं। इस संबंध में प्रयास करने वालों में से एक संगठन ‘इंडिया इम्पैक्ट’ का कहना है कि हिन्दी को शुरू की कक्षाओं से पढ़ाने पर है बच्चों में हिंदी की सही समझ आ सकेगी। हाई स्कूल स्तर पर आकर हिंदी पढ़ने पर छात्र उस तरह से हिन्दी को आत्मसात नहीं कर पाते। शुरू की कक्षाओं से ही वैकल्पिक भाषा हो तो बच्चे हाई स्कूल तक आकर हिन्दी से बखूबी परिचित हो जाएंगे। इसीलिए हिंदी भाषा को प्राथमिक कक्षाओं से पढ़ाने की बात ध्यान में आई है। इस संबंध में राष्ट्रपति को सौंपा गया प्रस्ताव हर बिन्दु का सिलसिलेवार तरीके से समाधान करता है।
अभी की बात करें तो अमेरिका में अधिकांश स्कूलों में स्पेनिश दूसरी वैकल्पिक भाषा के तौर पर पढ़ाई जा रही है। दरअसल, पूर्व में अमेरिका का स्वार्थ यह था कि उसे स्पेनिशभाषी देशों में अपने आर्थिक हित साधने थे इसलिए अपने यहां स्पेनिश समझने वाले लोग तैयार करने थे। लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अब भारत तेजी से तीसरी आर्थिक महाशक्ति के नाते उभर रहा है। इसलिए अमेरिका भी आतुर होना चाहिए कि उसके यहां हिंदी प्रमुख भाषा के नाते आगे बढ़े ताकि उसमें भारत को समझने की पूरी योग्यता हो। हिंदी जानने-समझने-बोलने वाले अमेरिकी युवा भारत के विनिर्माण, खेती व अन्य क्षेत्रों में अधिक संख्या में आकर्षित हो पाएंगे। इससे दोनों देश मिलकर विकास की राह पर बढ़ सकेंगे।
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