उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘पाञ्चजन्य’ को बताया कि इस बार चार करोड़ के आसपास कांवड़ यात्री हरिद्वार गंगा जल लेने आ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल करीब साढ़े तीन करोड़ कांवड़ियों का पंजीकरण किया गया था।
तीर्थनगरी हरिद्वार गंगा जल लेने आने वाले शिवभक्तों के लिए तैयार है। अनुमान है कि इस वर्ष कांवड़ियों के रूप में करीब चार करोड़ शिवभक्त आएंगे। पिछले साल तीन करोड़ से ज्यादा कांवड़िए हरिद्वार आए थे। माना जा रहा है कि पिछले साल सावन के महीने में हरिद्वार के कारोबारियों ने करीब 6,000 करोड़ रु. का कारोबार किया था, जो इस साल बढ़ कर 8,000 करोड़ रु. तक पहुंच सकता है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘पाञ्चजन्य’ को बताया कि इस बार चार करोड़ के आसपास कांवड़ यात्री हरिद्वार गंगा जल लेने आ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल करीब साढ़े तीन करोड़ कांवड़ियों का पंजीकरण किया गया था। हर साल शिवालयों में गंगा जल अर्पित करने के लिए लोक आस्था में वृद्धि हो रही है इसलिए इस बार कांवड़ियों की संख्या भी बढ़ सकती है। इस बार अधिमास भी है। इसलिए कांवड़ों की रौनक लंबे समय तक रहने वाली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवभक्त कांवड़िए हमारे अतिथि हैं। हम चरण धोकर और पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आस्था और विश्वास की यह यात्रा देवभूमि से पावन संदेश लेकर जाए, ऐसी व्यवस्था की जा रही है और उसकी निगरानी भी हर स्तर पर हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एक समय ऐसा भी था जब विपक्षी दल की सरकारें इन पर लाठियां बरसाती थीं, लेकिन अब शिवभक्तों पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की जाती है।
कांवड़ यात्रा एक प्रतिष्ठा यात्रा में बदल गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, दोनों हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा करते हैं। कांवड़ ले जा रहे भोले के भक्तों का ऐसा सम्मान पहले कभी नहीं हुआ। शिवभक्तों का सम्मान होने और व्यवस्थापकों के उनसे विनम्रता से पेश आने की वजह से इतनी बड़ी यात्रा निर्विघ्न और सद्भाव से पूरी होती है।
कांवड़ यात्रा का पहला चरण
हरिद्वार में कांवड़ मेले के पहले चरण का आयोजन 4-15 जुलाई तक होगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में व्यवस्था की गई है। कांवड़ ले जा रहे शिवभक्तों के साथ पुलिस को कैसे पेश आना है, इस बारे में पुलिसकर्मियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं—कोई भी कांवड़ 12 फीट से बड़ी न हो। प्रत्येक कांवड़िए का पहचान पत्र गले में लटका रहे। डीजे पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
8,000 करोड़ रु. का व्यापार
इस बार कांवड़ मेला लंबा खिंचेगा इसलिए कारोबार भी ज्यादा समय तक चलने की उम्मीद है। जानकारी के अनुसार सहारनपुर में कांवड़ों, टी शर्ट, कपड़े, अंगोछे, निकर आदि का थोक का कारोबार होता है। इस वक्त कपड़ों का बाजार भगवा रंग से पटा पड़ा है। एक कारोबारी योग चुग कहते हैं, ‘‘अकेले भगवा टी शर्टों का ही 400 करोड़ रु. से ज्यादा का कारोबार हो चुका है।’’ उन्होंने यह भी बताया कि ‘बुलडोजर बाबा’, मोदी, योगी, धामी के नाम वाली टी शर्ट इस वक्त शिव की तस्वीरों से ज्यादा बिक चुकी है। इस तरह की टी शर्ट 100-400 रु. तक में उपलब्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि यहां थोक मंडी है, लेकिन यही टी शर्ट फुटकर में मुनाफे के साथ बिक रही है। नजीबाबाद में लकड़ी की टोकरियां बनाने वाले समीर मलिक कहते हैं, ‘‘पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार टोकरियों की मांग बहुत ज्यादा है। हमारे कारीगर सालभर टोकरियां बनाते हैं।’’ प्लास्टिक जेरिकेन का विकल्प अभी भी खोजा जा रहा है। इसके बावजूद एल्मूनियम पीतल जेरिकेन कलश आदि का बाजार बढ़ता जा रहा है।
‘‘अकेले भगवा टी शर्टों का ही 400 करोड़ रु. से ज्यादा का कारोबार हो चुका है।’’ -योग चुग, कारोबारी
‘‘पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार टोकरियों की मांग बहुत ज्यादा है।
हमारे कारीगर सालभर टोकरियां बनाते हैं।’’ -समीर मलिक
‘‘उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं से ही यहां की अर्थव्यवस्था चलती है। कांवड़ यात्रा से हजारों करोड़ रु. का कारोबार होने लगा है। यही वजह है कि सरकार भी कांवड़ यात्रा प्रबंधन में दिलचस्पी ले रही है।’’ -अमित शर्मा, समाजसेवी
‘बम भोले’, ‘गंगा मैया की जय’ के जयघोष का अलग ही
उत्साह देखने को मिल रहा है।’’-कांवड़ यात्री
कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा?
गंगा और शिव के प्रति आस्था की कांवड़ यात्रा कैसे और कब शुरू हुई, इस पर अलग-अलग तर्क दिए जाते रहे हैं। लोकमान्यता है कि त्रेतायुग में श्रवण कुमार जब हिमाचल के ऊना से अपने दृष्टिहीन माता-पिता को गंगा स्नान की उनकी इच्छा पूरी कराने के लिए कांवड़ में बिठा कर हरिद्वार लाए तो वापसी में गंगा जल अपने साथ ले गए। इसके बाद कांवड़ यात्रा शुरू हुई। दूसरी कथा भगवान परशुराम से जुड़ी है। कहा जाता है कि उन्होंने गढ़ मुक्तेश्वर (वर्तमान में ब्रजघाट) से गंगा जल लेकर बागपत के पास पुरामहादेव शिवालय में भगवान शंकर को अर्पित किया, इसी तरह बिहार में भगवान राम ने गंगा से जल ले जाकर बैजनाथधाम में महादेव को अर्पित किया तभी से वहां भी कांवड़ की परंपरा शुरू हुई।
तिरंगे भगवे का बोलबाला
बाजार में तिरंगे झंडों की सैकड़ों दुकानें हैं। बता दें कि कांवड़ों में भगवा ध्वज के साथ तिरंगा ध्वज लगाने की परंपरा बन गई है। इस कारण तिरंगा बेचने वाले दुकानदार भी प्रसन्न हैं।
लंगर में खपेगा अरबों का राशन
अनुमान है कि हरिद्वार से विभिन्न नगरों, कस्बों के बीच मार्गों पर कांवड़ियों के लिए लगने वाले लंगर, भोजनालयों में राशन का कारोबार भी करीब 1,000 करोड़ रु. के आंकड़े को छुएगा। बता दें कि कांवड़िए और उनकी सेवा में लगे लोग इन भंडारों में शामिल होते हैं।
कांवड़ यात्रा मार्ग पर लगने वाले एक-एक भंडारे में राशन, तेल, गैस, पानी, जूस और कामगारों के खर्चे को जोड़ा जाए तो यह लाखों रु. में आता है। यात्रा मार्ग में हजारों शिविर और भंडारे चलते हैं जिन्हें दानदाताओं के सहयोग से चलाया जाता है।
डीजे,वाहनों पर करोड़ों खर्च
कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे, संगीत, वाहन, डीजल, पेट्रोल आदि का कारोबार भी खूब चलता है। इसके साथ ही हजारों पुलिसकर्मी हर राज्य में कांवड़ ड्यूटी पर रहते हैं जिन पर सरकार का खर्च भी करोड़ों में पहुंचता है। जिन शहरों के मंदिरों में कांवड़ पहुंचती है वहां के शिवालयों के आसपास लगने वाले कांवड़ मेलों में सैकड़ों दुकानों का हिसाब-किताब भी करोड़ों रु. के कारोबार तक पहुंच जाता है।
हरिद्वार गंगा सभा से जुड़े तीर्थ पुरोहित अविक्षित रमन कहते हैं, ‘‘इस साल भी कांवड़ यात्रा भव्य और उत्साहपूर्ण होगी। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री हरिद्वार पहुंच रहे हैं। ‘बम भोले’, ‘गंगा मैया की जय’ के जयघोष का अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है।’’
हरिद्वार के एक समाजसेवी अमित शर्मा कहते हैं, ‘‘उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं से ही यहां की अर्थव्यवस्था चलती है। कांवड़ यात्रा से हजारों करोड़ रु. का कारोबार होने लगा है। यही वजह है कि सरकार भी कांवड़ यात्रा प्रबंधन में दिलचस्पी ले रही है।’’
वस्तुत: कांवड़ यात्रा एक प्रतिष्ठा यात्रा में बदल गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, दोनों हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा करते हैं। कांवड़ ले जा रहे भोले के भक्तों का ऐसा सम्मान पहले कभी नहीं हुआ। शिवभक्तों का सम्मान होने और व्यवस्थापकों के उनसे विनम्रता से पेश आने की वजह से इतनी बड़ी यात्रा निर्विघ्न और सद्भाव से पूरी होती है।
टिप्पणियाँ