सिंगापुर में इस बार स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती बड़े उल्लास के साथ मनाई गई। ध्यान रहे कि उस देश में भारतीय विशेषकर हिन्दी भाषी समुदाय अच्छी—खासी संख्या में रहता है। हर हिन्दू त्योहार पर यहां शोभा देखते ही बनती है। हिन्दू मंदिरों पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। एक मोटे अंदाजे के अनुसार, सिंगापुर में इस वक्त करीब एक लाख हिंदी भाषी लोग बसे हैं और वहां उस देश की तरक्की में अपना अपना योगदान दे रहे हैं। इसलिए वहां की सरकार भी इस समाज की चिंता करती है। राजनीतिक रूप से उनकी आवाज मायने रखती है। इस समुदाय ने इस बार शहर में पिछले 96 साल से स्थित आर्य समाज के एक भवन में एक नई गैलरी ‘विरासत और भित्ति चित्र’ का शुभारम्भ किया। इसी की के साथ स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर एक शानदार कार्यक्रम संपन्न हुआ।
‘विरासत और भित्ति चित्र’ गैलरी में प्रदर्शित एक चित्र इस मायने में विशेष है क्योंकि इसमें औपनिवेशिक काल के जमाने में उत्तर प्रदेश और बिहार से फौजी जवानों के नाते यहां पहुंचे शुरुआती प्रवासियों की झलक दिखाई गई है। ये भित्ति चित्र यहां के लिटिल इंडिया परिसर में सबसे बड़ी कलाकृति के नाते खूब चर्चित हो रहा है।
इस गैलरी की विशेषता यह है कि भवन परिसर की दीवारों पर सिंगापुर के भित्ति चित्र उकेरे गए हैं जिन्हें यहां बसे मूलत: चीन के कलाकारों ने बनाया है। (देखें, संलग्न चित्र) इसमें स्वामी दयानंद सरस्वती को समर्पित अनेक सुंदर चित्र हैं।
इसी में प्रदर्शित एक चित्र इस मायने में विशेष है क्योंकि इसमें औपनिवेशिक काल के जमाने में उत्तर प्रदेश और बिहार से फौजी जवानों के नाते यहां पहुंचे शुरुआती प्रवासियों की झलक दिखाई गई है। ये भित्ति चित्र यहां के लिटिल इंडिया परिसर में सबसे बड़ी कलाकृति के नाते खूब चर्चित हो रहा है।
इस चित्र को बनाने वाले कलाकार यिप यू चोंग अपने चित्रों के माध्यम से कहानियों को जीवंत करके दिखाने के लिए जाने जाते हैं। कार्यक्रम में आए एक हिन्दू प्रवासी नेता श्री सतपाल, जो यहां वकालत करते हैं, ने इस विरासत गैलरी का विधि—विधान से उद्घाटन किया। उल्लेखनीय है कि यहां आर्य समाज और स्वामी दयानंद सरस्वती को समर्पित इस भवन परिसर को 1927 में बनाया गया था। यहां एक डीएवी हिन्दी स्कूल भी चलता है।
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