महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ महीने में कई घटनाक्रम हुए। उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री पद जाना, फिर एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस का डिप्टी सीएम बनना। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट और अब अजित पवार का भी डिप्टी सीएम बनना। एनसीपी में दरार तो बहुत पहले ही पड़ चुकी थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भतीजे अजित पवार से ज्यादा बेटी सुप्रिया सिले पर राजनीतिक भरोसा। अजित पवार के खेमे ने कई दिन पहले बगावत के संदेश दे दिए थे। राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज थी कि अजित पवार कभी भी एनसीपी से अलग हो जाएंगे। इसके बाद शरद पवार ने मास्टर स्ट्रोक चला। महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार ने अचानक पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। कहा जा रहा था कि इसकी पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी थी। रोटी पलटने वाले बयान के समय भी उन्होंने इसका संकेत दे दिया था। उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया था, लेकिन इसके बाद से ये तस्वीर साफ हो रही थी कि वह सुप्रिया सुले पर भरोसा करेंगे। लेकिन अजित पवार भी उचित समय का इंतजार कर रहे थे।
अजित पवार इससे पहले भी एनसीपी से अलग हो चुके थे। करीब 24 साल की इस पार्टी में बगावत के सुर पहले ही उठ चुके हैं। अजित पवार ने पार्टी लाइन से हटकर भाजपा को समर्थन दिया था। उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाई। फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में डिप्टी सीएम बने। हालांकि शरद पवार के दबाव के बाद वह उन्हें वापस लौटना पड़ा और 100 घंटे भी पूरे नहीं हुए कि उन्हें डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन इस घटना से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फूट उजागर हो गई। शरद पवार ने 24 साल पहले (वर्ष 1999) एनसीपी का गठन किया था। तब से यह पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में अपना स्थान बनाए रही।
एनसीपी में सुप्रिया सुले बनाम अजित पवार
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले वर्तमान में एनसीपी से सांसद हैं। उन्हें एनसीपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। एनसीपी का एक बड़ा गुट अजित पवार के साथ खड़ा रहा। वर्ष 2019 में इसके स्पष्ट संकेत मिल भी चुके थे। हाल ही में अजित पवार का बगावती तेवर भी दिखा था। चर्चा यह थी कि वह देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के साथ मिल सकते हैं। चर्चा थी कि अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के करीब 34 विधायकों के साथ मिलकर शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। यह भी चर्चा जोरों की थी कि अजित पवार को एनसीपी में साइड लाइन किया जा रहा है। यह भी एक वजह रही होगी कि जब शरद पवार ने इस्तीफे की घोषणा की तो उन्होंने इसका विरोध नहीं किया। इन सबके बीच रविवार को अजित पवार ने बड़ा कदम उठाया। अजित पवार ने महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री और 8 अन्य एनसीपी नेताओं ने राज्य के मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत प्रगति कर रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमारा उद्देश्य सत्ता नहीं है, जैसे 2019 में सत्ता की लालच में लोगों की जनमत को ठुकराया और बाला साहेब ठाकरे के विचार को तोड़-मरोड़ दिया और कुर्सी पर बैठ गए। इस तरह की सत्ता की लालच हमें नहीं है। हमारा एजेंडा है कि महाराष्ट्र की जनता को न्याय मिले। उन्होंने यह भी कहा कि अजित पवार कर्मठ नेता हैं, विकास पर विश्वास करते हैं, इसलिए सबने उनका साथ दिया है।
लेकिन ये 80 का दौर नहीं
अजित पवार के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भी बयान आया। उन्होंने कहा कि यह नई बात नहीं है। 1980 में मैं जिस पार्टी का नेतृत्व कर रहा था उसके 58 विधायक थे, बाद में सभी चले गए और केवल 6 विधायक बचे, लेकिन मैंने संख्या को मजबूत किया और जिन्होंने मुझे छोड़ा वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हार गए। उन्होंने ये भी कहा कि ये गुगली नहीं है, ये रॉबरी है। ये छोटी बात नहीं है। लेकिन शरद पवार चालीस साल से ज्यादा पहले की बात कर रहे हैं। हालात बहुत बदल गए हैं। महाराष्ट्र में जनता की नब्ज पकड़ने वाली बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना को टूटते हुए महाराष्ट्र की जनता ने देखा है। धनुष-बाण निशान शिंदे को भी मिल चुका है। पार्टी के नाते हमने ये फैसला लिया है। अजित पवार ने भी कहा है कि एनसीपी के पूरे विधायक हमारे साथ हैं, पार्टी के सांसद हमारे साथ हैं। पार्टी के कार्यकर्ता हमारे साथ हैं। उनकी इस बात के निहितार्थ बहुत गहरे हैं।
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